तिबत्ती मार्केट की एक दुकान में खून से लथपथ पड़ा मिला शव, हत्या और आत्महत्या से जोड़कर देखा जा रहा मामला
देहरादून के तिब्बती मार्किट में एक युवक ने खुद को गोली मार दी जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। घटना की सूचना मिलने पर डालनवाला इंस्पेक्टर मणिशंकर श्रीवास्तव घटनास्थल पर पहुंचे और मामले की जांच शुरू कर दी।
देहरादून, जेएनएन। तिब्बती मार्केट में एक फास्टफूड शॉप के कारीगर की संदिग्ध हालात में सिर पर गोली लगने से मौत हो गई। पुलिस के अनुसार प्रथम दृष्टया मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है। हालांकि, हर कोण से मामले की जांच की जा रही है। पोस्टमार्टम और फॉरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। डीआइजी अरुण मोहन जोशी ने भी घटनास्थल पर पहुंचकर निरीक्षण किया।
डालनवाला कोतवाली के इंस्पेक्टर मणिभूषण श्रीवास्तव ने बताया कि तिब्बती मार्केट में डुंडुप की चाऊमीन और मोमोज की दुकान है। बुधवार सुबह करीब पौने नौ बजे पुलिस को सूचना मिली कि डुंडुप की दुकान में एक व्यक्ति मृत पड़ा है। उसकी पहचान राजपुर निवासी संजय बिष्ट के रूप में हुई। वह डुंडुप की दुकान में 25 साल से बतौर सेफ काम कर रहा था। पुलिस घटनास्थल पर पहुंची तो मृतक के सिर से खून निकल रहा था। शव के पास ही एक पिस्टल पड़ी हुई थी। संजय की शादी नहीं हुई थी और वह दुकान में ही रहता था। इंस्पेक्टर ने बताया कि संजय ने आत्महत्या की या उसकी हत्या की गई है, इसका पर्दाफाश जांच में ही हो सकेगा।
खुला हुआ था दुकान का दरवाजा
संजय को पांच से छह हजार रुपये वेतन मिलता था। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि उसके पास पिस्टल कहां से आई। दूसरी ओर जब पुलिस घटनास्थल पर पहुंची तो दुकान का दरवाजा थोड़ा खुला हुआ था।
नहीं करता था ज्यादा बातचीत
दुकान मालिक डुंडुप ने बताया कि संजय किसी से ज्यादा बातचीत नहीं करता था। उसे बॉडी बिल्डिंग का शौक था। इसके लिए कुछ समय पहले तक वह जिम भी जाता था। डुंडुप ने बताया कि तीन-चार दिन से उनकी मां की तबीयत खराब चल रही है, इसलिए वह रात को अपने घर क्लेमेनटाउन चले जाते थे। बुधवार सुबह वह दुकान पहुंचे तो देखा कि संजय मृत पड़ा है। उसके सिर से खून निकल रहा था।
राजपुर में रहता है संजय का परिवार
पुलिस ने बताया कि संजय का परिवार राजपुर में रहता है। हालांकि, दुकान के मालिक को इसकी सूचना नहीं थी। घटना की जानकारी मिलने पर संजय का भाई डालनवाला कोतवाली पहुंचा। उन्होंने बताया कि करीब दो साल से संजय घर नहीं गया था।
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