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गंगा तट से विश्व के कोने-कोने में फैल रही है योग की ख्याति

अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में देश विदेश से आए योग साधकों ने गंगा तट पर मां गंगा की आरती कर आशीर्वाद लिया और अगले वर्ष फिर गंगा तट पर योग महोत्सव में मिलने का वायदा कर विदाई ली।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 07 Mar 2019 04:28 PM (IST)Updated: Thu, 07 Mar 2019 04:28 PM (IST)
गंगा तट से विश्व के कोने-कोने में फैल रही है योग की ख्याति
गंगा तट से विश्व के कोने-कोने में फैल रही है योग की ख्याति

ऋषिकेश, जेएनएन। गढ़वाल मंडल विकास निगम व उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद की ओर से आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का बुधवार को रंगारंग कार्यक्रमों के साथ समापन हो गया। इस अवसर पर प्रख्यात पार्श्‍व गायिका रेखा भारद्वाज ने प्रस्तुतियां दी। देश विदेश से आए योग साधकों ने गंगा तट पर मां गंगा की आरती कर आशीर्वाद लिया और अगले वर्ष फिर से गंगा तट पर योग महोत्सव में मिलने का वायदा कर विदाई ली।

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गंगा रिसार्ट में आयोजित समापन समारोह में पार्श्‍व गायिका और देश विदेश में भारतीय संस्कृति परम्परा ओर विरासत की पहचान करने वाली रेखा भारद्वाज ने सांस्कृतिक संध्या ने योग साधको का मन मोह लिया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि योग आज दुनिया को स्वस्थ्य देने के साथ आपसी सौहार्द को बढ़ाने का काम कर रहा है। उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर की है की इस बार योग साधकों ने गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड हेतु आसान और प्रणायामों का रिकार्ड बनाने की मुहिम की गई है, जिसके परिणाम अवश्य इस क्षेत्र के लिए लाभप्रद होंगे। 

निगम के अध्यक्ष महावीर रांगड़ ने कहा कि निगम स्तर से एक साथ तीन विशिष्ट आयोजन टिहरी महोत्सव, औली नेशनल स्कीइंग प्रतियोगिता सहित योग महोत्सव का आयोजन करना किसी चुनौती से कम नही था। किन्तु निगम ने इन आयोजनों को बेहद सफलता के साथ संचालित किया। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि योग का कार्य जोडऩा है और आज योग पूरे विश्व को जोडऩे का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि योग को अंतरराष्ट्रीय जगत में पहुंचाने का काम प्रधानमंत्री ने किया है। उन्होंने कह गंगा तट से विश्व के कोने-कोने तक योग की ख्याति पहुंचे, इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे। इस अवसर पर प्रमुख सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर, निगम की प्रबन्ध निदेशिका ज्योति नीरज खैरवाल, महाप्रबंधन बीएल राणा आदि उपिस्थित थे।

पर्यावरण संरक्षण में हो योग शक्ति का उपयोग

परमार्थ निकेतन और पर्यटन मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के छठे दिन पृथ्वी के संरक्षण में योग की भूमिका विषय पर विचार-मंथन हुआ। इस मौके पर संत समाज, योगाचार्य, योग जिज्ञासु और विश्व के विभिन्न देशों से आए आदिवासी प्रतिनिधियों ने योगमय जीवन पद्धति अपनाते हुए पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया। 

महोत्सव में बुधवार को योग फॉर अवर प्लेनेट: योग, जलवायु और पृथ्वी की सक्रियता विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। इस मौके पर योग जिज्ञासुओं को संबोधित करते हुए परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि धरती पर बढ़ता प्लास्टिक कचरा तेजी से धरती के इको सिस्टम व पारिस्थितिकीय तंत्र को प्रभावित कर रहा है। आज प्लास्टिक भारत की नहीं, पूरे विश्व के लिए समस्या बन गया है और धीरे-धीरे इसके गंभीर परिणाम भी सामने आ रहे हैं। इस संकट से बचने के लिए प्लास्टिक के पुनर्चक्रण और दोबारा प्रयोग को बढ़ावा देना नितांत जरूरी है। तभी हम आने वाली पीढ़ी को बेहतर भविष्य दे सकेंगे। कहा कि आज दुनियाभर में हर साल पांच करोड़ टन इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल अपशिष्ट (ई-कचरा) का उत्पादन होता है। जबकि, इसके केवल 20 प्रतिशत भाग को ही औपचारिक रूप से पुनर्चक्रित किया जाता है। शेष 80 प्रतिशत प्लास्टिक लैंडफिल में समाप्त होता है, जिसके कारण धरा बंजर हो रही है। इस समस्या का समाधान तभी हो सकता है, जब  मिल-जुलकर कार्य करें। स्वामी चिदानंद ने विश्वभर से आए योग साधकों का आह्वान किया कि वह योग की शक्ति को पर्यावरण संरक्षण में लगाएं और स्वच्छ, स्वस्थ एवं हरित धरा के निर्माण में योगदान करें। 

योग महोत्सव की निदेशक साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि पतंजलि का अष्टांग योग केवल शरीर और श्वास का योग नहीं है, बल्कि इसमें विश्व की सभी समस्याओं का समाधान समाहित है। अगर हम पतंजलि के अष्टांग योग के केवल दो सूत्र यम और नियम को ही जीवन में धारण कर लें तो विलक्षण परिवर्तन हो सकता है। हम सत्य, अङ्क्षहसा और अस्तेय को जीवन में धारण करें तो दुनिया में व्याप्त आतंकवाद व पर्यावरण प्रदूषण समेत अन्य सभी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकते हैं। कहा कि हम चाहे किसी भी देश से आए हों, लेकिन एक योगी की जीवन पद्धति अपनाते हुए हम अपने प्लानेट को संरक्षित कर सकते हैं। उन्होंने जल की बढ़ती समस्या की ओर भी सभी का ध्यान आकर्षित किया। 

स्वामी परमाद्वैति ने कहा कि साधारण जीवन पद्धति अपनाकर हम अपनी नदियों और पृथ्वी को संरक्षित कर सकते हैं। हम अगर सनातन धर्म को मानते हैं तो हमें अपनी जीवनचर्या को भी सनातन पद्धति के अनुसार बदलना होगा। अपनी जरूरतों को कम से कम करना होगा और प्राकृतिक जीवन पद्धति अपनानी होगी। माता ओबेला टोनालमीटल ने कहा कि हम सभी धरती माता की संतान हैं, इसलिए उसके संरक्षण की जिम्मेदारी भी हमारी ही है। अमेरिका से आये योगाचार्य सोल डेविड रे के संचालन में चले सत्र में मैक्सिको से आए टाटा तलाउविज कलपन्ते कुहत्ली ने कहा कि तीर्थनगरी क्षेत्र वास्तव में धरती का सबसे खूबसूरत स्थान है। यहां अपार आध्यात्मिक ऊर्जा समाहित है। उन्होंने सभी से इस धरा को बचाने और भावी पीढ़ी को सुंदर वातावरण प्रदान करने के लिए आगे आने की अपील की। कार्यक्रम में अमेरिका से आईं योगाचार्य सॉन कॉर्न, सोल डेविड रॉय, साई मुरिलो, श्रीला बीए आदि ने भी विचार रखे।

योग से पंचतत्वों को संतुलित कर स्वस्थ रहता है मनुष्य

गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) और पर्यटन विभाग परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सात-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के अंतिम दिन प्रख्यात योगाचार्या डॉ. राधिका नागरथ ने 'योग द्वारा पंचतत्वों का संतुलन' विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि हमारा शरीर ब्रह्मांड में विद्यमान पंचतत्वों वायु, आकाश, पृथ्वी, जल और अग्नि से निर्मित हुआ है। शरीर शांत होने पर यह पंचतत्वों में ही विलीन हो जाता है। तब केवल आत्मा का ही अस्तित्व कायम रहता है। कहा कि इन पंचतत्वों को योग के माध्यम से ही संतुलित कर मनुष्य स्वस्थ रह सकता है। 

योग महोत्सव में बुधवार को योगाचार्यों ने योग साधकों को योग की विभिन्न विधाओं से परिचित कराया। विशेष योग सत्र में डॉ. राधिका नागरथ ने कहा कि पंचतत्वों का संतुलन गड़बड़ाने की वजह से ही मनुष्य के स्वास्थ्य में अनेक विसंगतियां आती हैं। जिन्हें योग की क्रियाओं के जरिये ही दूर किया जा सकता है। इस संबंध में महर्षि पतंजलि, महर्षि अरविंद, स्वामी रामकृष्ण परमहंस व स्वामी विवेकानंद ने समाज को समय-समय पर दिशा देने का कार्य किया। पंचभूतों से निर्मित सभी जीव-जंतुओं का शरीर नश्वर है। वैदिक मान्यता है कि प्रकृति ने ही हमें जीवन दिया है, इसलिए मनुष्य को प्रकृति से तारतम्य बैठाने के लिए पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए। तभी मनुष्य स्वस्थ रह सकता है।

भारतीय संस्कृति की विशद व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि वैदिक संस्कृति मनुष्य के जीवन में शांति के साथ-साथ जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की शांति की कामना भी करती है। वह संपूर्ण विश्व को अपना परिवार मानते हुए वसुधैव कुटुंबकम का संदेश देती है।

इन देशों के योग साधक हुए शामिल 

अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में इस बार भारत सहित स्पेन, ब्राजील, पुर्तगाल, चीन, मैक्सिको, बेल्जियम, अमेरिका, कोलंबिया, नीदरलैंड, पेरू, अर्जेंटीना, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, इटली, नार्वे, जर्मनी, तिब्बत, भूटान, रूस, इजरायल, इंग्लैंड, फ्रांस, कनाडा, स्वीडन, हांगकांग, स्विट्जरलैंड, बहरीन, अफगानिस्तान, अफ्रीका, सिंगापुर, ताइवान, फिलिस्तीन, ईरान, जापान, केन्या, यमन, पेलस्टाइन, थाइलैंड, नामीबिया, इक्वाडोर, ग्वाटेमाला, ऑस्ट्रिया, क्यूबा, चिली, तुर्की, दक्षिण अफ्रीका आदि।

योग साधकों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने बांधा समा

परमार्थ निकेतन में आयोजित 30वें अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में बुधवार को देश- विदेश के योग साधकों ने मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। इस दौरान दुनिया भर की संस्कृति से साधक रूबरू हुए। 

अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के छठवें दिन विश्व के विभिन्न देशों से आए योग जिज्ञासुओं ने योग, आसन, ध्यान, रैकी, आहार-विहार, वैदिक मंत्र जप की कक्षाओं के साथ, स्वेट लॉज और आध्यात्मिक सत्र के साथ संगीत व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनन्द लिया। प्रसिद्ध संगीतकार और योगाचार्य मर्ट गूलर के निर्देशन में टर्की से आए योग साधकों के दल ने सूफी संगीत और वाद्य-यंत्रों के मधुर राग बजाया जिसे सुनकर योगी झूमने लगे। परमार्थ गंगा तट पर गंगा के संगीत और सूफी संगीत के ताल पर मस्त होकर योगी संगीत के ताल से ताल मिला रहे थे। परमार्थ निकेतन गुरुकुल के ऋषिकुमारों ने गणेश स्तुति और शिव तांडव की प्रस्तुति देकर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया। वहीं स्वच्छ भारत और स्वच्छ विश्व का संदेश देश-विदेश के हर कोने-कोने तक पहुंचाने के लिये परमार्थ गुरुकुल के ऋषिकुमारों ने स्वच्छता के प्रति जागरूक करने हेतु नृत्य नाटिका प्रस्तुत की।

साधकों को कराया योग निंद्रा का अभ्यास 

अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में योग के विशेष सत्र का शुभारंभ बुधवार को अमेरीका से आए योगाचार्य गुरुशब्द सिंह खालसा के कुण्डलिनी योग से हुआ। योगाचार्य संदीप देसाई ने मैसूर शैली में अष्टांग योग, योगाचार्य मोहन भण्डारी ने ऊर्जा का रहस्य, बंगलुरु से आए योगाचार्य एचएस अरूण ने आसन करते हुये जागरूक होकर श्वास का अभ्यास, साउंड ऑफ साइलेंस, योगाचार्य केरेन पोपेट ने सूर्योदय नाद योग ध्यान साधना, अमरीका से आए सोल डेविड रॉय ने पावर ऑफ हार्ट-हृदय शक्ति, अमरीका की योगाचार्य कीया मिलर ने कुण्डलिनी योग-सूर्य नमस्कार, अमरीका से आई  लौरा प्लब ने हनुमान नमस्कार, स्वामी उत्त्तमानन्दा ने ओम नम: शिवाय-का आंतरिक अर्थ, माँ ज्ञान सुवेरा ने रैकी हीलिंग, योगाचार्य साध्वी आभा सरस्वती ने योग निद्रा का अभ्यास कराया। वहीं योगाचार्य जीएस गुप्ता ने भोजन और रोग के विषय में जानकारी दी।

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