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पहाड़ों से पलायन रोकने में शोधार्थियों पर बड़ी जिम्मेदारी

श्री गुरु राम राय पीजी कॉलेज में इमर्जिग ट्रेंड्स एंड फ्यूचर चैलेंज इन साइंस विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमीनार में वक्ताओं ने पर्वतीय इलाकों से हो रहे पलायन पर चिंता व्यक्त की।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 Feb 2019 08:19 PM (IST)Updated: Wed, 27 Feb 2019 08:19 PM (IST)
पहाड़ों से पलायन रोकने में शोधार्थियों पर बड़ी जिम्मेदारी
पहाड़ों से पलायन रोकने में शोधार्थियों पर बड़ी जिम्मेदारी

जागरण संवाददाता, देहरादून : श्री गुरु राम राय पीजी कॉलेज में 'इमर्जिग ट्रेंड्स एंड फ्यूचर चैलेंज इन साइंस' विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमीनार में वक्ताओं ने पर्वतीय इलाकों से हो रहे पलायन पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पलायन के समाधान के लिए शोधार्थी इस दिशा में कार्य कर सकते हैं।

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सेमीनार का शुभारंभ करते हुए कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि प्रदेश में विज्ञान और कृषि की स्थिति चिंतनीय है। पलायन जैसी समस्या का समाधान पहाड़ में रोजगार पैदा करके ही किया जा सकता है। कहा कि वैज्ञानिकों पर यह जिम्मेदारी है कि वह पहाड़ के खेतों की उपजाऊ क्षमता बढ़ाने का काम करें। कॉलेज प्राचार्य डॉ. वीए बौड़ाई ने कहा कि बदलते समय के साथ जिस तरह से चुनौतिया बढ़ी हैं, उसी तरह विज्ञान जगत ने भी प्रगति की है। भौतिकी, गणित, रसायन, बायोटेक्नोलॉजी, बॉटनी आदि ने कई समस्याओं का समाधान दिया है। लंबे समय तक असाध्य माने जाते रहे रोगों को विज्ञान जगत ने साध्य बनाने में सफलता पाई है। कॉलेज डीएसडब्लू डॉ. एके गुप्ता ने कहा कि सेमीनार का उद्देश्य छात्रों को विज्ञान से जोड़ना है। गढ़वाल विवि के पूर्व कुलपति प्रोफेसर एमएसएम रावत ने कहा कि विज्ञान बहुत तेजी से तरक्की कर रहा है। दिल्ली विवि से पहुंचे डॉ. रमेश चंद्रा ने अपने शोध की जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने भाग के पौधे से नॉसकैपीन' अलग किया है। जो कि ब्रेस्ट, फैफड़ों व ब्रेन कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों के इलाज में काम आएगा। वहीं आइआइटी रुड़की के डॉ. केआर जस्टिन थॉमस ने आम जीवन की वस्तुओं में इस्तेमाल हो रही ओएलईडी के महत्व को समझाया। कार्यक्रम का संचालन मुख्य नियंता डॉ. संदीप नेगी ने किया।

देश में पेटेंट की कमी: डॉ. एस फारुख

हिमालयन ड्रग्स के निदेशक व शिक्षाविद डॉ. एस फारुख ने कहा कि बदलते समय के साथ विज्ञान की बढ़ती चुनौतियों और प्रगति को मध्यनजर रखते हुए यह राष्ट्रीय सेमीनार महत्वपूर्ण है। इस दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में देशभर के वैज्ञानिक मंथन करने को पहुंचे है जो लाभप्रद है। उन्होंने कहा कि देश में पेटेंट की बहुत कमी है। जबकि आयुर्वेद में कई प्रयोग किए जा सकते हैं। उन्होंने नये शोधों से अवगत करवाते हुए बताया कि गाय के दूध से अधिक प्रोटीन काकरोच मिल्क में पाया जाता होता है। जो अनेक असाध्य रोगों को ठीक करने के लिए एक अचूक रसायन है।

सेमीनार में यह रहे मौजूद

डॉ. एवी पंत, डॉ. राकेश ढौंडियाल, डॉ. सुमंगल नेगी, डॉ. श्यामवीर सिंह, डॉ. आनंद कुमार, डॉ. मुधु डी सिंह, डॉ. यूसी मनाली, मेजर प्रदीप सिंह, डॉ. आनंद सिंह राणा, डॉ. च्योति पाडे, डॉ. अनुराधा वर्मा, डॉ. एचएस रंधावा, डॉ. अंजू भटनाकर, डॉ. दीपाली सिंघल, प्रोफसर जीएस पुंडीर, डॉ. हिम्मत सिंह, डॉ. सोनू सिंह आदि मौजूद रहे।


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