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उत्तराखंड में हादसे ले रहे हैं बेजुबानों की जान, आंकड़े कर रहे तस्दीक

उत्तराखंड में विकास और जंगल में सामंजस्य का अभाव बेजुबानों पर भारी पड़ रहा है। लगातार हो रहे हादसे वन्यजीवों की जान ले रहे हैं।

By Edited By: Published: Wed, 30 Oct 2019 03:00 AM (IST)Updated: Wed, 30 Oct 2019 08:05 PM (IST)
उत्तराखंड में हादसे ले रहे हैं बेजुबानों की जान, आंकड़े कर रहे तस्दीक
उत्तराखंड में हादसे ले रहे हैं बेजुबानों की जान, आंकड़े कर रहे तस्दीक

देहरादून, केदार दत्त। वन्यजीव संरक्षण में अहम भूमिका निभा रहे उत्तराखंड में विकास और जंगल में सामंजस्य का अभाव बेजुबानों पर भारी पड़ रहा है। लगातार हो रहे हादसे वन्यजीवों की जान ले रहे हैं। आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं। इन पर गौर करें तो 2001 से लेकर मार्च 2019 तक के वक्फे में 212 हाथी, गुलदार और बाघों की जान दुर्घटनाओं में गई है। इस सबने महकमे को भी सोचने पर विवश कर दिया है। हादसे थामने के मद्देनजर शासन ने वन विभाग से कार्ययोजना मांगी है, ताकि बेजुबानों की जान बचाने को प्रभावी ढंग से कदम उठाए जा सकें। 

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यह किसी से छिपा नहीं है कि तमाम दुश्वारियां झेलने के बावजूद राज्य ने वन्यजीव संरक्षण की दिशा में बड़ी उपलब्धियां अपने नाम की हैं। बाघों और हाथियों का लगातार बढ़ता कुनबा इसकी बानगी है। यह सुकून देने वाली बात है, मगर तस्वीर का दूसरा पहलू चौंकाने वाला है। जंगलों से गुजर रहे रेल व सड़क मार्गों के साथ ही बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप ने बेजुबानों की मुसीबत बढ़ाई है। नतीजा, बढ़ते हादसों के रूप में सामने आ रहा है, जिसमें बेजुबान जान गंवा रहे हैं।

सरकारी आंकड़ों को ही देखें तो 19 साल में दुर्घटनाओं में 133 गुलदारों की मौत हुई। इसी प्रकार इस अवधि में 64 हाथी और 15 बाघ भी हादसों में मारे गए। इन तीनों वन्यजीवों को ही लें तो हर साल औसतन 11 की जान जा रही है। इससे महकमे के साथ ही वन्यजीव विशेषज्ञ भी चिंतित है। उनका कहना है कि हादसे थामने को जरूरी है कि जंगल और विकास में बेहतर सामंजस्य जरूरी है। इसे लेकर शासन स्तर पर भी मंथन शुरू हो गया है, ताकि प्रभावी कार्ययोजना तैयार कर इसे धरातल पर उतारा जा सके। 

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प्रमुख सचिव वन आनंदवर्धन ने बताया, दुर्घटनाओं के साथ ही अन्य मामलों में वन्यजीवों की मृत्यु के संबंध में रिपोर्ट मांगी गई है। साथ ही दुर्घटनाएं थामने को विभाग से कार्ययोजना प्रस्तुत करने को कहा गया है, ताकि इस दिशा में कदम उठाए जा सकें। वहीं, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजीव भरतरी का कहना है कि दुर्घटनाओं को रोकना बड़ी चुनौती है। इस दिशा में विभाग गंभीर है। जल्द ही राष्ट्रीय स्तर की गाइडलाइन के हिसाब से कार्ययोजना तैयार की जाएगी।

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