मसूरी-नैनीताल में हिमपात, अगले 24 घंटे भारी बारिश की चेतावनी
मसूरी और नैनीताल में मौसम का पहला हिमपात हुआ है तो देहरादून जिले चकराता में भी हल्की बर्फबारी हुई है।
देहरादून, [जेएनएन]: लंबे समय से बाट जोह रहे उत्तराखंड में मौसम करवट बदलने लगा है। मसूरी और नैनीताल में मौसम का पहला हिमपात हुआ है तो देहरादून जिले चकराता में भी हल्की बर्फबारी हुई है। शाम को बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में बर्फगिरनी शुरू हो गई। दूसरी ओर पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में रिमझिम बारिश शुरू हो गई है। इस बार शीतकाल में यह पहली बारिश है। मौसम विज्ञान केंद्र ने अगले चौबीस घंटे के लिए भारी बारिश और ओलावृष्टि की चेतावनी जारी की है। इसे देखते हुए बुधवार को देहरादून और टिहरी में स्कूल बंद रखने के आदेश दिए गए हैं।
जनवरी में मौसम की बेरुखी हैरत में डालने वाली रही। एक जनवरी से 28 फरवरी माने जाने वाले शीतकाल में अब तक बारिश न होने से सेब उत्पादक और किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें गहराने लगीं। चिलिंग प्वाइंट न मिलने से सेब के उत्पादन के साथ ही गुणवत्ता पर भी प्रभाव पडऩे की आशंका है। गौरतलब है कि इस सीजन में एक अक्टूबर से 31 दिसंबर तक बारिश में 76 फीसद की कमी रही, जबकि इस दौरान औसतन 85.6 मिमी बारिश होती है।
वर्ष 2000 के बाद यह पांचवां मौका है, जब अक्टूबर से दिसंबर तक बारिश बेहद कम रही है। इससे पहले वर्ष 2000, 2007, 2011, 2016 और 2017 में बारिश 75 से 96 फीसद तक कम रही थी।
सोमवार को मौसम में आए बदलाव से उम्मीद बंधने लगी है। प्रदेश में दोपहर तक चटख धूप के बाद घने बादल छा गए और देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, टिहरी और नैनीताल में बारिश शुरू हो गई। देर शाम मसूरी के ऊंचाई वाले स्थानों लाल टिब्बा और लंढौर में बर्फ गिरने से पर्यटकों के चेहरे खिल गए। फिलहाल मसूरी में दो इंच बर्फबारी हुई है। इससे पारे ने भी गोता लगाया।
मसूरी और नैनीताल में न्यूनतम तापमान में तीन से चार डिग्री की कमी आई है। मसूरी में न्यूनतम तापमान 3.1 और नैनीताल में 3.6 रिकार्ड किया गया। देहरादून स्थित मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि बुधवार को देहरादून के चकराता, मसूरी के अलावा टिहरी, नैनीताल और पिथौरागढ़ जिलों में कई स्थानों पर बारिश और ओलावृष्टि के आसार हैं। उन्होंने बताया कि 3000 मीटर से ज्यादा ऊंचाई वाले स्थानों पर बर्फबारी भी हो सकती है।
यह भी पढ़ें: पिंडारी ग्लेशियर के पीछे खिसकने की दर कई गुना बढ़ी
यह भी पढ़ें: इस पर्वत पर समय से पहले उभरी ऊं की आकृति, कारण जानिए
यह भी पढ़ें: यहां सर्दियों में जम रहा झरने का पानी, नदियां बर्फ में तब्दील