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गीतों के नाम पर उपहास करने वालों पर हो कार्रवाई

वैदिक ब्राह्मण महासभा तथा संस्कृत छात्र सेवा समिति ने गढ़वाली गीतों के नाम पर पौरोहित्य कर्म करने वाले समुदाय का उपहास किए जाने की निदा की है। उन्होंने कहा कि गीतों के नाम पर इस तरह की फूहड़ता को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Feb 2021 09:46 PM (IST)Updated: Mon, 08 Feb 2021 09:46 PM (IST)
गीतों के नाम पर उपहास करने वालों पर हो कार्रवाई

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश :

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वैदिक ब्राह्मण महासभा तथा संस्कृत छात्र सेवा समिति ने गढ़वाली गीतों के नाम पर पौरोहित्य कर्म करने वाले समुदाय का उपहास किए जाने की निदा की है। उन्होंने कहा कि गीतों के नाम पर इस तरह की फूहड़ता को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

सोमवार को जनार्दन आश्रम मायाकुंड में आयोजित बैठक में वैदिक ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष गंगाराम व्यास ने कहा कि वर्तमान में कुछ नए-नए गायक सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए पौरोहित्य कर्म करने वाले वैदिक ब्राह्मणों के ऊपर मनोरंजन के उद्देश्य से अमर्यादित गीत गा रहे हैं। जिनमें वैदिक ब्राह्मणों के लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है। उन्होंने हाल में रिलीज हुए गीत बामणी का पंडिजी को गाने वाले गायक कमल धनाई के गीत की निदा करते हुए कहा कि इस गीत में पौरोहित्य कर्म करने वाले समाज को नहीं बल्कि चारों धामों के पंडा समाज को भी अपमानित करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के अमर्यादित गीतों और इन्हें गाने वाले गायकों को कतई माफ नहीं किया जाएगा। उन्होंने प्रशासन से इस संबंध में उचित कार्रवाई करने की मांग की। कार्रवाई न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी।

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संस्कृति का मजाक उड़ाना उचित नहीं: विनोद

प्रख्यात लोक गायक विनोद बिजल्वाण ने गढ़वाली गीत बामणी का पंडाजी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इस तरह के गीतों की निदा की। उन्होंने कहा कि रातों-रातों प्रसिद्धि पाने के उद्देश्य से उत्तराखंड की संस्कृति के साथ मजाक ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ व्यक्तियों की ऐसी हरकतों से संस्कृति कर्मी आहत हैं। ऐसे प्रयासों की समाज के स्तर पर निदा होनी चाहिए। ताकि आगे कोई किसी जाति या संप्रदाय को आहत न कर पाए। उन्होंने राज्य के सभी संस्कृति कर्मियों, गायक, गायिकाओं, तकनीशियानों से अपील की कि ऐसे अतिवादी तौर तरीकों से बचें।


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