समतामूलक समाज के संस्थापक थे संत रविदास
संत शिरोमणि गुरु रविदास की जयंती पर तीर्थनगरी व आसपास क्षेत्र में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। वक्ताओं ने कहा कि संत शिरोमणि गुरु रविदास समतामूलक, न्यायपूर्ण और करुणामय समाज के संस्थापक थे।
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश : संत शिरोमणि गुरु रविदास की जयंती पर तीर्थनगरी व आसपास क्षेत्र में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। वक्ताओं ने कहा कि संत शिरोमणि गुरु रविदास समतामूलक, न्यायपूर्ण और करुणामय समाज के संस्थापक थे।
मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने बैराज मार्ग स्थित कैंप कार्यालय में श्री संत रविदास के चित्र पर पुष्प चढ़ाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। उन्होंने मेजर चित्रेश बिष्ट, मेजर विभूति शंकर ढोंडियाल सहित पुलवामा के शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। उन्होंने कहा कि जिस दिन किसी महान आत्मा का संसार में अवतरण होता है वही दिन विशेष मुहूर्तों से सिद्ध हो जाता है। संत रविदास एक ऐसे ही संत हैं, जिन्हें रैदास और गुरु रविदास के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने कहा कि उन्होंने समतामूलक, न्यायपूर्ण और करूणामय समाज की स्थापना के लिए काम किया। उनकी शिक्षा शाश्वत और समाज के सभी वर्गों के लिए आज भी प्रासंगिक है। इस अवसर पर मंडल अध्यक्ष चेतन शर्मा, पूर्व पालिकाध्यक्ष स्नेह लता शर्मा, पार्षद शिव कुमार गौतम, विपिन पंत, वीरेंद्र रमोला, अशोक पासवान, इंद्र कुमार गोदवानी, अक्षत खैरवाल आदि उपस्थित थे।
उधर, हरिद्वार मार्ग स्थित संत शिरोमणि श्री गुरु रविदास मंदिर में बाबा साहिब डॉ. भीमराव आंबेडकर वाचनालय समिति की ओर से कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर समिति ने तय कार्यक्रम को स्थगित कर पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद हुए सैनिकों की याद में कैंडल मार्च निकाला। इस अवसर पर दो मिनट का मौन रखकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। मुख्य अतिथि डॉ. अनुस्वरूप ने कहा कि सीमा पर तैनात सैनिकों के बूते और सैनिकों की शहादत से ही आज देश सुरक्षित है। ऊर्जा निगम के सेवानिवृत्त अधिशासी अभियंता महेंद्र ¨सह की अध्यक्षता में चले कार्यक्रम में पूर्व पालिकाध्यक्ष दीप शर्मा, डॉ. रविकांत, चंद्रेशेखर, डॉ. भारत भूषण, केपी ¨सह, गीता देवी, सोमवती देवी, बाला देवी, प्रदीप कुमार आदि उपस्थित थे। वहीं आंबेडकर नगर स्थित संत रविदास मंदिर में आयोजित गोष्ठी में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि संत रविदास भले ही मानव रूप में पैदा हुए हैं मगर दुनिया से जाने के बाद उन्होंने ईश्वर का स्थान पाया। उनका उद्देश्य अमीर और गरीब के फर्क को समाप्त करना था। मगर वर्तमान में ऐसा नहीं हो रहा है। इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजक जयाल जाटव, सुनील गोस्वामी, जतिन जाटव, सतीश जाटव, जो¨गदर प्रजापति, आशीष राय, विनय दुबे, चंद्रकांता जोशी, मंगल ¨सह, राजा भाऊ शास्त्री आदि उपस्थित थे।