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उत्तराखंड में ग्राम पंचायतों से जुड़ेंगी वन पंचायतें, प्रस्ताव तैयार कर रहा महकमा

उत्तराखंड में अब वन पंचायतों को ग्राम पंचायतों से जोड़ने की तैयारी है। वन महकमा इसका प्रस्ताव तैयार कर रहा है।

By Edited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 08:23 PM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 09:40 PM (IST)
उत्तराखंड में ग्राम पंचायतों से जुड़ेंगी वन पंचायतें, प्रस्ताव तैयार कर रहा महकमा
उत्तराखंड में ग्राम पंचायतों से जुड़ेंगी वन पंचायतें, प्रस्ताव तैयार कर रहा महकमा

देहरादून, केदार दत्त। वन पंचायतों के रूप में जंगलों के संरक्षण की अनूठी व्यवस्था वाले उत्तराखंड में अब वन पंचायतों को ग्राम पंचायतों से जोड़ने की तैयारी है। वन महकमा इसका प्रस्ताव तैयार कर रहा है, जिसमें यह जोर दिया जा रहा है कि ग्राम पंचायतों को पर्यावरण और जल संरक्षण, पौधारोपण से जुड़े कार्यों के लिए मिलने वाली राशि का उपयोग वन पंचायतों के माध्यम से कराया जाए। इसके अलावा वन पंचायतों को कार्यदायी संस्था घोषित करने की कसरत भी चल रही है, जिससे वन महकमा इनके माध्यम से पौधारोपण समेत अन्य कार्य करा सके। 

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विषम भूगोल और 71.05 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में ग्राम वनों के प्रबंधन और संरक्षण के लिए वर्ष 1932 से वन पंचायतों के गठन का क्रम प्रांरभ हुआ, जो बदस्तूर जारी है। वन पंचायतें अपने अधीन वन क्षेत्रों को पनपाने के साथ ही उनकी सुरक्षा भी करती हैं। देश के किसी अन्य राज्य में ग्राम वनों के लिए ऐसी व्यवस्था नहीं है। वर्तमान में राज्य के 11 जिलों में 12166 वन पंचायतें वजूद में हैं, जिनके अधीन 7350.85 वर्ग किमी वन क्षेत्र है। वनों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बावजूद वन पंचायतों को वह तवज्जो नहीं मिल पाई, जिसकी दरकार है। न तो ग्राम वनों के प्रबंधन की समीक्षा हो पा रही है और न वन पंचायतों से सीधे तौर पर जुड़े वन, राजस्व व ग्राम्य विकास विभाग के मध्य बेहतर समन्वय ही बन पा रहा। 

यही नहीं, वनों की देखभाल करने वाली वन पंचायतों के लिए ठीक से योजना तक नहीं बन पा रही है। लंबे इंतजार के बाद अब जाकर वन पंचायतों के सशक्तीकरण की कवायद शुरू की गई है। वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक जय राज भी मानते हैं कि बदली परिस्थितियों में वन पंचायतों को मजबूत बनाना जरूरी है। इसी के दृष्टिगत वन पंचायतों को ग्राम पंचायतों से जोड़ा जाएगा। इस सिलसिले में तैयार किए जा रहे प्रस्ताव के मद्देनजर वन पंचायतों के प्रतिनिधियों से रायशुमारी की जा रही है। उन्होंने बताया कि जल्द ही प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा जाएगा।

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राज्य में वन पंचायतें 

जिला, संख्या 

पौड़ी,  2450 

अल्मोड़ा, 2324 

पिथौरागढ़, 1621 

चमोली,   1509 

टिहरी,    1290 

बागेश्वर,   822 

चंपावत,   652 

रुद्रप्रयाग, 509 

नैनीताल, 413 

उत्तरकाशी, 406 

देहरादून, 170 

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