टीम शाह में उत्तराखंड को केवल एक सीट
विकास धूलिया, देहरादून
टीम मोदी की तरह टीम शाह में हिस्सेदारी को लेकर उत्तराखंड को बिल्कुल मायूसी तो नहीं मिली, लेकिन किसी बडे़ चेहरे का भी नंबर नहीं लगा। इस दफा सूबे के एक युवा चेहरे अनिल बलूनी को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अपनी टीम में प्रवक्ता के रूप में शामिल किया, मगर पिछले कुछ सालों के उलट किसी वरिष्ठ नेता को राष्ट्रीय संगठन में जगह नहीं मिल पाई। उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव लड़ चुके और प्रदेश इकाई में प्रवक्ता रहे अनिल बलूनी को पहले से ही मोदी की टीम से निकटता रही है।
भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने शनिवार को अपनी टीम के सदस्यों का ऐलान किया। समझा जा रहा था कि मोदी मंत्रिमंडल में स्थान न बना पाने वाले उत्तराखंड को केंद्रीय संगठन में तवज्जो मिलेगी, लेकिन यह उम्मीद भी पूरी तरह परवान नहीं चढ़ पाई। हालाकि युवा नेता अनिल बलूनी को राष्ट्रीय प्रवक्ता जैसी अहम जिम्मेदारी जरूर दी गई है लेकिन उत्तराखंड भाजपा के अग्रिम पंक्ति के किसी नेता को नुमाइदंगी नहीं मिली। अनिल बलूनी उत्तराखंड भाजपा में प्रवक्ता की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। इसके अलावा वह पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय दायित्वधारी के रूप में वन्यजीव अनुश्रवण सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। पौड़ी गढवाल जिले की कोटद्वार विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके बलूनी ने कद्दावर काग्रेस नेता और वर्तमान में कैबिनेट मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी के हाथों पराजय के बाद चुनाव नतीजे को कोर्ट में कामयाब चुनौती देने पर खासी चर्चा बटोरी थी। वह 1998 में बिहार के गवर्नर सुंदर सिंह भंडारी के ओएसडी रहे। वर्ष 1999 में जब भंडारी को गुजरात का गवर्नर बनाया गया तो बलूनी तब भी उनके साथ बतौर ओएसडी वहां गए।
उत्तराखंड को केंद्रीय संगठन में प्रवक्ता जैसा अहम पद मिलने के बावजूद अगर पर्याप्त तवज्जो न मिलने की बात कही जा रही है तो इसका भी वाजिब कारण है। पूर्व में उत्तराखंड को भाजपा के राष्ट्रीय संगठन में कई अहम पद हासिल हो चुके हैं। नितिन गडकरी के अध्यक्ष रहते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी और डा रमेश पोखरियाल निशक राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए गए थे। इसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत राजनाथ सिंह की टीम में बतौर राष्ट्रीय मंत्री शामिल रहे। यही नहीं, उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य तरुण विजय को भी राष्ट्रीय प्रवक्ता की भूमिका मिली। इसके अलावा राष्ट्रीय संगठन में बतौर कार्यकारिणी सदस्य उत्तराखंड के तमाम बडे नेता शामिल रहे। हालाकि इस बात की संभावना अब भी कायम है कि कार्यकारिणी सदस्य के रूप में इस बार भी सूबे के कई वरिष्ठ नेताओं को जगह मिलेगी।
उत्तराखंड को केंद्रीय संगठन में ज्यादा अहमियत न मिलने के कई कारण माने जा रहे हैं। एक तो उत्तराखंड में हाल-फिलहाल कोई चुनाव नहीं होने हैं। विधानसभा चुनाव में अभी ढाई साल का वक्फा बाकी है। उधर, कई राज्यों में निकट भविष्य में विधानसभा चुनाव होने हैं, लिहाजा भाजपा नेतृत्व का ऐसे राज्यों को तरजीह देना स्वाभाविक ही है। इसके अलावा, लोकसभा चुनाव में सभी पाचों सीटों पर रिकार्ड जीत के बाद जिस तरह भाजपा ने तीन विधानसभा सीटों के उपचुनाव में लचर प्रदर्शन किया, उस पर राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सख्त नाखुशी जाहिर की थी। साथ ही त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भी भाजपा, काग्रेस के हाथों बुरी तरह पराजित हुई। उत्तराखंड भाजपा के इस प्रदर्शन को राष्ट्रीय टीम में ज्यादा स्थान न मिलने की एक वजह माना जा रहा है।