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उत्तराखंड का पहला बाल मित्र थाना बनकर तैयार, जनवरी अंत तक शुरू करेगा कार्य

उत्तराखंड का पहला बालमित्र पुलिस थाना इसी महीने अंत तक कार्य शुरू कर देगा। देहरादून के डानलवाला स्थित थाना के पास बालमित्र पुलिस थाना बनकर तैयार हो चुका है। यहां अपराध की दुनिया में कदम रखने वाले और गुमशुदा नाबालिगों को विशेष काउंसलिंग कराई जाएगी।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 10:12 AM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 05:16 PM (IST)
उत्तराखंड का पहला बाल मित्र थाना बनकर तैयार, जनवरी अंत तक शुरू करेगा कार्य
उत्तराखंड का पहला बाल मित्र थाना जनवरी अंत तक शुरू करेगा कार्य।

जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड का पहला बालमित्र पुलिस थाना इसी महीने अंत तक कार्य शुरू कर देगा। देहरादून के डानलवाला स्थित थाना के पास बालमित्र पुलिस थाना बनकर तैयार हो चुका है। यहां अपराध की दुनिया में कदम रखने वाले और गुमशुदा नाबालिगों को विशेष काउंसलिंग कराई जाएगी। साथ ही उन्हें बेहतर माहौल देने के लिए कक्ष की दीवारों पर कार्टून और परिसर में खेल के सामान भी रखे गए हैं।

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उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की देखरेख में डालनवाला थाना के पास तकरीबन पांच लाख रुपये की लागत से बाल मित्र थाना बनाया गया है। जो बीते दिसंबर तक बनकर तैयार हो चुका है। थाना का उद्घाटन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के हाथों नववर्ष के प्रथम सप्ताह में होना था, लेकिन उनके अस्वस्थ के चलते अब उद्घाटन इसी महीने के अंत तक होगा। इस परिसर में छोटे अपराधों या बाल श्रम जैसे अन्य मामलों में पकड़े गए बच्चों को काउंसलिंग दी जाएगी। 

बच्चे पुलिस से न डरें इसलिए बाल थाना में जाने के लिए अलग गेट और उनके लिए एक स्पेशल कमरा बनाया गया है। इस अलग कमरे में खिलौनों के साथ कॉमिक बुक्स और दीवारों पर डोरेमोन, छोटा भीम, मोगली से लेकर समेत कई कार्टून बनाए गए हैं। इसके साथ ही बच्चे के रहने के लिए दो बेड की व्यवस्था की गई है। यहां एक ऐसा माहौल बनाया गया है, जिससे कोई बच्चा पुलिस के साथ बातचीत करते समय असहज या किसी तरह का डर महसूस न करे। पुलिस भी सादी वर्दी में बच्चे के साथ रहेगी और जरूरत पड़ने पर आयोग, वन स्टॉप सेंटर और अस्पतालों से काउंसलर यहां बच्चों की काउंसलिंग भी करेंगे।

बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने बताया कि उत्तराखंड में कई बार देखा गया है कि बच्चा खो जाता है, इसके बाद कोई व्यक्ति उसे पुलिस चौकी, थाना लेकर जाते हैं तो बच्चा ज्यादा डर जाता है। बच्चा पुलिस के साथ बातचीत करते समय असहज या किसी तरह का डर महसूस न करे इसलिए इस कक्ष में पुलिसकर्मी भी सिविल ड्रेस में रहेंगे। थाने में पुलिस के अधिकारी नोडल अधिकारी होंगे। यहां सीडब्ल्यूसी सदस्य, चाइल्ड हेल्पलाइन और विधि प्राधिकरण के सदस्यों की भी तैनाती होगी। नाबालिगों को गलत रास्ते से सही रास्ते पर लाने के लिए काउंसलिंग भी की जाएगी।

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