Uttarakhand Weather News: पहाड़ी से मलबा गिरने से मसूरी-देहरादून राजमार्ग रहा तीन घंटे बाधित, मलबे में दबी सड़क किनारे खड़ी पर्यटकों की कार
Uttarakhand Weather News उत्तराखंड में वर्षा ने गर्मी से राहत दी है लेकिन भूस्खलन और मलबे ने परेशानी बढ़ा दी है। मंगलवार को मसूरी में मूसलधार वर्षा के बीच कई जगह सड़क पर मलबा आया। जिससे मार्ग अवरुद्ध हुए।
संवाद सहयोगी, मसूरी: मानसून की दस्तक से पहले ही भूस्खलन और मार्गों पर मलबा आने का क्रम शुरू हो गया है। मंगलवार को मूसलधार वर्षा के बीच मसूरी में कई मार्ग मलबा आने से अवरुद्ध हुए।
पहाड़ी से मलबा गिरने से भट्ठा गांव के समीप मसूरी-देहरादून राजमार्ग करीब तीन घंटे तक बाधित रहा। मलबे में सड़क किनारे खड़ी पर्यटकों की कार दब गई। हालांकि, उस समय कार में कोई मौजूद नहीं था।
वहीं, गलोगीधार भूस्खलन क्षेत्र में भी भूस्खलन होने से मलबा सड़क पर आ गया। लोनिवि ने जेसीबी लगाकर मलबा हटवाया।
मसूरी में मंगलवार को तड़के करीब चार बजे मूसलधार वर्षा शुरू हुई। वर्षा ने गर्मी और उमस से तो राहत दी, मगर मार्गों पर मलबा आदि आने से राहगीरों के लिए परेशानी खड़ी हो गई।
वर्षा के कारण भट्ठा गांव के समीप पहाड़ पर जमा मलबा पानी के साथ सड़क पर आ गया। भारी मात्रा में आए मलबे से सड़क बंद हो गई। गांव के समीप एक होटल में ठहरे पर्यटकों ने अपनी कार को सड़क किनारे पहाड़ की तरफ खड़ा किया था, जो कि मलबे के नीचे दब गई।
लोनिवि की जेसीबी ने मलबा हटाया, तब कार निकाली जा सकी। यहां सुबह करीब सात बजे सड़क खुली और यातायात सुचारु हो पाया। इधर, किंक्रेग-मैसानिक लाज मार्ग, कंपनी गार्डन मार्ग और गलोगीधार भूस्खलन क्षेत्र में भी वर्षा के कारण सड़क पर भारी मात्रा में मलबा जमा हो गया। इससे वाहन चालकों को काफी परेशानी हुई।
एसडीएम के आदेश पर भी नहीं खोले नाले-खाले, अब जनता झेल रही परेशानी
मंगलवार को जगह-जगह सड़क पर मलबा आने के कारण शहरवासियों और पर्यटकों ने जो परेशानी झेली, उसके लिए सिस्टम भी कम जिम्मेदार नहीं है। दरअसल, मसूरी में पहाड़ों और नालों-खालों में भारी मात्रा में भवन निर्माण आदि से निकला मलबा फेंका गया है।
अब यही मलबा परेशानी की वजह बन रहा है। मंगलवार को भट्ठा गांव के समीप पहाड़ी से सड़क पर गिरा मलबा भवन निर्माण आदि का ही था।
पर्यटन सीजन शुरू होने से पहले ही एसडीएम नरेश चंद्र दुर्गापाल ने लोनिवि, एमडीडीए सहित संबंधित अन्य विभागों को नालों-खालों को मलबा हटाकर खोलने के लिए निर्देशित किया था। लेकिन, अधिकारियों के कान में जूं नहीं रेंगी, जिसका नतीजा सामने है।