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Uttarakhand Tourism: देहरादून के पास स्थित इस झील को आपका इंतजार, बोटिंग संग विदेशी परिंदों का होगा दीदार

Uttarakhand Tourism देहरादून जिले के विकासनगर स्थित आसन कंजर्वेशन रिजर्व को अंतरराष्ट्रीय महत्व की साइट घोषित किया गया है। यह 444.40 हेक्टेयर भूभाग में फैला हुआ है। यहां आप बोटिंग करने के साथ ही दुलर्भ पक्षियों का दीदार भी कर सकते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraPublished: Sun, 27 Nov 2022 09:29 AM (IST)Updated: Sun, 27 Nov 2022 09:29 AM (IST)
Uttarakhand Tourism : आप बोटिंग करने के साथ ही दुलर्भ पक्षियों का दीदार भी कर सकते हैं।

राजेश पंवार, विकासनगर : Uttarakhand Tourism : देहरादून के नजदीक कई पर्यटक स्‍थल हैं, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी झील के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां आप प्रकृति के बीच कुछ समय बीता सकते हैं।

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हम बात कर रहे हैं आसन बैराज की। जहां आप बोटिंग करने के साथ ही दुलर्भ पक्षियों का दीदार भी कर सकते हैं।

444.40 हेक्टेयर भूभाग में फैला हुआ है आसन वेटलैंड

  • बता दें कि देहरादून जिले के विकासनगर स्थित आसन कंजर्वेशन रिजर्व को अंतरराष्ट्रीय महत्व की साइट घोषित किया गया है।
  • विकासनगर तहसील मुख्यालय से करीब 15 किमी दूर स्थित आसन झील और उसके आसपास के इलाके को 2005 में आसन कंजर्वेशन रिजर्व घोषित किया गया था।
  • यह 444.40 हेक्टेयर भूभाग में फैला हुआ है।
  • वहीं इस बार कई साल बाद दुर्लभ पलाश फिश ईगल का जोड़ा भी प्रवास पर आसन वेटलैंड पहुंचा है।
  • इसके साथ ही आसन वेटलैंड में प्रवास पर आई प्रजाति की संख्या 41 पहुंच गई है।
  • इन दिनों लगभग 3500 परिंदों के प्रवास पर होने के चलते आसन वेटलैंड में परिंदों का रंग-बिरंगा संसार महक रहा है।
  • परिंदों की संख्या बढ़ने पर उनकी सुरक्षा के लिए चकराता वन प्रभाग की की टीम रात-दिन गश्त कर रही हैं।
  • दुर्लभ पलाश फिश ईगल पहले वन आरक्षी प्रशिक्षण केंद्र के जंगल में सेमल के पेड़ पर घोसला बनाता था, लेकिन मानवीय दखल बढ़ने पर ईगल के इस जोड़े ने सेमल के पेड़ को छोड़ दिया।
  • बीते कुछ साल तो मात्र एक पलाश फिश ईगल ही यहां पहुंचा।
  • इस बार लंबे समय बाद प्रवास के सही समय में पलाश फिश ईगल का जोड़ा यहां आया है।
  • साथ ही उसने आशियाना बनाने के लिए सेमल का पेड़ तलाशना भी शुरू कर दिया है।

काफी भाता है पलाश फिश ईगल का जोड़ा

  • ईगल के जोड़े पर वनकर्मी चौबीसों घंटे नजर रखे हुए हैं।
  • साइबेरिया समेत अन्य प्रदेशों में ठंड का प्रकोप बढ़ने पर वैसे तो पक्षियों की अनेक प्रजाति यहां आती हैं, लेकिन पक्षी प्रेमियों को अस्थायी प्रवास पर आने वाले पलाश फिश ईगल का जोड़ा काफी भाता है।
  • दुर्लभ पलाश फिश ईगल मछलियों का शिकार करता है।
  • उसके शिकार करने के अंदाज को पक्षी प्रेमी कैमरे में कैद करने की कोशिश भी करते हैं।

इन देशों में पाया जाता है पलाश फिश ईगल

पलाश फिश ईगल अफगानिस्तान, उज्बेकिस्तान, चीन, पाकिस्तान, म्यांमार आदि देशों में पाया जाता है। सफेद सिर व पूंछ पर सफेद पट्टी के कारण आसानी से पहचाने जाने वाले पलाश फिश ईगल के जोड़े को देखने के लिए हर बार पक्षी प्रेमी बड़ी संख्या में यहां आते हैं।

बड़ी मुश्किल से पलाश फिश ईगल बदलते हैं अपना घोसला

चकराता वन प्रभाग के वन दारोगा प्रदीप सक्सेना के अनुसार दुर्लभ प्रजाति के पलाश फिश ईगल अपना घोसला बड़ी मुश्किल से बदलते हैं। वाच किया जा रहा है कि आखिर यह जोड़ा घोसला कहां बनाता है।

अभी तक आसन वेटलैंड पहुंचीं प्रजाति

देश के पहले कंजरवेशन रिजर्व एवं उत्तराखंड की पहली रामसर साइट आसन वेटलैंड में 41 प्रजाति के परिंदे प्रवास पर पहुंच चुके हैं। इनमें पलाश फिश ईगल, नार्दन पिनटेल्स, बार हेडेड गूज, ग्रे लेग गूज, वूली नेक्टड स्ट्राक, पर्पल हीरोन, ग्रे हेरोन, ग्रेट इग्रेट, लिटिल ग्रेब, ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब, व्हाइट थ्रोटेड किंगफिशर, पाइड किंगफिशर, स्ट्राक बिल्ड किंगफिशर, पर्पल स्वेमफेन, पाल्स गुल, स्टीपी ईगल, ग्रीफोन वल्चर आदि प्रजाति के करीब 3500 परिंदें मौजूद हैं।

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डीएफओ चकराता कल्याणी के निर्देश पर एसडीओ मुकुल कुमार, आरओ दाताराम कुकरेती, बीट आफिसर राहुल चौहान, वन दारोगा प्रदीप सक्सेना रात-दिन की गश्त करा रहे हैं। ताकि, प्रवासी परिंदों को कोई नुकसान न पहुंचे।

कैसे पहुंच सकते हैं आसन वेटलैंड?

इसके लिए पहले आपको देहरादून पहुंचना होगा। देहरादून के लिए बड़े शहरों से ट्रेन, बस और हवाई सफर की सुविधा उपलब्‍ध है। आसन बैराज पौंटा साहिब के रास्ते पर पड़ेगा। यह देहरादून से 38 किमी दूर पर स्थित है। आप यहां रोडवेज बस, टैक्सी या फिर अपने वाहन से जा सकते हैं।


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