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उत्तराखंड: छात्रवृत्ति में खेल, बिना मान्यता पर चल रहे संस्थानों के खातों में भेजी धनराशि

जिला समाज कल्याण अधिकारी रहे अनुराग शंखधर ने बिना किसी जांच के ही शैक्षणिक संस्थानों के खातों में छात्रवृत्ति की धनराशि भेज दी। वहीं आरोप यह भी है कि शंखधर ने ऐसे संस्थानों को भी धनराशि आवंटित की जो बिना मान्यता के चल रहे थे।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Sun, 05 Sep 2021 02:21 PM (IST)Updated: Sun, 05 Sep 2021 02:21 PM (IST)
उत्तराखंड: छात्रवृत्ति में खेल, बिना मान्यता पर चल रहे संस्थानों के खातों में भेजी धनराशि
छात्रवृत्ति में खेल, बिना मान्यता पर चल रहे संस्थानों के खातों में भेजी धनराशि।

जागरण संवाददाता, देहरादून। देहरादून, हरिद्वार और उधमसिंह नगर में जिला समाज कल्याण अधिकारी रहे अनुराग शंखधर ने बिना किसी जांच के ही शैक्षणिक संस्थानों के खातों में छात्रवृत्ति की धनराशि भेज दी। वहीं आरोप यह भी है कि शंखधर ने ऐसे संस्थानों को भी धनराशि आवंटित की, जो बिना मान्यता के चल रहे थे।

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एसआइटी की जांच के दौरान यह भी पाया गया कि अनुराग शंखधर ने हरिद्वार व देहरादून जिले में तैनाती के दौरान स्ववित्तपोषित शैक्षणिक संस्थानों के स्वामी व संचालकों के साथ मिलकर अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्र-छात्राओं के खातों के बजाय सीधे संस्थानों के खातों में धनराशि डाली। आरोपित ने शैक्षणिक संस्थानों के संचालकों के साथ मिलकर छात्र-छात्राओं के फर्जी प्रवेश दिखाए।

इससे पहले छात्रवृत्ति घोटाले में स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम ने 14 अगस्त को पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी रामअवतार सिंह को भी गिरफ्तार किया था। उनपर भी उत्तराखंड के बाहर के कालेजों के खातों में 14 लाख, 52 हजार रुपये भेजने का आरोप है।

2018 में गठित हुई थी एसआइटी

समाज कल्याण विभाग में हुए चर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में देहरादून निवासी रङ्क्षवद्र जुगरान ने जनहित याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने कहा था कि समाज कल्याण विभाग की ओर से वर्ष 2003 से वर्ष 2017 तक अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को छात्रवृत्ति का पैसा देने की बजाय घोटाला किया गया है। वर्ष 2018 में इसकी जांच के लिए हाईकोर्ट के आदेश पर एसआइटी गठित की गई थी। मामले में अब तक हरिद्वार जिले में 43 और देहरादून में 13 लोग की गिरफ्तारी हो चुकी है।

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दाखिल की थी अग्रिम जमानत याचिका

59 मुकदमों में वांछित चल रहे शंखधर ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर कर दी थी। आरोपित ने अपनी जमानत याचिका में स्वयं को निर्दोष बताते हुए अन्य स्टाफ पर उन्हें फंसाने का आरोप लगाया था, लेकिन अदालत ने याचिका खारिज कर दी थी।

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