Move to Jagran APP

सत्ता के गलियारे से: राजनीति में बदलते रिश्ते, कोई हरदा से पूछे

Uttarakhand Politics पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कांग्रेस के दिग्गजों में शुमार हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा और पूर्व अध्यक्ष प्रीतम सिंह कभी उनके खास हुआ करते थे लेकिन इन दिनों मामला छत्तीस के आंकड़े का है।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraMon, 06 Feb 2023 08:48 AM (IST)
सत्ता के गलियारे से: राजनीति में बदलते रिश्ते, कोई हरदा से पूछे
Uttarakhand Politics : पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, File Photo

विकास धूलिया, देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कांग्रेस के दिग्गजों में शुमार हैं। केंद्र में भी मंत्री रह चुके हैं। राजनीति में रिश्ते बदलते रहते हैं, शायद हरदा से अधिक कोई इस बात को नहीं समझ सकता। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा और पूर्व अध्यक्ष प्रीतम सिंह कभी उनके खास हुआ करते थे, लेकिन इन दिनों मामला छत्तीस के आंकड़े का है। उधर, हरदा के पुत्र आनंद रावत हैं कि प्रीतम के फैन हो रहे हैं।

इंटरनेट मीडिया में आनंद ने एक पोस्ट लिखी, 'प्रीतम सिंह कांग्रेस में मेरे पसंदीदा नेता हैं। जब मैं युवा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष था, अक्सर मार्गदर्शन के लिए उन्हें युवा कांग्रेस के कार्यक्रमों में आमंत्रित करता था।' आनंद की दिल से लिखी इस पोस्ट से साफ है कि वह प्रीतम से कितने गहरे तक प्रभावित हैं। वैसे कहने वाले यह भी कह रहे कि हरदा ने बेटी अनुपमा को राजनीतिक विरासत सौंपी, इसलिए भी यह दर्द झलका है।

इस राजनीतिक धारावाहिक के शेष हैं कुछ एपीसोड

चमोली जिला पंचायत अध्यक्ष पद को लेकर इन दिनों भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हैं। दरअसल, यहां जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर काबिज हैं रजनी भंडारी, जो कांग्रेस विधायक राजेंद्र भंडारी की पत्नी हैं। लगभग 10-11 साल पुराने एक मामले में शासन ने रजनी भंडारी को पद से हटा दिया। अब बात जब विपक्ष के एक विधायक की पत्नी से संबंधित हो तो इसका मुद्दा बनना ही था। हुआ भी ऐसा ही। दोनों दल इसे लेकर एक-दूसरे पर वार-पलटवार में जुटे पड़े हैं।

उधर, रजनी भंडारी को नैनीताल हाईकोर्ट से राहत मिल गई तो कांग्रेस को एक मौका और हासिल हो गया भाजपा को कठघरे में खड़ा करने का। जवाब देने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट आगे आए। बोले, हाईकोर्ट ने अनियमितताओं को नकारा नहीं है। जो प्रक्रिया की कमी बताई गई है, उसका निस्तारण सरकार कार्यवाही जल्द पूर्ण करेगी। यानी, इस राजनीतिक धारावाहिक के कुछ एपीसोड अभी भी बाकी हैं।

मंत्रीजी हैं कि अब भी मानते ही नहीं

मंत्रीजी हैं कि मानते ही नहीं। अंतरराष्ट्रीय स्तर के एक विवाद के केंद्र में रह चुके हैं, मगर इसे लंबा अरसा गुजर गया, इसलिए बिसरा गए। हाल में जबान से कुछ ऐसा निकल गया कि कांग्रेस ने पूरे राज्य में पुतले फूक डाले। इनसे एक सवाल किया गया था, राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कही गई एक बात पर। अति उत्साही मंत्रीजी बोल गए कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने बलिदान नहीं दिया, हादसे के कारण उनकी मृत्यु हुई।

बवाल तो होना ही था। हद तो तब हो गई, जब कांग्रेस प्रदेश संगठन के पूर्व मुखिया प्रीतम सिंह से इस पर प्रतिक्रिया मांगी गई। प्रीतम बोले, लगता है मंत्री नहीं, किसी सड़कछाप गुंडे की जबान है। दरअसल, इसीलिए मंत्रीजी का नाम देने से गुरेज किया, अच्छा नहीं लगता। यह बात दीगर है कि मंत्रीजी का नाम लेकर हर कांग्रेसी पानी पी-पीकर कोस रहा है।

कद्दावर नेताओं का टोटा चुनावी चिंता का सबब

लोकसभा चुनाव के लिए लगभग सवा साल का ही समय शेष है। पिछले दो चुनावों में पांचों लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज कर भाजपा ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया। अब कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू की तो पार्टी इस बात से परेशान कि किसे चुनाव लड़ाया जाए। एक हरिद्वार सीट को अगर छोड़ दिया जाए तो कांग्रेस के पास ऐसे कद्दावर नेताओं का टोटा नजर आ रहा है, जिन्हें मैदान में उतारा जा सके।

गिने-चुने नेता हैं, कभी विधानसभा और राज्यसभा चुनाव लड़े, जीते, उन्हें ही लोकसभा चुनाव लड़ाओ। कुछ सीटों पर ठीकठाक जनाधार वाले नेता हैं, उन्हें चुनाव में दिलचस्पी ही नहीं। पिछले नौ वर्षों में जिस तरह उत्तराखंड में भाजपा ने विजय रथ पर सवार होकर कांग्रेस की दुर्गति की है, वह भी इसका एक बड़ा कारण माना जा सकता है। इसीलिए पार्टी के बड़े नेताओं को चुनाव की चिंता खाए जा रही है।