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डिग्री-डिप्लोमाधारी नर्सिंग बेरोजगारों के समर्थन में उतरा उत्तराखंड क्रांति दल, की ये मांग

उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) डिग्री-डिप्लोमाधारी नर्सिंग बेरोजगारों के समर्थन में उतरा है। दल ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार बेरोजगारों को रोजगार के अवसरों से वंचित करने के लिए नए-नए मानक अपना रही है। उक्रांद नेता शिव प्रसाद सेमवाल ने पार्टी कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा ये कहा।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 27 Dec 2020 10:19 AM (IST)Updated: Sun, 27 Dec 2020 10:19 AM (IST)
डिग्री-डिप्लोमाधारी नर्सिंग बेरोजगारों के समर्थन में उतरा उत्तराखंड क्रांति दल, की ये मांग।

जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) डिग्री-डिप्लोमाधारी नर्सिंग बेरोजगारों के समर्थन में उतरा है। दल ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार बेरोजगारों को रोजगार के अवसरों से वंचित करने के लिए नए-नए मानक अपना रही है। उक्रांद नेता शिव प्रसाद सेमवाल ने शनिवार को पार्टी कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि वर्ष 2011 के बाद पहली बार स्टाफ नर्सों के रिक्त पदों पर सीधी भर्ती की जा रही है, लेकिन सरकार की ओर से मांगे जा रहे 30 बेड वाले अस्पताल से एक साल के कार्यानुभव की अनिवार्यता और आयकर फार्म-16 के मानक से हजारों नर्सिंग डिग्री-डिप्लोमाधारी छात्र परीक्षा में बैठने से वंचित रह जाएंगे।

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उन्होंने मांग की है कि सरकार इन मानकों की अनिवार्यता को समाप्त कर सभी बेरोजगार नर्सिंग छात्रों को परीक्षा में शामिल होने का अवसर दें। कहा कि पर्वतीय जिलों में कोई भी इतना बड़ा अस्पताल नहीं है। ऐसे में प्रशिक्षित बेरोजगारों से एक साल का कार्यानुभव प्रमाण पत्र मांगना न्यायोचित नहीं है। कहा कि हिमाचल प्रदेश, उप्र, हरियाणा आदि राज्यों में भी परीक्षा में शामिल होने के लिए अभ्यॢथयों को इस तरह के अनुभव की अनिवार्यता नहीं है। केंद्रीय संगठन मंत्री संजय बहुगुणा ने कहा कि अनुभव प्रमाण पत्र व आयकर फार्म की अनिवार्यता भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठाती है। कहा कि तीन-चार वर्षीय नॄसग पाठ्यक्रम के दौरान छात्र साठ से 70 फीसद प्रशिक्षण अस्पतालों में क्लिनिकल कार्य के रूप में प्राप्त करते हैं। इसके बाद भी उनसे एक साल का कार्यानुभव प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है। 

शीतकालीन अवकाश को रद करने का आदेश हो निरस्त

उक्रांद ने शिक्षकों के शीतकालीन अवकाश को रद करने के आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने की मांग की है। इस संदर्भ में उक्रांद कार्यकत्र्ताओं ने शनिवार को शिक्षा मंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। जिसमें कहा गया है कि 10वीं व 12वीं के छात्रों को पढ़ाने वाले शिक्षकों का शीतकालीन अवकाश रद करने के आदेश शासन द्वारा जारी किए गए हैं। जबकि अन्य शिक्षकों को इस आदेश से बाहर रखा गया है।

कहा कि देश-दुनिया की तरह उत्तराखंड मे भी कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है। शिक्षकों ने कोरोनाकाल में संस्थागत क्वारंटाइन सेंटर आदि जगह ड्यूटी की है। साथ ही बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाने में भी शिक्षक व्यस्त रहे हैं, लेकिन अब उनका शीतकालीन अवकाश रद किया जा रहा है। यह शिक्षकों का उत्पीड़न करने जैसा आदेश है। कहा कि शिक्षकों को दो भागों में विभक्त करना भी गलत है। ज्ञापन सौंपने वालों में दल के महामंत्री जय प्रकाश उपाध्याय, जिलाध्यक्ष बीए बौड़ाई, राजेंद्र बिष्ट, धर्मेंद्र कठैत, विजेंद्र रावत, रतन सिंह राणा, राजेंद्र प्रधान, अरविंद बिष्ट आदि शामिल रहे।

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