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उत्तराखंड वेतन खर्च में संपन्न राज्यों से भी आगे, यूपी-पंजाब और दिल्ली जैसे बड़े राज्य भी काफी पीछे

Salary Expenditure वेतन पर खर्च करने के मामले में उत्तराखंड ने संपन्न और बड़े राज्यों को पछाड़ दिया है। उत्तरप्रदेश पंजाब राजस्थान तमिलनाडु पश्चिम बंगाल और दिल्ली जैसे राज्य भी अपने कुल खर्च की तुलना में वेतन पर खर्च करने में उत्तराखंड से कहीं पीछे हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Tue, 21 Sep 2021 08:18 AM (IST)Updated: Tue, 21 Sep 2021 11:57 AM (IST)
उत्तराखंड वेतन खर्च में संपन्न राज्यों से भी आगे, यूपी-पंजाब और दिल्ली जैसे बड़े राज्य भी काफी पीछे
उत्तराखंड वेतन खर्च में संपन्न राज्यों से भी आगे।

रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून। Salary Expenditure त्तराखंड ने वेतन पर खर्च करने के मामले में संपन्न और बड़े राज्यों को पछाड़ दिया है। उत्तरप्रदेश, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और दिल्ली जैसे राज्य भी अपने कुल खर्च की तुलना में वेतन पर खर्च करने में उत्तराखंड से कहीं पीछे हैं। कोरोना संकट काल में अर्थ व्यवस्था के गहरे सदमे डूबे रहने के बावजूद राज्य के कुल खर्च में वेतन की हिस्सेदारी बढ़कर 32.81 फीसद पहुंच गई। इसका स्याह पक्ष भी है। हालात इसकदर रहे तो विकास कार्यों के लिए धन की व्यवस्था तो दूर की बात, आने वाले वर्षों में वेतन और पेंशन का भुगतान कर्ज की बड़ी राशि लेकर ही मुमकिन होगा।

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आमदनी बढ़ाने और विकास कार्यों पर खर्च करने के मामले में उत्तराखंड भले ही लाचार दिखाई दे, लेकिन वेतन मद में यह हिमालयी राज्य देश में सर्वाधिक खर्च कर रहा है। जिस उत्तरप्रदेश की कोख से इसका जन्म हुआ, वहां भी वेतन खर्च की हिस्सेदारी महज 15.15 फीसद है। उत्तरप्रदेश की तुलना में यह राज्य वेतन देने पर ही तकरीबन दोगुना खर्च कर रहा है। पर्वतीय और छोटे राज्य के रूप में उत्तराखंड की स्थापना के पीछे मूल मंशा पिछड़ेपन से उबरकर विकास की ओर बढ़ने की ललक रही है। विकास की ओर बढ़ते ये कदम महज 20 वर्षों में ही बुरी तरह लडख़ड़ाने लगे हैं।

वेतन तीन गुना, पेंशन पांच गुना से ज्यादा बढ़ा

बजट का बड़ा हिस्सा गैर विकास मदों में खर्च हो रहा है। गैर विकास कार्यों पर होने वाले खर्चों में भी सबसे बड़ी भागीदारी वेतन की है। इसमें पेंशन भुगतान को शामिल किया जाए तो यह खर्च और भी ज्यादा हो जाता है। 2010-11 से लेकर अब तक दस वर्षों में कर्मचारियों के वेतन-भत्तों पर खर्च 4966 करोड़ से बढ़कर 14951 करोड़ यानी तीन गुना हो चुका है। पेंशन पर खर्च 1142 करोड़ से 6297 करोड़ पहुंच गया है। पेंशन खर्च में वृद्धि साढ़े पांच गुना है। 2020-21 के पुनरीक्षित अनुमान के मुताबिक राज्य के कुल राजस्व खर्च 40,091 करोड़ में सरकारी कर्मचारियों के वेतन पर 14951 करोड़ खर्च हुआ। पेंशन भुगतान पर 6297 करोड़ खर्च किए गए।

कोरोना काल में बड़े राज्यों ने

वेतन खर्च में पीछे खींचे हाथ

कोरोना संकट काल में उत्तराखंड को छोड़कर सभी बड़े राज्यों में वेतन खर्च में गिरावट देखी गई। आश्चर्यजनक तरीके से उत्तराखंड में इस दौरान भी वेतन मद में 0.85 फीसद ज्यादा खर्च हुआ है। 2019-20 की तुलना में 2020-21 में वेतन पर खर्च 31.96 फीसद से बढ़कर 32.81 फीसद हो चुका है। उत्तरप्रदेश में यह वृद्धि 0.74 फीसद रही। दिल्ली समेत कई राज्यों ने कोरोना काल में वेतन खर्च पर हाथ पीछे खींचे हैं। कुल खर्चों में वेतन पर खर्च का राष्ट्रीय औसत 21.14 फीसद अनुमानित है। जाहिर है उत्तराखंड राष्ट्रीय औसत से काफी ज्यादा खर्च कर रहा है।

वित्त सचिव अमित सिंह नेगी ने बताया कि राज्य के कुल खर्च में वेतन खर्च की हिस्सेदारी बढ़ रही है। आज उत्तराखंड वेतन पर सर्वाधिक खर्च करने वाले राज्यों में शुमार हो चुका है। वेतन बढऩे से पेंशन पर होने वाला खर्च भी स्वाभाविक तौर पर बढ़ता है।

राज्यवार कुल खर्च की तुलना में वेतन पर इसतरह हो रहा खर्च: (फीसद में)

राज्य, 2019-20, 2020-21

उत्तरप्रदेश, 14.41, 15.15

पंजाब, 27.97, 25.87

राजस्थान, 27.56, 27.05

दिल्ली, 23.59, 22.42

बंगाल, 24.80, 25.09

जेएंडके, 33.95, 31.98

सभी राज्य(औसत), 22.16, 21.14

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