उत्तराखंड में होम स्टे से गुलजार हो रहे सुनसान पड़े गांव, पांच शर्तें पूरी करने के बाद आप भी कर सकते हैं आवेदन
Uttarakhand Home Stay Yojana पर्यटन सीजन में अक्सर होटल फुल हो जाते हैं ऐसे में होम स्टे ही पर्यटकों का सहारा बनते हैं। होम स्टे से जहां स्थानीय लोगों को रोजगार का जरिया बनता है वहीं होटल से सस्ता होने के कारण पर्यटकों को भी बहुत आकर्षित करता है।
जागरण संवाददाता, देहरादून : Uttarakhand Home Stay Yojana : उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में पलायन को रोकने में होम स्टे योजना मददगार साबित हो रही है। इससे देश और दुनिया भर के पर्यटकों में उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरागत व्यंजनों के बारे में पता चल रहा है। वहीं सुनसान पड़े गांव भी गुलजार हो रहे हैं। होम स्टे से जहां स्थानीय लोगों को रोजगार का जरिया बनता है वहीं होटल से सस्ता होने के कारण पर्यटकों को भी बहुत आकर्षित करता है।
30 लाख रुपये तक ऋण मुहैया करा रहा पर्यटन विभाग
पर्यटन सीजन में अक्सर होटल फुल हो जाते हैं, ऐसे में होम स्टे ही पर्यटकों का सहारा बनते हैं। सरकार पलायन रोकने के लिए व क्षेत्र में ही रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से होम स्टे बनाने के लिए अच्छी खासी सब्सिडी भी देती है। पर्यटन विभाग 30 लाख रुपये तक ऋण मुहैया करा रहा है। इतना ही नहीं ऋण पर 50 फीसद सब्सिडी है। बैंक ब्याज पर 50 प्रतिशत और अधिकतम 1.50 लाख रुपये प्रति वर्ष भी पर्यटन विभाग जमा करेगा। ऋण जमा करने के लिए पांच वर्ष का समय दिया गया है।
कैसे करें आवेदन
आनलाइन या फिर आफलाइन पर्यटन विभाग में आवेदन करना होता है। आनलाइन के पर्यटन विभाग की वेबसाइट https://uttarakhandtourism.gov.in/ पर आवेदन करना होगा।
इन डाक्यूमेंट को करें अपलोड
होम स्टे बनाने के लिए भूमि संबंधित प्रमाणपत्र, आगणन, ग्राम प्रधान से एनओसी, स्थायी निवास प्रमाणपत्र, आधार कार्ड और बैंक से सहमति लेना जरूरी है।
चयन प्रक्रिया
लाभार्थियों का चयन जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किया जाता है। इस समिति में मुख्य विकास अधिकारी, पर्यटन विभाग के अधिकारी, अग्रणी बैंक प्रबन्धक, महाप्रबन्धक जिला उधोग केन्द्र और परिवहन विभाग सदस्य के रूप में सम्मिलित होते हैं।
शर्तें
- मकान मालिक अपने परिवार के साथ भवन में भौतिक रूप से रह रहा हो।
- होम स्टे योजना के तहत भवन का पंजीकरण कराना अनिवार्य।
- भवन में 1 से 6 कमरों की व्यवस्था।
- पारम्परिक / पहाड़ी शैली में निर्मित भवनों को प्राथमिकता।
- यह योजना नगर निगम क्षेत्र को छोड़कर संपूर्ण प्रदेश में लागू होगी।