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उत्‍तराखंड: तो पर्यटकों के लिए खुलेगी हर्षिल घाटी

उत्तरकाशी की हर्षिल घाटी आदि स्थानों को इनर लाइन से मुक्त करने व पर्यटकों के आवागमन पर लगी पाबंदी हटाने को लेकर राज्य सरकार ने कसरत शुरू कर दी। राज्यपाल डॉ. केके पाल के निर्देश पर गृह विभाग इस मामले की रिपोर्ट तैयार करने में जुट गया है।

By sunil negiEdited By: Published: Fri, 06 May 2016 11:12 AM (IST)Updated: Fri, 06 May 2016 11:15 AM (IST)
उत्‍तराखंड: तो पर्यटकों के लिए खुलेगी हर्षिल घाटी

देहरादून। उत्तरकाशी की हर्षिल घाटी आदि स्थानों को इनर लाइन से मुक्त करने व पर्यटकों के आवागमन पर लगी पाबंदी हटाने को लेकर राज्य सरकार ने कसरत शुरू कर दी। राज्यपाल डॉ. केके पाल के निर्देश पर गृह विभाग इस मामले की रिपोर्ट तैयार करने में जुट गया है। गृह विभाग जिलाधिकारी की संस्तुति के साथ इसकी रिपोर्ट जल्द ही केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजने जा रहा है। प्रमुख सचिव गृह डॉ. उमाकांत पंवार ने इसकी पुष्टि की है।
उत्तरकाशी जिले की सीमांत हर्षिल घाटी अपने नैसर्गिक सौंदर्य के लिए विख्यात है, जहां विदेशी पर्यटक भारी संख्या में आते रहे हैं। सामरिक दृष्टि से संवेदनशील यह घाटी इनर लाइन के अंतर्गत होने के कारण विदेशी पर्यटकों के यहां रात्रि विश्राम पर पाबंदी है।

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उत्तरकाशी में लंबे समय से हर्षिल घाटी को इनर लाइन से मुक्त करने की मांग उठती रही है। बीती 27 अप्रैल को क्षेत्रवासियों की इस पुरानी मांग को देखते हुए जिलाधिकारी श्रीधर बाबू अदांकी भी इस घाटी को इनर लाइन से मुक्त करने के संबंध में शासन को अपनी संस्तुति भेज चुके हैं।


शासन को भेजी अपनी संस्तुति में डीएम उत्तरकाशी ने कहा कि सामरिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील नेलांग घाटी को इनर लाइन से मुक्त किया जाना संभव नहीं है, मगर घाटी में पर्यटकों को सिंगल विंडो सिस्टम के जरिए प्रवेश की अनुमति दी जा सकती है।

हर्षिल बाजार में जीएमवीएन के पर्यटक आवास, इंटर कालेज आदि इनर लाइन अधिसूचित क्षेत्र में पड़ते हैं, मगर पाबंदी की वजह से पर्यटकों को वहां रात्रि विश्राम की अनुमति नहीं है। ऐसे में ग्राम बगोड़ी तक के क्षेत्र को इनर लाइन के अधिसूचित क्षेत्र की सीमा से हटाया जाना उचित होगा।
ताकि, सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इनर लाइन क्षेत्र भी सुरक्षित रहे और पर्यटकों का आवागमन भी हर्षिल घाटी में बना रहे। स्थानीय भाजपा नेता लोकेंद्र बिष्ट व राजेंद्र काला ने राज्यपाल डा. केके पाल के समक्ष यह मुद्दा उठाया।

राज्यपाल ने इस संबंध में प्रमुख सचिव गृह डा. उमाकांत पंवार को कार्यवाही के निर्देश दिए। गृह विभाग ने इस मामले में जल्द ही केंद्रीय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेजने की बात कही है।
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