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Uttarakhand Forest: बांज के जंगलों से हटेगा चीड़, रणनीति बनाने में जुटा विभाग; क्‍यों हो रहा ऐसा पढ़ें यहां?

Uttarakhand Forest उत्तराखंड में हर साल जंगलों में आग के फैलाव का बड़ा कारण बनने वाले चीड़ ने अब बांज वनों में भी तेजी से पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। इस कारण वन विभाग अब बांज के जंगलों से चीड़ के पेड़ हटाने को रणनीति बनाने में जुट गया है जिसे जल्द ही धरातल पर मूर्त रूप दिया जाएगा।

By kedar duttEdited By: Nirmala BohraPublished: Tue, 25 Jul 2023 08:12 AM (IST)Updated: Tue, 25 Jul 2023 08:12 AM (IST)
Uttarakhand Forest: उत्तराखंड में बांज के जंगलों से हटेंगे चीड़ के पेड़

राज्य ब्यूरो, देहरादून: Uttarakhand Forest: उत्तराखंड में हर साल जंगलों में आग के फैलाव का बड़ा कारण बनने वाले चीड़ ने अब बांज वनों में भी तेजी से पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। इसके चलते बांज के जंगलों की जैव विविधता पर मंडराते खतरे को देखते हुए सरकार भी चौकन्नी हो गई है।

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वन मंत्री सुबोध उनियाल के निर्देेशों के क्रम में वन विभाग अब बांज के जंगलों से चीड़ के पेड़ हटाने को रणनीति बनाने में जुट गया है, जिसे जल्द ही धरातल पर मूर्त रूप दिया जाएगा।

16 प्रतिशत हिस्से में चीड़ के जंगल

आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो राज्य में 25863.18 वर्ग किलोमीटर में फैले जंगलों का जिम्मा विशुद्ध रूप से वन विभाग के पास है। इसमें लगभग 16 प्रतिशत हिस्से में चीड़ (चिर पाइन) के जंगल हैंं। चीड़ के जंगलों से प्रतिवर्ष 23.66 लाख मीट्रिक टन पत्तियां गिरती हैं, जिन्हें स्थानीय बोली में पिरुल कहा जाता है।

पिरुल में अम्लीय गुण होने के कारण जहां, इसे भूमि के लिए अच्छा नहीं माना जाता, वहीं इसकी परत बिछी होने के कारण वर्षा का पानी जमीन में नहीं समा पाता। यही नहीं, गर्मियों में सूखने पर यही पिरुल जंगल की आग में घी का काम करता है।

इस सबको देखते हुए वन विभाग ने वर्ष 2004 से चीड़ का रोपण बंद कर दिया था, लेकिन यह प्राकृतिक रूप से तेजी से पनप रहा है। चीड़ के बीज हवा में उड़कर अन्य जंगलों में पहुंच रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में चीड़ ने पांच हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर स्थित बांज (ओक) के जंगलों में भी दस्तक दी है।

तमाम स्थानों पर बांज के बीच चीड़ के पेड़ देखे जा सकते हैं। असल में बांज सदाबहार वृक्ष होने के साथ ही जल संरक्षण में सहायक है। ऐसे में चिंता सताने लगी है कि यदि बांज वनों में चीड़ का प्रसार नहीं रोका गया तो इसके बड़े दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जताई थी चिंता

कुछ समय पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी चीड़ के बांज वनों में फैलाव पर चिंता जताते हुए इससे निबटने के लिए प्रभावी रणनीति बनाने पर जोर दिया था।

वन मंत्री सुबोध उनियाल ने भी विभागीय अधिकारियों को बांज वनों का विस्तृत अध्ययन कर वहां से चीड़ वनों को कैसे हटाया जा सकता है, इसकी कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए थे।

वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक अनूप मलिक के अनुसार इस सिलसिले में रणनीति बनाई जा रही है। जल्द ही इसे उच्चाधिकारियों के समक्ष रखा जाएगा।


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