Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उत्तराखंड: राजनीतिक दलों के लिए अहम है एससी वोट बैंक, हर सीट पर इनकी ताकत 10 से 15 प्रतिशत तक

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Wed, 17 Nov 2021 09:17 AM (IST)

    Uttarakhand Election 2022 राजनीतिक दलों ने अपनी फील्डिंग सजानी शुरू कर दी है। सभी का एक ही लक्ष्य है कि येन-केन-प्रकारेण मतदाताओं को अपने पक्ष में किया जाए। इस लिहाज से देखें तो राजनीतिक दलों के लिए अनुसूचित जाति (एससी) के मतदाता खासा महत्व रखते हैं।

    Hero Image
    राजनीतिक दलों के लिए अहम है एससी वोट बैंक।

    राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Election 2022 उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं तो राजनीतिक दलों ने अपनी फील्डिंग सजानी शुरू कर दी है। सभी का एक ही लक्ष्य है कि येन-केन-प्रकारेण मतदाताओं को अपने पक्ष में किया जाए। इस लिहाज से देखें तो राजनीतिक दलों के लिए अनुसूचित जाति (एससी) के मतदाता खासा महत्व रखते हैं। यह स्वाभाविक भी है, क्योंकि हर जिले और विधानसभा की लगभग हर सीट पर इनकी ताकत 10 से 15 प्रतिशत तक है। कुछ सीटों पर तो अनुसूचित जाति के मतदाता निर्णायक भूमिका में भी हैं। यही वजह है कि उत्तराखंड में राजनीतिक दलों का इस वोट बैंक पर खास फोकस रहता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उत्तराखंड की वर्तमान विधानसभा की तस्वीर देखें तो 70 में से 12 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। पिछले चुनाव में एससी के लिए आरक्षित 12 में 10 सीटों पर भाजपा और दो पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। अब जरा जनसंख्या के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश की आबादी 10086292 है। इनमें अनुसूचित जाति की आबादी 1892516 है। यही वजह है कि चुनाव के वक्त राजनीतिक दलों की नजर अनुसूचित जाति के मतदाताओं पर अधिक रहती है।

    राजनीतिक नजरिये से अभी तक की स्थिति देखें तो पर्वतीय क्षेत्रों में अनुसूचित जाति का वोट बैंक परंपरागत रूप से कांग्रेस का माना जाता रहा है, जबकि मैदानी क्षेत्र में इस पर एक दौर में बसपा, सपा का प्रभाव रहा है। राज्य गठन के बाद 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में बसपा को सात सीटें हासिल हुई थीं, जो अब शून्य पर सिमट चुकी है। अलबत्ता, सपा यहां कभी खाता नहीं खोल पाई।

    इस बीच भाजपा का प्रदेश में वर्चस्व बढ़ा तो उसने अनुसूचित जाति के मतदाताओं के बीच भी मजबूत पैठ बनाई। पिछले विधानसभा चुनाव में पर्वतीय और मैदानी क्षेत्र की अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर भाजपा की जबरदस्त बढ़त इसकी तस्दीक करती है। इसीलिए आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने अपने अनुसूचित जाति मोर्चा को सक्रिय करने की रणनीति तैयार की है।

    राजनीतिक दलों के लिए अनुसूचित जाति के मतदाताओं की अहमियत कितनी है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस की चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने अनुसूचित जाति के व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाने का शिगूफा छोड़ा है। कांग्रेस भी अनुसूचित जाति के मतदाताओं को रिझाने में लगी हुई है। दरअसल, विधानसभा की कुछ सीटों पर अनुसूचित जाति के मतदाता ही प्रत्याशी की किस्मत तय करते हैं। वैसे भी यहां की विधानसभा सीटों पर निर्णय काफी कम अंतर से होता रहा है। ऐसे में जो अनुसूचित जाति के मतदाताओं को अपने पक्ष में कर ले, उसे उम्मीद बंधी रहती है।

    वर्तमान में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटें

    विधानसभा क्षेत्र, दल

    पुरोला, कांग्रेस (अब रिक्त)

    घनसाली, भाजपा

    राजपुर रोड, भाजपा

    ज्वालापुर, भाजपा

    झबरेड़ा, भाजपा

    पौड़ी, भाजपा

    गंगोलीहाट, भाजपा

    बागेश्वर, भाजपा

    सोमेश्वर, भाजपा

    नैनीताल, भाजपा (अब रिक्त)

    बाजपुर, भाजपा (अब रिक्त)

    भगवानपुर, कांग्रेस

    जिलेवार अनुसूचित जाति की जनसंख्या

    जिला, जनसंख्या

    हरिद्वार, 411274

    ऊधमसिंह नगर, 238264

    देहरादून, 228901

    नैनीताल, 191206

    अल्मोड़ा, 150995

    पौड़ी, 122361

    पिथौरागढ़, 120378

    टिहरी, 102130

    उत्तरकाशी, 80567

    चमोली, 79317

    बागेश्वर, 72061

    रुद्रप्रयाग, 47679

    चम्पावत, 47383

    (स्रोत सांख्यिकीय डायरी : वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार)

    यह भी पढ़ें- उत्तराखंड में राजस्थान के फार्मूले पर कांग्रेस का चुनाव प्रबंधन, छोटे क्षेत्रों में माहौल बनाने में जुटे कई राज्यों के नेता