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Uttarakhand Election 2022: भाजपा को 2017 में गढ़वाल में 34, कुमाऊं में 23 सीटें मिली

Uttarakhand Vidhan Sabha Election 2022 पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रदर्शन पर नजर दौड़ाएं तो पहाड़ से लेकर मैदान तक राज्य के लगभग 81 प्रतिशत से ज्यादा हिस्से में कमल खिला। विधानसभा की 70 में से 57 सीटें भाजपा की झोली में गईं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 10 Jan 2022 10:23 AM (IST)Updated: Mon, 10 Jan 2022 10:23 AM (IST)
Uttarakhand Election 2022: भाजपा को 2017 में गढ़वाल में 34, कुमाऊं में 23 सीटें मिली
पिछले चुनाव में पहाड़ से लेकर मैदान तक राज्य के लगभग 81 प्रतिशत से ज्यादा हिस्से में कमल खिला।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रदर्शन पर नजर दौड़ाएं तो पहाड़ से लेकर मैदान तक राज्य के लगभग 81 प्रतिशत से ज्यादा हिस्से में कमल खिला। विधानसभा की 70 में से 57 सीटें भाजपा की झोली में गईं और मुख्य विपक्षी दल 11 के आंकड़े पर सिमट गया। दो सीटें निर्दलीयों के खाते में गईं, जो अब भाजपा का हिस्सा बन चुके हैं।

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पर्वतीय व मैदानी भूगोल वाले इस राज्य के मतदाताओं ने पिछले चुनाव में भाजपा को इतनी सीटें दी कि वह इतिहास बन गया। राज्य चौतरफा भगवा रंग में रंग गया। तब पार्टी को मैदानी क्षेत्र से 24, पर्वतीय क्षेत्र से 23 सीटें हासिल हुईं, जबकि मैदानी व पर्वतीय क्षेत्र में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों में से नौ और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित एक सीट उसकी झोली में आई। यानी विपक्ष कहीं भी भाजपा के सामने नहीं ठहर पाया।

गढ़वाल में 34 व कुमाऊं में 23 सीटें

पिछले विधानसभा चुनाव में गढ़वाल मंडल की 41 सीटों में से 34 पर भाजपा ने जीत दर्ज की। इसी तरह कुमाऊं मंडल में भी पार्टी का दबदबा रहा और वहां की 29 में से 23 सीटों पर उसने परचम फहराया।

पिछले चुनावों में भाजपा का प्रदर्शन

वर्ष 2002 में हुए पहली विधानसभा के चुनाव में भाजपा को 19 सीटें ही मिल पाई थीं। इनमें उसे पर्वतीय क्षेत्र से नौ और मैदानी क्षेत्र से सात सीटें हासिल हुईं, जबकि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित तीन सीटों पर पार्टी विजयी रही।

दूसरी विधानसभा के लिए वर्ष 2007 में हुए चुनाव में पार्टी को पहाड़ से 17, मैदान से 12 और पहाड़-मैदान में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों में से छह पर जीत मिली। तब पार्टी ने उत्तराखंड क्रांति दल के समर्थन से राज्य में सरकार बनाई थी।

तीसरी विधानसभा के लिए वर्ष 2012 के चुनाव में पार्टी फिर से सत्ता में आने के लिए पूर्ण बहुमत के जादुई आंकड़े के करीब आकर अटक गई। तब पार्टी 31 सीटें जीतने में ही कामयाब हो पाई। इनमें पहाड़ की 11, मैदानी क्षेत्र की 15, अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित चार और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित एक सीट शामिल थी।

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