Uttarakhand Crime News: वीडीओ भर्ती में ओएमआर शीट में गड़बड़ी करने वाला एक और आरोपित गिरफ्तार
Uttarakhand Crime News ग्राम विकास अधिकारी (वीडीओ) भर्ती में ओएमआर शीट में गड़बड़ी करने वाले एक और आरोपित को एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपित की पहचान मुकेश चौहान निवासी भूमिका सदन कविनगर काशीपुर जिला ऊधमसिंह नगर के रूप में हुई है।
जागरण संवाददाता, देहरादून: Uttarakhand Crime News वर्ष 2016 में हुई ग्राम विकास अधिकारी (वीडीओ) भर्ती परीक्षा में ओएमआर शीट में छेड़छाड़ करने व अन्य गड़बड़ी के मामले में एसटीएफ ने एक और आरोपित को मुरादाबाद से गिरफ्तार किया है। आरोपित मुकेश चौहान वर्तमान में भूमिका सदन, कवि नगर, काशीपुर ऊधमसिंह नगर में रह रहा है। जबकि वह मूल रूप से सुल्तानपुर, ठाकुरद्वारा, मुरादाबाद का रहने वाला है। मुकेश चौहान ने पूर्व में गिरफ्तार किए गए शिक्षक मुकेश कुमार के साथ अभ्यर्थियों को इकट्ठा किया था। बताया जा रहा है कि आरोपित मुकेश चौहान आरएमएस टेक्नो साल्यूशंस के मालिक राजेश चौहान का दोस्त है।
एसटीएफ वर्तमान में यूकेएसएसएससी की स्नातक स्तर की भर्ती परीक्षा पेपर लीक प्रकरण, सचिवालय रक्षक, वन दारोगा और ग्राम विकास अधिकारी की भर्ती परीक्षा में हुई गड़बड़ी की जांच कर रही है। चारों भर्तियों में आरोपितों की गिरफ्तारियां की जा रही हैं। वीडीओ भर्ती प्रकरण में एसटीएफ की ओर से यह दूसरी गिरफ्तारी है।
प्रिटिंग प्रेस की भूमिका की हो रही जांच
ग्राम विकास अधिकारी की भर्ती परीक्षा में भी आरएमएस टेक्नो साल्यूशंस कंपनी का नाम सामने आ रहा है। बताया जा रहा है कि यूकेएसएसएससी ने ओएमआर शीट की स्क्रीनिंग का काम भी इसी कंपनी को दिया था। हालांकि, पूरी सत्यता का पता करने के लिए एसटीएफ की ओर से आयोग को पत्र भेजा गया है। ताकि यह पता लग सके कि वीडीओ भर्ती में इस कंपनी व आयोग की क्या भूमिका थी।
एसटीएफ ने की एजेंट व अभ्यर्थियों की पहचान
वीडीओ भर्ती प्रकरण में एसटीएफ ने कड़ियां जोड़नी शुरू कर दी हैं। पहली कड़ी में एजेंट (दलाल) और अभ्यर्थियों की पहचान कर ली गई है। एक के बाद एक एजेंट की गिरफ्तारी हो रही है। इनकी भूमिका अभ्यर्थियों को इकट्ठा करने की थी।
- जिन अभ्यर्थियों की ओएमआर शीट के साथ छेड़छाड़ की गई थी, एसटीएफ ने उनका भी पता लगा लिया है, उनसे भी पूछताछ की जा रही है।
यह है मामला
यूकेएसएसएससी ने वर्ष 2016 में ग्राम विकास अधिकारी के 197 पदों के लिए परीक्षा कराई थी। परीक्षा में एक लाख से अधिक युवा शामिल हुए थे, लेकिन जब धांधली की बात सामने आई तो इसे रद कर दिया गया। परीक्षा अगले साल 2017 में दोबारा से कराई गई। इस बार 2016 में टापर बने छात्र एकाएक सबसे नीचे आ गए। इससे पुष्टि हुई कि 2016 में हुई इस परीक्षा में धांधली हुई थी। शिकायत करने वाले भी अभ्यर्थी ही थे। प्राथमिक जांच के बाद विजिलेंस ने मामले में जनवरी 2020 में मुकदमा दर्ज किया।