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उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र रावत बोले, गंगा जल के बिना जीवन का विचार निरर्थक

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि राष्ट्रीय नदी गंगा भारत की संस्कृति भी है। जब हम गंगा की बात करते हैं तो इसकी सहायक नदियों का भी हमें ध्यान रखना होगा। उन्होंने कहा कि हिमालय नदियों का स्रोत है और संत महात्माओं की संस्कृति हिमालय से जुड़ी है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 13 Dec 2020 09:54 AM (IST)Updated: Sun, 13 Dec 2020 09:54 AM (IST)
उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र रावत बोले, गंगा जल के बिना जीवन का विचार निरर्थक
उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र रावत बोले, गंगा जल के बिना जीवन का विचार निरर्थक।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि राष्ट्रीय नदी गंगा भारत की संस्कृति भी है। जब हम गंगा की बात करते हैं तो इसकी सहायक नदियों का भी हमें ध्यान रखना होगा। उन्होंने कहा कि हिमालय नदियों का स्रोत है और संत महात्माओं की संस्कृति हिमालय से जुड़ी है। लिहाजा, हमें अपनी इस सांस्कृतिक परंपरा का ध्यान रखना होगा। गंगा जल के बिना जीवन का विचार ही निरर्थक है।

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मुख्यमंत्री ने शनिवार को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, नदी घाटी प्रबंधन एवं अध्ययन केंद्र की ओर से आयोजित पांचवें जल प्रभाव शिखर सम्मेलन में यह बातें कहीं। उन्होंने सम्मेलन में वर्चुअली भाग लिया।मुख्यमंत्री ने टैरी संस्थान के शोध का जिक्र करते हुए कहा कि उत्तराखंड में ऋषिकेश तक गंगा का पानी पीने योग्य है, जबकि हरिद्वार में यह स्नान के लिए उपयुक्त पाया गया है। उन्होंने कहा कि अगले साल होने वाले कुंभ में श्रद्धालु स्वच्छ गंगा में स्नान करें, इसका सरकार ने संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में जल संचय व जल संरक्षण पर खास ध्यान दिया जा रहा है। 

इस कड़ी में उन्होंने कोसी, रिस्पना नदियों के पुनरुद्धार, सौंग बांध का निर्माण, गैरसैंण, पिथौरागढ़ समेत अन्य जिलों में भी झीलों का निर्माण व सुधारीकरण की योजनाओं का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे के तहत राज्य में जुड़ी परियोजनाएं लगभग पूरी होने को हैं। सरकार ने करीब तीन मिलियन जल संरक्षण संरचनाओं का निर्माण किया है। राज्य में हर घर को नल से जोड़ने और शौचालय सुविधा पहुंचाने की पहल की गई है। उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जहां एक रुपये में ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल कनेक्शन दिया जा रहा है। 

इस सबके मद्देनजर जल संरक्षण अधिक महत्वपूर्ण है।सम्मेलन में केंद्रीय पर्यटन राज्यमंत्री प्रह्लाद सिंह ने कहा कि गंगा से प्रकृति, पर्यटन व ऊर्जा संस्कृति भी जुड़ी है। गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए साथ ही इसके निरंतर प्रवाह पर भी ध्यान देने की जरूरत है। सम्मेलन में उत्तराखंड से राज्य परियोजना प्रबंधन ग्रुप (नमामि गंगे) उदयराज सिंह, अक्षय कुमार, पीयूष सिंह, पूरन कापड़ी आदि ने भी भाग लिया।


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