प्रेस कॉन्फ्रेंस में तीरथ सिंह रावत ने की दो हजार करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र दिया है कि वह इस्तीफा देना चाहते हैं। सूत्रों के अनुसार इसके पीछे की वजह संवैधानिक संकट पैदा होना बताई जा रही है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने इस्तीफे से ठीक पहले मीडिया के समक्ष दो बड़ी घोषणाएं की। उन्होंने कोरोना काल में रोजगार पर पड़े असर को देखते हुए विभिन्न वर्गों को राहत के लिए दो हजार करोड़ के पैकेज की घोषणा की। इसमें कोरोना से मृत व्यक्ति के आश्रितों को 50 हजार रुपये का अनुदान शामिल है। कोरोना के इलाज में तैनात चिकित्सकों को 10 हजार रुपये, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं को पांच माह तक दो हजार रुपये, समूह ग और घ के कार्मिकों को तीन हजार रुपये दिए जाएंगे। इनके अलावा उत्तराखंड पर्यटन एवं यात्रा व्यवसाय नियमावली के अंतर्गत पंजीकृत टूर आपरेटर एवं एडवेंचर टूर आपरेटर, नैनीताल व टिहरी झील के बोट संचालकों और रिवर गाइड को 10 हजार रुपये दिए जाएंगे। साथ ही 10 वीं और 12 वीं कक्षा में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को टेबलेट वितरित किए जाएंगे।
शुक्रवार देर रात सचिवालय में पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि कोरोना संक्रमण की पहली लहर में सरकार ने 1298.30 करोड़ रुपये की धनराशि वितरित की। संक्रमण की दूसरी लहर में सरकार द्वारा कोरोना राहत के लिए दो हजार करोड़ रुपये की राहत राशि प्रदान की जाएगी। चिकित्सालयों एवं मेडिकल कालेजों की अवस्थापना सुविधाओं और क्षमता विकास और हरिद्वार एवं पिथौरागढ़ के मेडिकल कालेजों के लिए धनराशि की व्यवस्था की गई है। आशा फैसिलेटर को टेबलेट दिया जाएगा। आयुर्वेद विभाग, होम्योपैथिक विभाग और विभिन्न योजनाओं में ब्याज प्रतिपूर्ति के लिए धनराशि का प्रविधान किया गया है। पर्यटन विभाग एवं अन्य विभागों में पंजीकृत पर्यटन इकाइयों व पर्यटन व्यवसाय में लगे व्यक्तियों को दो हजार रुपये प्रतिमाह की दर से छह माह तक वित्तीय सहायता दी जाएगी। बिजली के बिलों में फिक्सड चार्ज व विलंब शुल्क में तथा परिवहन विभाग में विभिन्न शुल्कों में छूट दी गई है। साथ ही खाद्य एवं आपूर्ति विभाग,महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग, समाज कल्याण विभाग समेत अन्य विभागों से संबंधित योजनाओं में भी आर्थिक मदद का प्रविधान किय गया है। इस पैकेज के लाभार्थियों को सहायता उपलब्ध कराने की प्रक्रिया छह माह के भीतर पूर्ण कर ली जाएगी। इसके लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में स्टेट लेवल टास्क फोर्स का गठन किया गया है।