उच्च हिमालयी क्षेत्रों की शान बुग्यालों पर लगेगा कैंपा का मरहम, जानें- इनके लिए क्या है खतरा
बुग्यालों (हरी घास के मखमली मैदान) के संरक्षण के लिए अब प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। बुग्यालों के 714 हेक्टेयर क्षेत्र में भूस्खलन की रोकथाम समेत अन्य कार्यों के लिए प्रतिकरात्मक वन रोपण निधि प्रबंधन एवं नियोजन प्राधिकरण (कैंपा) से 11.42 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों की शान कहे जाने वाले बुग्यालों (हरी घास के मखमली मैदान) के संरक्षण के लिए अब प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। बुग्यालों के 714 हेक्टेयर क्षेत्र में भूस्खलन की रोकथाम समेत अन्य कार्यों के लिए प्रतिकरात्मक वन रोपण निधि प्रबंधन एवं नियोजन प्राधिकरण (कैंपा) से 11.42 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई है।
प्राकृतिक कारणों के साथ ही मानवीय हस्तक्षेप से बुग्यालों में भूस्खलन और वहां मौजूद वनस्पतियों के लिए खतरा ज्यादा बढ़ गया है। उच्च हिमालयी क्षेत्र में ट्री लाइन और स्नो लाइन के मध्य फैले बुग्याल मवेशियों के लिए उत्तम चारागाह हैं, तो पर्यटकों और ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए आराम की सबसे पसंदीदा जगह। बुग्यालों की यही खूबी उनके लिए मुसीबत का सबब बन रही है। उस पर रही-सही कसर अतिवृष्टि और बर्फबारी पूरी कर दे रही है। नतीजतन, बुग्याल दरकने लगे हैं। फिर चाहे उत्तरकाशी अथवा चमोली जिले के अंतर्गत आने वाले बुग्याल हों अथवा पिथौरागढ़ के, ये कई जगह भूस्खलन की चपेट में आए हैं।
इस सबको देखते हुए वन विभाग ने बुग्यालों की सेहत सुधारने का निश्चय किया है। हालांकि, इसके लिए संबंधित वन प्रभाग जुटे हैं, लेकिन बजट की कमी बाधक बनती आई है। अब कैंपा ने इस दृष्टिकोण से बड़ा संबल प्रदान किया है। कैंपा के सीईओ जेएस सुहाग ने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में बुग्यालों के संरक्षण के लिए मंजूर की गई 11.42 करोड़ की धनराशि वन प्रभागों को अवमुक्त की जा रही है। बुग्याल संरक्षण योजना के अंतर्गत बुग्यालों के प्रभावित क्षेत्रों में भूस्खलन की रोकथाम के लिए चेकडैम, वनस्पतियों का रोपण समेत अन्य कई कदम उठाए जाएंगे। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इन कार्यों को पूरी गंभीरता के साथ धरातल पर उतारना सुनिश्चित करें।
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