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उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में निर्माण कार्यों में आएगी तेजी, सुधरेगी गुणवत्ता

ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली जिला पंचायतों पर तीरथ सरकार ने नेमत बरसाई है। सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में जिला पंचायतों के ढांचे को मंजूरी दे दी गई। इसके अमल में आने पर प्रत्येक दो विकासखंडों पर जेई की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Tue, 27 Apr 2021 06:30 AM (IST)Updated: Tue, 27 Apr 2021 06:30 AM (IST)
उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में निर्माण कार्यों में आएगी तेजी।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली जिला पंचायतों पर तीरथ सरकार ने नेमत बरसाई है। सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में जिला पंचायतों के ढांचे को मंजूरी दे दी गई। इसके अमल में आने पर प्रत्येक दो विकासखंडों पर एक अवर अभियंता (जेई) की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी। जाहिर है कि इससे ग्रामीण इलाकों में जहां जिला पंचायत के माध्यम से होने वाले निर्माण कार्यों में तेजी आएगी, वहीं गुणवत्ता में भी सुधार आएगा।

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जिला पंचायतों का गठन वर्ष 1922 में जिला परिषद के रूप में हुआ था। कालांतर में इनका नाम जिला पंचायत कर दिया गया, मगर इनके ढांचे के मामले में अविभाजित उत्तर प्रदेश के दौर से ही उदासीनता का आलम बना रहा। उत्तराखंड बनने के बाद इसे लेकर बातें तो हुईं, मगर असल कवायद शुरु हुई छह वर्ष पहले। तब मसौदा तैयार हुआ, लेकिन बात आई-गई हो गई। वर्ष 2019 में फिर से ढांचे का मसौदा तैयार हुआ, मगर तब भी विभिन्न कारणों से इसे टाल दिया गया।

इस बीच जिला पंचायतों के समक्ष अवर अभियंताओं की कमी के कारण विभिन्न निर्माण कार्यों पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव के मद्देनजर जिला पंचायतों के ढांचे की मांग ने जोर पकड़ा। फिर नए सिरे से मसौदा तैयार हुआ और अब कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी है। ढांचे में राज्य की 13 जिला पंचायतों के 604 और निदेशालय के लिए आठ अतिरिक्त पदों को स्वीकृति दी गई है। ढांचे में अनुपयोगी पदों को हटाकर तकनीकी पदों के साथ ही विभिन्न पदों को तवज्जो दी गई है। 

इस तरह से व्यवस्था की गई है कि निर्माण कार्याें के मद्देनजर अभियंताओं के पर्याप्त पद उपलब्ध हो सकें। ढांचे के मुताबिक अब प्रत्येक दो विकासखंडों के लिए एक अवर अभियंता की तैनाती हो सकेगी। असल में ग्राम पंचायतों में होने वाले निर्माण कार्यों का दारोमदार जिला पंचायत के अभियंताओं पर था, मगर इनकी कमी के कारण दिक्कतें पेश आ रही थीं।

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