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राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद में दो फाड़, अध्यक्ष-महामंत्री पद पर रार

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के कार्यकारी महामंत्री अरुण पांडे अध्यक्ष-महामंत्री पद पर नंद किशोर त्रिपाठी व सत्य प्रकाश भट्ट को जिम्मेदारी सौंपे जाने के विरोध में उतर आए हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 03 Feb 2019 10:59 AM (IST)Updated: Sun, 03 Feb 2019 10:59 AM (IST)
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद में दो फाड़, अध्यक्ष-महामंत्री पद पर रार
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद में दो फाड़, अध्यक्ष-महामंत्री पद पर रार

देहरादून, जेएनएन। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद में अध्यक्ष-महामंत्री पद को लेकर जंग छिड़ गई है। परिषद के कार्यकारी महामंत्री अरुण पांडे अध्यक्ष-महामंत्री पद पर नंद किशोर त्रिपाठी व सत्य प्रकाश भट्ट को जिम्मेदारी सौंपे जाने के विरोध में उतर आए हैं। उन्होंने अध्यक्ष-महामंत्री पद पर नियुक्ति को नियमविरुद्ध बताया। वहीं, प्रांतीय अध्यक्ष नंद किशोर त्रिपाठी ने नियुक्ति को कार्मिक विभाग के नए नियम का हवाला देते हुए इसे वैध बताया है। हालांकि, त्रिपाठी ने यह भी कहा कि यदि किसी भी सदस्य को आपत्ति है तो वह चुनाव के लिए भी तैयार हैं।

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दरअसल, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद का 27 दिसंबर 2017 को द्विवार्षिक चुनाव हुआ था, जिसमें ठाकुर प्रहलाद सिंह को अध्यक्ष व प्रदीप कोहली को महामंत्री चुना गया था। लेकिन, वर्तमान में परिषद के अध्यक्ष की जिम्मेदारी नंद किशोर त्रिपाठी व महामंत्री की सत्य प्रकाश भट्ट संभाल रहे हैं। इस पर कार्यकारी महामंत्री अरुण पांडे ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने आरोप लगाया कि अध्यक्ष व महामंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर सदस्यों को विश्वास में लिए बगैर ही जिम्मेदारी सौंप दी गई। यह असंवैधानिक है। 

वहीं, प्रांतीय अध्यक्ष त्रिपाठी ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि दोनों पदों पर नियुक्ति कार्मिक विभाग के नए नियम के आधार पर हुई है। कार्मिक विभाग ने 2018 में शासनादेश जारी किया था, जिसमें संगठनों से सेवानिवृत्त कर्मचारी-अधिकारी को मुक्त करने के निर्देश दिए थे। इसी के तहत ठाकुर प्रहलाद सिंह ने प्रांतीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी से इस्तीफा दे दिया था। कहा कि इसी 16 जनवरी को कार्मिक विभाग में परिषद के अध्यक्ष-महामंत्री पद पर पेशी हुई थी।

इसमें कार्यकारी अध्यक्ष-महामंत्री व अन्य सदस्यों की पत्रवली की जांच की गई थी। इसमें अरुण पांडे उपस्थित नहीं हो पाए थे। अधिकारियों ने पात्रता के आधार पर उन्हें व सत्यप्रकाश भट्ट को अध्यक्ष-महामंत्री नियुक्त किया था। कहा कि परिषद में लोकतांत्रिक व्यवस्था का पालन किया जाता है। यदि किसी भी सदस्य को आपत्ति है तो वे जिलों की कार्यकारिणी की बैठक बुलाएंगे और सर्वसम्मति से निर्णय लेंगे।

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