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झोपड़ियों में शिक्षा के दीप जला रही है तृप्ति कालड़ा, पढ़िए पूरी खबर

तीर्थनगरी निवासी तृप्ति कालड़ा सड़क किनारे झोपड़ि‍यां बनाकर जीवन-यापन करने वाले बंजारे के बच्‍चों को शिक्षा से जोड़ रही है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 13 May 2019 09:21 AM (IST)Updated: Mon, 13 May 2019 07:46 PM (IST)
झोपड़ियों में शिक्षा के दीप जला रही है तृप्ति कालड़ा, पढ़िए पूरी खबर
झोपड़ियों में शिक्षा के दीप जला रही है तृप्ति कालड़ा, पढ़िए पूरी खबर

ऋषिकेश, जेएनएन। सभी को शिक्षा उपलब्ध हो सके इसके लिए सरकारें तमाम योजनाएं चला रही हैं। मगर, बावजूद इसके समाज में कई वर्ग ऐसे हैं, जो शिक्षा से अछूते हैं। सड़क किनारे झोपड़ि‍यां बनाकर जीवन-यापन करने वाले बंजारे भी इनमें से एक हैं। तीर्थनगरी निवासी तृप्ति कालड़ा ने इन बच्चों को शिक्षा से जोड़ने की मुहिम शुरू की है। इसमें वह सफल भी हो रही है।  

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ऋषिकेश में वीरभद्र मार्ग पर कॉलेज तिराहे के समीप बंजारों के डेरे में रोज सायं पांच बजे से सात बजे तक एक अनूठा स्कूल खुलता है। खुले आसमान के नीचे एक शिक्षिका बंजारों के कुछ बच्चों को आखर ज्ञान बांटती नजर आती है। यह शिक्षिका हैं गंगा नगर निवासी 52 वर्षीय तृप्ति कालड़ा। वह एक गृहिणी हैं, मगर समाज के लिए कुछ कर गुजरने का उनका जुनून उन्हें इस सेवा के काम में ले आया। तृप्ति कालड़ा  ने करीब दो वर्ष पूर्व फेसबुक पर इन बच्चों की तस्वीर देखी थी, जो अपने परिजनों के साथ लोहा पीटने और अन्य काम में हाथ बंटाते हैं। 

उनके मन में इनकी शिक्षा-दीक्षा की बात आई तो उन्होंने अपने फेसबुक मित्र से जानकारी हासिल की। पता चला कि यह बच्चे स्कूल ही नहीं जाते, इनके परिजन भी अशिक्षित हैं।

उसी दिन तृप्ति कालड़ा  ने इन बच्चों को शिक्षा से जोड़ने की ठान ली। सबसे पहले बंजारों की बस्ती में बच्चों के परिजनों को समझाने की कोशिश की। जब परिजन और बच्चे पढ़ाई के लिए तैयार हो गए तो स्वयं के संसाधनों से बच्चों के लिए पाठ्य सामग्री जुटाई और फिर प्रतिदिन यहां बच्चों को दो घंटे पढ़ाने लगी। शुरूआत में तो बच्चों को समझाने में परेशानी आई मगर, फिर बच्चे आखर समझने लगे। उनकी मेहनत रंग लाई और इस बस्ती के कुछ बच्चों ने पास के ही सरकारी स्कूल में दाखिला ले लिया। वर्तमान में तृप्ति स्कूल जाने वाले बच्चों के अलावा इस बस्ती के अन्य छोटे बच्चों को नियमित पढ़ाती हैं। 

इस मुहिम को आगे बढ़ाएगी तृप्ति 

तृप्ति कालड़ा ने बताया कि उनका यह प्रयास काफी हद तक सार्थक सिद्ध हुआ है। अब उनका प्रयास इस मुहिम को आगे बढ़ाने का है। उन्होंने बताया कि उनके कई अन्य परिचित भी उनकी इस मुहिम से जुड़ना चाहते हैं। अब उनका अगला प्रयास नगर व आसपास क्षेत्र के और ऐसी बस्तियों की तलाश है, जहां बच्चे शिक्षा से वंचित हैं या उनके परिजन उन्हें स्कूल नहीं भेज पाते हैं। उन्होंने बताया कि वह अब एक टीम बनाकर ऐसे बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रेरित करने का काम करेंगी। 

पति करते हैं सहयोग 

तृप्ति कालड़ा के पति एक व्यवसायी हैं। वह इस मुहिम में पत्नी की पूरी मदद करते हैं। तृप्ति कालड़ा ने बताया कि बच्चों के लिए पेन, पेंसिल, किताब, काफी और अन्य जरूरत के सामन के लिए पति ही उनकी मदद करते हैं। तृप्ति कालड़ा के एक बेटी व एक बेटा है, दोनों ही हॉस्टल में रहते हुए शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। तृप्ति का कहना है कि इस बहाने उन्हें बच्चों के बीच भी समय बिताने का मौका मिल जाता है। 

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