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हिमालयन हास्पिटल में वैरिकोज वेंस के उपचार की सुविधा शुरू

हिमालयन हास्पिटल में वैरिकोज वेंस के उपचार की सुविधा शुरू

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Aug 2022 06:28 PM (IST)Updated: Wed, 17 Aug 2022 06:28 PM (IST)
हिमालयन हास्पिटल में वैरिकोज वेंस के उपचार की सुविधा शुरू

हिमालयन हास्पिटल में वैरिकोज वेंस के उपचार की सुविधा शुरू

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संवाद सूत्र, डोईवाला : हिमालयन हास्पिटल जौलीग्रांट में वैरिकोज वेंस की बीमारी से पीड़ितों को उपचार की सुविधा मिलेगी। चिकित्सकों ने वैरिकोज वेंस से पीड़ित से एक महिला की सफल सर्जरी की है। जिसे अस्पताल से अब डिस्चार्ज कर दिया गया है।

कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जन डा. मुनीश अग्रवाल ने बताया कि कुसुमा देवी (50 वर्ष) उनकी ओपीडी में आई थी। उन्होंने बताया कि वह पिछले पांच वर्षों से पैरों में दर्द और सूजन से परेशान है। जिसके लिए चिकित्सकों ने उनकी कुछ आवश्यक जांच कराई। जांच में पता चला कि महिला वैरीकोज वेंस बीमारी से पीड़ित है। जिसे सर्जरी के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। मरीज की स्वीकृति के बाद सीटीवीएस सर्जन डॉ मुनीश अग्रवाल के नेतृत्व में इंटरवेंशनल रेडियोलाजिस्ट डा. विनायक झेडे़, चीफ एनेस्थेटिस्ट डा. वीना अस्थाना ने स्पाइनल एनेस्थीसिया देकर रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन प्रक्रिया से खराब नसों को निकाल दिया। मरीज को अस्पताल में तीन दिन तक चिकित्सकों की निगरानी में रखने के बाद उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। सीटीवीएस सर्जन डा. मुनीश अग्रवाल ने बताया कि वैरिकोज वेंस सर्जरी का उपचार अस्पताल में ईसीएचएस, सीजीएचएस, आयुष्मान योजना के अंतर्गत किया जा रहा है।

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क्या है वैरिकोज वेंस

सीटीवीएस सर्जन डा. मुनीश अग्रवाल ने बताया कि वैरिकोज वेंस को वेरिकोसाइटिस भी कहा जाता है। यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब नसें बड़ी, चौड़ी या रक्त से ज्यादा भर जाती हैं। वैरिकोज वेंस अक्सर सूजी औैर उभरी हुई नसों के रूप में सामने आती हैं। ये नीले या लाल रंग की दिखती हैं जिनमें अक्सर दर्द महसूस होता है। लगभग 25 फीसदी वयस्क वैरिकोज वेंस की समस्या से ग्रस्त हैं और अधिकतर मामलों में वैरिकोज वेंस टांगों को प्रभावित करती है। जब नसें ठीक तरह से काम नहीं कर पाती हैं तब वैरिकोज वेंस की समस्या उत्पन्न होती है। नसों की एक तरफ की वाल्व रक्त प्रवाह को रोक देती है। जब ये वाल्व काम करना बंद कर देती है तो रक्त ह्रदय तक पहुंचने की बजाय नसों में ही एकत्रित होने लगता है। नसों का आकार बढ़ जाता है।


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