ट्रॉमा सेंटर में दिल के मरीजों का भी इलाज
जागरण संवाददाता, देहरादून: आने वाले वक्त में दून व हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर में दिल के
जागरण संवाददाता, देहरादून: आने वाले वक्त में दून व हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर में दिल के मरीजों को भी इलाज मिलेगा। यहां ऑटोमैटिक इलेक्ट्रिकल डेफेब्रिलेटर और ऑटोमैटिक ईसीजी मशीन लगाने की भी योजना है। अभी लेवल-2 का ट्रॉमा सेंटर बनाया जा रहा है, पर भविष्य में इसे अपग्रेड किया जाएगा। जिसकी सहमति केंद्र से आई टीम ने दी है।
प्रदेश के दून व हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में केंद्र की मदद से बर्न यूनिट व ट्रॉमा सेंटर का निर्माण किया जा रहा है। यह प्रदेश में अब तक के सबसे बड़े बर्न यूनिट व ट्रॉमा सेंटर होंगे। दून मेडिकल कॉलेज में जहां गढ़वाल क्षेत्र के मरीजों को उपचार मिलेगा, वहीं हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में इनके बन जाने से कुमाऊं मंडल के लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। बर्न यूनिट व ट्रॉमा सेंटर के निर्माण के लिए 31 मार्च 2019 की डेडलाइन रखी गई है। निर्माण किस स्तर तक पहुंचा है, इसका जायजा लेने केंद्र की टीम दून पहुंची है। इनमें संयुक्त सचिव गायत्री मिश्रा, अपर महानिदेशक डॉ. तनु व परामर्शदाता सारंगा पंवार शामिल हैं। उन्होंने बीजापुर गेस्ट हाउस में आयोजित बैठक में योजना की प्रगति की जानकारी ली व दून मेडिकल कॉलेज में निर्माणाधीन ट्रॉमा सेंटर व बर्न यूनिट का मुआयना भी किया। राज्य की तरफ से उक्त ट्रॉमा लेवल-1 में अपग्रेड किए जाने का प्रस्ताव रखा गया। जिस पर टीम ने सैद्धांतिक सहमति देते कहा कि लेवल-2 का ट्रॉमा सेंटर संचालित होते ही इस बावत प्रस्ताव भेजें। जिस पर उसी अनुरूप कार्रवाई की जाएगी। इस दौरान अपर सचिव चिकित्सा शिक्षा अरुणेंद्र चौहान, चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना, संयुक्त सचिव डॉ. संजय गौड़, दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रदीप भारती गुप्ता, ट्रॉमा सेंटर के नोडल अधिकारी डॉ. अनिल कुमार जोशी, बर्न यूनिट के नोडल अधिकारी डॉ. मोहित गोयल आदि उपस्थित रहे। ट्रॉमा संबंधित प्रशिक्षण को बनेगा केंद्र
प्रदेश में स्वास्थ्य कर्मियों को अब ट्रॉमा संबंधित प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इस बावत प्रस्ताव तैयार किया है। प्रशिक्षण के लिए एक केंद्र स्थापित किया जाएगा। जिसमें चिकित्सकों, नर्सिग स्टाफ, पैरामेडिकल स्टाफ आदि को प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्हें सिखाया जाएगा कि किसी भी दुर्घटना या आपात स्थिति में मरीजों को अस्पताल या एंबुलेंस में किस तरह से उपचार दिया जाए। बता दें कि प्रदेश न केवल प्राकृतिक आपदा, बल्कि दुर्घटना के लिहाज से भी संवेदनशील है। यहां अभी जो ट्रॉमा सेंटर हैं, वह लेवल-3 के हैं। लेकिन वह भी उपकरण व चिकित्सकों की कमी के कारण शोपीस बने हुए हैं।