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Top Dehradun News of the day, 6th January 2020: शीतलहर की चपेट में उत्तराखंड, अपना हक लेकर रहेंगे, पहाड़ में चकबंदी को माहौल बनाएगी सरकार

दून में तीन खबरें चर्चा में रहीं। शीतलहर की चपेट में उत्तराखंड अपना हक लेकर रहेंगे पहाड़ में चकबंदी को माहौल बनाएगी सरकार।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 06 Jan 2020 08:14 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jan 2020 08:14 PM (IST)
Top Dehradun News of the day, 6th January 2020: शीतलहर की चपेट में उत्तराखंड, अपना हक लेकर रहेंगे, पहाड़ में चकबंदी को माहौल बनाएगी सरकार

देहरादून, जेएनएन। देहरादून में सोमवार को तीन खबरें चर्चा में रहीं। पहली, बर्फबारी और बारिश से उत्तराखंड कड़ाके की शीत की चपेट में है। बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के साथ ही प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों में रुक-रुक कर हिमपात हो रहा है। वहीं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का क्रमिक अनशन 22वें दिन सोमवार को भी परेड ग्राउंड स्थित धरना स्थल पर जारी रहा। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने सरकार को चेतावनी दी कि अब वह अपना हक लेकर रहेंगी। इधर, गांव की खुशहाली का रास्ता चकबंदी से होकर गुजरता है, लेकिन इस राह में अभी मुश्किलें कम नहीं हो पाई हैं।

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शीतलहर की चपेट में उत्तराखंड 

बर्फबारी और बारिश से उत्तराखंड कड़ाके की शीत की चपेट में है। बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के साथ ही प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों में रुक-रुक कर हिमपात हो रहा है। वहीं, मसूरी समेत कई क्षेत्रों में रिमझिम बारिश जारी है। प्रदेश में बर्फबारी से 50 से ज्यादा गांव जिला मुख्यालयों से कट गए हैं। बर्फीली हवा हाड़ कंपा रही हैं। चमोली में औली और पिथौरागढ़ में थल-मुनस्यारी मार्ग दूसरे दिन भी नहीं खोला जा सका। वहीं, सोमवार को देहरादून समेत कई जिलों में बादल छाए रहे। पछवादून में हल्‍की बारिश भी हुई।

अपना हक लेकर रहेंगे  

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का क्रमिक अनशन 22वें दिन सोमवार को भी परेड ग्राउंड स्थित धरना स्थल पर जारी रहा। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने सरकार को चेतावनी दी कि अब वह अपना हक लेकर रहेंगी। उन्होंने साफ कर दिया है कि सरकार की ओर से जबतक उनका मानदेय 18 हजार रुपये कर देने के संबंध में कोई ठोस फैसला नहीं होता वो आंदोलन जारी रखेंगी। 

पहाड़ में चकबंदी को माहौल बनाएगी सरकार 

गांव की खुशहाली का रास्ता चकबंदी से होकर गुजरता है, लेकिन इस राह में अभी मुश्किलें कम नहीं हो पाई हैं। इसी का नतीजा है कि उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्रों में चकबंदी अनिवार्य है, जबकि पर्वतीय क्षेत्र में स्वैच्छिक। अड़चनें भी पहाड़ में ही हैं। भूलेख, भूमि के समान बंटवारे समेत अन्य मसलों से जुड़ी कठिनाइयां हल होनी बाकी हैं। इसे देखते हुए सरकार ने अब चकबंदी को माहौल बनाने की ठानी है।

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