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बिना चिकित्सक संचालित हो रहे तीन पशु अस्पताल

संवाद सूत्र चकराता सीमांत क्षेत्र के ग्रामीण पशुपालकों की सुविधा को त्यूणी में खोले गए राजकीय पशु चिकित्सालय चिकित्सकों की तैनाती न होने से बंद पड़े हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 09:39 PM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 09:39 PM (IST)
बिना चिकित्सक संचालित हो रहे तीन पशु अस्पताल
बिना चिकित्सक संचालित हो रहे तीन पशु अस्पताल

संवाद सूत्र, चकराता: सीमांत क्षेत्र के ग्रामीण पशुपालकों की सुविधा को त्यूणी में खोले गए राजकीय पशु चिकित्सालय में पिछले तीन साल से कोई चिकित्सक नहीं है। चिकित्सक की तैनाती नहीं होने से पशु चिकित्सालय से जुड़े सैकड़ों गांवों के पशुपालक भी परेशान हैं। इसके अलावा क्षेत्र के दूरस्थ गांवों में खोले गए तीन अन्य पशु सेवा केंद्र भी स्टाफ की कमी से बंद पड़े है।

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जिम्मेदारों की अनदेखी व तंत्र की उदासीनता से जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर के सीमांत इलाकों में खोले गए पशु चिकित्सालय व पशु सेवा केंद्र संचालित हो रहे हैं। दूर-दराज के ग्रामीण पशुपालकों की सुविधा को चकराता ब्लॉक से जुड़े सीमांत त्यूणी तहसील में खोले गए राजकीय पशु चिकित्सालय में तीन साल से पशु चिकित्सक का पद खाली चल रहा है। यहां तैनात एकमात्र महिला फार्मेसिस्ट के सामने कई तरह की चुनौतियां है। जबकि एक अन्य चतुर्थ श्रेणी कर्मी कुछ समय बाद सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं। सीमांत तहसील क्षेत्र से जुड़े पचास से अधिक गांवों के एकमात्र पशु चिकित्सालय त्यूणी में पशु डॉक्टर के नहीं होने से सैकड़ों ग्रामीण पशुपालकों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। इसके अलावा शिलगांव खत के पशु सेवा केंद्र कथियान, बाणाधार खत के पशु सेवा केंद्र चिल्हाड़ व मशक खत के पशु सेवा केंद्र बिनसोन में कोई भी चिकित्सा कर्मी नहीं है। इससे तीनों केंद्र भी बंद पड़े हैं।

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चिकित्सकों की तैनाती को राज्य मंत्री को भेजा ज्ञापन

स्थानीय निवासी सामाजिक कार्यकत्र्ता मातबर सिंह, पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य बचन सिंह राणा, पूर्व प्रधान दिनेश चौहान, केशवानंद शर्मा आदि ने राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार रेखा आर्य को ज्ञापन प्रेषित कर सीमांत क्षेत्र के ग्रामीण पशुपालकों की समस्या बताई। सामाजिक कार्यकत्र्ता मातबर सिंह ने कहा त्यूणी पशु चिकित्सालय व तीन अन्य पशु सेवा केंद्रों में पशु चिकित्सक, पशुधन प्रसार अधिकारी व अन्य स्टाफ कर्मियों की तैनाती नहीं होने से क्षेत्र में बीमार पशुओं के उपचार की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा यहां पशु टीकाकरण भी नहीं हो पा रहा। क्षेत्र में बड़ी संख्या में ग्रामीण परिवार पशुपालन व्यवसाय से जुड़े हैं। यहां पशु चिकित्सक व अन्य स्टाफ की कमी से कई ग्रामीणों के बीमार पशु उपचार के अभाव में दम तोड़ रहे हैं।


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