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उत्तराखंड क्रिकेट के लिए साल 2019 रहा बेमिसाल, ये सपना हुआ साकार

साल 2019 उत्तराखंड क्रिकेट के लिए किसी इतिहास रचने से कम नहीं रहा है। इसी साल उत्तराखंड को बीसीसीआइ से मान्यता मिली।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 31 Dec 2019 06:59 PM (IST)Updated: Tue, 31 Dec 2019 08:19 PM (IST)
उत्तराखंड क्रिकेट के लिए साल 2019 रहा बेमिसाल, ये सपना हुआ साकार
उत्तराखंड क्रिकेट के लिए साल 2019 रहा बेमिसाल, ये सपना हुआ साकार

देहरादून, निशांत चौधरी। उत्तराखंड क्रिकेट के लिए साल 2019 किसी इतिहास रचने से कम नहीं रहा है। सालों से मान्यता की लड़ाई लड़ रहे उत्तराखंड को अचानक 13 अगस्त को बीसीसीआइ से पूर्ण मान्यता मिलना किसी सपने के पूरे होने से कम नहीं था। इसके बाद बीसीसीआइ के चुनाव में क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के सचिव महिम वर्मा को बीसीसीआइ में उपाध्यक्ष का पद मिलेगा। यह भी किसी ने सोचा नही था, लेकिन जब सपने साकार हो गए हैं तो उत्तराखंड के क्रिकेटरों को सीएयू और बीसीसीआइ उपाध्यक्ष महिम वर्मा से उम्मीदें कहीं ज्यादा बढ़ गई हैं। इन पर खरा उतरना महिम वर्मा और सीएयू दोनों के लिए आसान नहीं हैं। हालांकि सीएयू ने खिलाड़ियों के लिए कई ऐसी योजनाएं अपने खेमे में शामिल की हैं, जिनसे खिलाड़ियों को खेल के साथ-साथ आर्थिक स्थिति को भी मजबूती मिलेगी। 

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बीसीसीआइ उपाध्यक्ष रहते उत्तराखंड को बनाना होगा मजबूत 

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड बीसीसीआइ में उपाध्यक्ष रहते हुए महिम वर्मा को क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड को मजबूत बनाना होगा। उत्तराखंड को अभी बीसीसीआइ से मान्यता मिले हुए एक साल भी पूरा नहीं हुआ है। ऐसे में एसोसिएशन को बीसीसीआइ में अपनी पैठ जमाने में समय लगेगा,जिसका खामियाजा यहां के खिलाड़ियों को भुगतना पड़ेगा। लेकिन दूसरी और जब खुद सीएयू के पूर्व सचिव महिम वर्मा बीसीसीआइ में उपाध्यक्ष पद पर काबिज हैं, तो एसे में उत्तराखंड के क्रिकेटरों को उनसे काफी उम्मीदें बढ़ गई हैं। 

वार्षिक कॉन्ट्रेक्ट और स्कॉलरशिप योजना से उम्मीदें 

क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड ने उत्तराखंड के क्रिकेटरों के लिए इस सत्र की समाप्ति के बाद वार्षिक कॉन्ट्रेक्ट और स्कॉलरशिप योजना लागू करने की बात कही है। ऐसा करने वाली सीएयू बीसीसीआइ से संबद्ध पहला राज्य संघ बन गया है। अभी तक सिर्फ बीसीसीआइ ही खिलाड़ियों के साथ करार करता था, लेकिन सीएयू ने खिलाड़ियों के लिए करार की योजना बनाकर नई पहल की है, दोनों योजनाओं के राज्य में लागू होने के बाद चयनित खिलाड़ियों को खेल के साथ-साथ आर्थिक स्थिति में भी इजाफा होगा। इससे युवा खिलाड़ियों में भी क्रिकेट के प्रति उत्साह है। बता दें कि इन दोनों योजनाओं में बीसीसीआइ के घरेलू सत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 25 खिलाड़ियों का चयन किया जाएगा, जिन्हें योजनाओं को लाभ मिलेगा। 

हाई परफॉर्मेंस प्रोग्राम से मिलेगी खिलाड़ियों को धार 

क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड आने वाले साल में खिलाड़ियों के लिए हाई परफॉर्मेंस प्रोग्राम लागू करने जा रहा है, जिसमें खिलाड़ियों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षकों से विशेष ट्रेनिंग कराई जाएगी। इसमें वीडियोग्राफी के जरिए उनकी कमियां दिखाकर उन पर काम किया जाएगा। इस प्रोग्राम के लिए इस सत्र में शानदार प्रदर्शन करने वाले 25 खिलाड़ियों का चयन किया जाएगा। इस प्रोग्राम की लांचिंग पूर्व भारतीय क्रिकेटर राहुल द्रविड़ करेंगे। एसोसिएशन राहुल द्रविड़ से खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने का प्रस्ताव रखेगी। 

क्रिकेटरों को मिलेगी हेल्थ सुविधा 

क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड आने वाले साल में खिलाड़ियों को हेल्थ सुविधा योजना तैयार कर रही है। इसके लिए सीएयू मैक्स अस्पताल से संपर्क कर चयनित खिलाड़ियों को हेल्थ सुविधा देने जा रही है।  

घरेलू क्रिकेट को बढ़ावा देगी सीएयू 

क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड राज्य में घरेलू सत्र को बढ़ावा देने की योजना तैयार कर रही है। जल्द ही इसका फिक्चर जारी करने जा रही है। बीसीसीआइ की तर्ज पर सीएयू राज्य के खिलाड़ियों के लिए घरेलू सत्र शुरु करेगी, जिसमें जूनियर क्रिकेटरों पर फोकस किया जाएगा। 

पहाड़ से खिलाड़ियों का चयन प्राथमिकता 

क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड की साल 2020 में पहाड़ी क्षेत्रों से क्रिकेटरों का चयन करना प्राथमिकता में शामिल रहेगा। एसोसिएशन के अनुसार पहाड़ में प्रतिभा की कमी नहीं है, बस जरूरत है तो उसे सही दिशा दिखाने की। 

रुद्रप्रयाग में मैदान बनाने की योजना 

पहाड़ी क्षेत्र के खिलाड़ियों को सुविधा देने के लिए क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड पहाड़ में मैदान बनाने के लिए काम कर रही है। इसके लिए रुद्रप्रयाग में मैदान बनाने पर कार्य शुरू हो गया है। इसके अलावा सभी जिला संघों को मैदान माफिक जमीन तलाशने के निर्देश दिए हुए हैं। 

महिला क्रिकेट को मजबूती मिलेगी 

सीएयू नए सत्र के लिए महिला क्रिकेटरों पर विशेष फोकस रखने जा रही है। साल 2020 में महिला क्रिकेटरों को तैयार करने के लिए विशेष कैंप और कोचिंग शिविर आयोजित किए जाएंगे। 

आइपीएल मैचों की मेजबानी की उम्मीद 

उत्तराखंड में विश्वस्तरीय क्रिकेट मैदान हैं, लेकिन अभी तक उत्तराखंड को आइपीएल के मैचों की मेजबानी करने का मौका नहीं मिला। लेकिन इस सत्र में उत्तराखंड को आइपीएल मैचों की मेजबानी की उम्मीद हैं, इस संबंध में बीसीसीआइ उपाध्यक्ष महिम वर्मा ने आइपीएल फ्रेंचाइजी कोलकाता के मालिक अभिनेता शाहरूख खान से मुलाकात की है। उन्होंने दून आकर स्टेडियम देखने की इच्छा भी जाहिर की है।

उत्तराखंड के खिलाड़ी जल्द खेलेंगे टेस्ट मैच 

क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड खिलाड़ियों को ज्यादा से ज्यादा टेस्ट मैचों का अनुभव देना चाहता है। इसके लिए एसोसिएशन दिलीप ट्रॉफी की तर्ज पर राज्य में टेस्ट मैचों का आयोजन करने जा रहा है। नए साल में सीनियर वर्ग की चार टीमों का चयन कर उनके बीच टेस्ट मैचों की श्रृंखला कराई जाएगी। 

सीएयू ने 2019 में की 100 मैचों की मेजबानी 

क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड ने साल 2019 में बीसीसीआई के घरेलू सत्र के टूर्नामेंटों के 100 मैचों की मेजबानी की है। बीसीसीआई उपाध्यक्ष महिम वर्मा के प्रबंधन में सीएयू ने विजय हजारे ट्रॉफी, कूच विहार, सीके नायडू समेत अन्य टूर्नामेंटों के 100 मैचों की सफल मेजबानी की है। 

राष्ट्रीय खेलों का सफल आयोजन बड़ी चुनौती 

उत्तराखंड में साल 2021 में 38वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन प्रस्तावित है। जिसके लिए खेल विभाग अभी से युद्ध स्तर पर तैयारी कर रहा है। विभाग ने कागजों पर राष्ट्रीय खेलों का खाका तो तैयार कर लिया है। इसके लिए विभाग ने 900 करोड़ का वजट भी बना लिया है। इस संबंध में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री व विभागीय अधिकारी केंद्रीय वित्त मंत्री से जल्द मुलाकात करेंगे। खेल विभाग ने नेशनल गेम्स की तैयारियों के लिए राष्ट्रीय खेल सचिवालय भी स्थापित कर लिया है। इस सबके बावजूद भी खेल विभाग को नेशनल गेम्स के आयोजन में खासा दिक्कतें आएंगी। नेशनल गेम्स के आयोजन में अवस्थापनाओं की कमीं भी खलेगी। इसके लिए विभाग को खेल संघों से समंवय बनाने की जरूरत होगी। 

उत्तराखंड के लक्ष्य सेन का खिताबी पंच 

उत्तराखंड के अल्मोड़ा निवासी लक्ष्य सेन भारतीय सीनियर टीम का प्रतिनिधित्व कर रहें है। लक्ष्य ने वर्ष 2019 में सात में से पांच खिताब अपने नाम किए हैं। लक्ष्य सेन ने साल 2019 में पांच खिताब अपने नाम किए हैं। भारत के उभरते हुए 18 वर्षीय लक्ष्य सेन ने पिछले सात टूर्नामेंट में पांच खिताब अपने नाम किए हैं। इसके अलावा लक्ष्य ने 9वां बीडब्ल्यूएफ खिताब अपने नाम किया है।

लक्ष्य के 2019 के खिताब 

- बेल्जियन अंतरराष्ट्रीय 

- डच ओपन सुपर 100 

- सरलोरलक्स सुपर 100 

- स्कॉटिश ओपन 

- बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय चैलेंजर 

उपविजेता 

- पोलिश ओपन   

2019 में भी चमकी कुहू गर्ग 

देहरादून निवासी युवा शटलर कुहू गर्ग मिक्स्ड डब्लस और महिला युगल में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करती हैं। कुहू गर्ग का साल 2019 का सफर शानदार रहा है। कुहू गर्ग का सफर साल 2019 में शानदार रहा है। कुहू गर्ग ने अपने प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया है। कुहू ने 2019 में कई पदक अपने नाम किए हैं। इसके अलावा बैडमिंटन एशिया चैंपियनशिप 2019 के लिए क्वालीफाइ किया।

कुहू के 2019 के प्रदर्शन पर नजर 

- इजिप्ट इंटरनेशनल के मिक्सड डबल्स में स्वर्ण और महिला युगल में रजत 

- सीनियर नेशनल चैंपियनशिप के मिक्सड डबल्स में रजत और महिला युगल में कांस्य 

- नेपाल इंटरनेशनल में रजत पदक 

- ऑल इंडिया सीनियर रैंकिंग के महिला युगल में रजत पदक 

- साउथ एशियन गेम्स की टीम इवेंट में स्वर्ण और महिला युगल में कांस्य पदक 

एथलेटिक्स में भी चमके उत्तराखंड के युवा 

सूरज पंवार का प्रदर्शन  

देहरादून के प्रेमनगर निवासी सूरज पंवार दस किमी वॉक रेस के धावक हैं। सूरज पंवार देहरादून के महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में एथलेटिक्स कोच अनूप बिष्ट से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहें हैं। 

- जूनियर फेडरेशन में स्वर्ण पदक 

- जूनियर नेशनल में स्वर्ण पदक 

- नेशनल रेस वाक रेस दस किमी में स्वर्ण पदक 

मानसी नेगी 

मूल रूप से चमोली निवासी मानसी नेगी देहरादून के महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में ट्रेनिंग ले रही हैं। मानसी दस व पांच किमी वाक रेस की धावक हैं। 

-स्कूल नेशनल में स्वर्ण पदक 

-जूनियर फेडरेशन में कांस्य पदक 

- यूथ नेशनल में रजत पदक 

- जूनियर नेशनल में रजत पदक 

 

राधा  

मसूरी निवासी राधा देहरादून के महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में ट्रेनिंग कर रही हैं। राधा ने 1500 मीटर दौड़ में प्रतिभाग करते हुए कई राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पदक प्राप्त किए हैं। 

- जूनियर नेशनल में रजत पदक 

- जूनियर फेडरेशन में कांस्य पदक 

रेश्मा पटेल 

मूल रूप से प्रयागराज निवासी रेश्मा पटेल के भाई देहरादून के ओएनजीसी में कार्यरत हैं। रेशमा महाराणा स्पोर्ट्स कॉलेज में ट्रेनिंग कर रही हैं। वो तीन किमी वॉक रेस की धावक हैं।  

-जूनियर नेशनल में स्वर्ण पदक  

रोजी पटेल 

मूल रूप से प्रयागराज निवासी रोजी पटेल के भाई देहरादून के ओएनजीसी में कार्यरत हैं। रोजी महाराणा स्पोर्ट्स कॉलेज में ट्रेनिंग कर रही हैं। वो दस किमी वॉक रेस की धावक हैं। 

-नेशनल रेस वॉक दस किमी में स्वर्ण पदक

-जूनियर नेशनल में स्वर्ण पदक 

जूडो में उन्नति शर्मा की उन्नति 

दून निवासी उन्नति शर्मा अंडर-63 किग्रा भार में खेलते हुए कई पदक अपने नाम कर चुकी हैं। उन्नति राष्ट्रीय जूडो प्रशिक्षक सतीश शर्मा से प्रशिक्षण ले रही हैं। 

- कैडेट नेशनल चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक 

- जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक 

- सीनियर नेशनल रैंकिंग टूर्नामेंट में रजत पदक 

- सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में कांस्य पदक 

क्रिकेट के लिए बेमिसाल रहा साल 2019 

उत्तराखंड क्रिकेट के लिए साल 2019 बेमिसाल रहा है। उत्तराखंड में चार अलग-अलग राज्य क्रिकेट संघ बीसीसीआई से मान्यता के लिए लड़ाई लड़ रहे थे। जिस कारण राज्य गठन के बाद से ही खिलाडिय़ों को नुकसान हो रहा था। लेकिन 13 अगस्त 2019 को बीसीसीआई के संचालन को सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति ने क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड को उत्तराखंड में क्रिकेट संचालन की पूर्ण जिम्मेदारी सौंपी। इसके बाद सीएयू को बीसीसीआइ के घरेलू सत्र में कई टूर्नामेंट के मेजबानी की जिम्मेदारी सौंपी। वहीं बीसीसीआई के चुनाव में क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के सचिव महिम वर्मा को बीसीसीआई में उपाध्यक्ष चुना गया। 

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राज्य खेल 'फुटबॉल' की नहीं ले रहा कोई सुध 

उत्तराखंड के राज्य खेल फुटबॉल की कोई सुध लेने को तैयार नहीं हैं। राज्य फुटबॉल संघ अपनी ढपली अपना राग अलापने में लगा है, तो जिला फुटबॉल संघ सिर्फ जिला फुटबॉल लीग तक सीमित है। राज्य सरकार ने भी फुटबॉल से आंखे मूंदी हुई है। पिछली सरकार में फुटबॉल को ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए उत्तराखंड सुपर लीग का आयोजन किया गया था, लेकिन सरकार के बदलने के बाद आयोजक लीग कराने में सफल नहीं हो पाए। ऐसे में राज्य में फुटबॉल का स्तर को गिर ही रहा है, साथ ही राज्य खेल की हवा भी निकलती जा रही है। आलम यह है कि राज्य खेल फुटबॉल अपनी अंतिम सांसे ले रहा है। 

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वॉलीबाल 

वॉलीबाल में राष्ट्रीय स्तर पर दो फाड़ होने के कारण फेडरेशन भंग चल रही है। इस वजह से राज्य की टीम किसी भी टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं ले रही है। वॉलीबॉल टीम चयन का जिम्मा भी राज्य ओलंपिक संघ के कंधों पर चल रहा है। 

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