इस साल विवाह बंधन में बंधने के हैं इतने मौके, जानिए शुभ घड़ी-शुभ मुहूर्त
युवाओं के पास इस साल विवाह बंधन में बंधने के अब 62 मौके हैं। जबकि, बीते वर्ष ऐसे सिर्फ 43 शुभ मुहूर्त ही मिल पाए थे।
देहरादून, दिनेश कुकरेती। 2019 का साल उन युवाओं के लिए खास सौगात लेकर आया है, जो वैवाहिक जीवन में प्रवेश करने को आतुर हैं और सनातनी रीति-रिवाजों के अनुसार ब्याह रचाना चाहते हैं। ऐसे युवाओं के पास इस साल विवाह बंधन में बंधने के 73 ( अब 62) मौके हैं। जबकि, बीते वर्ष ऐसे सिर्फ 43 शुभ मुहूर्त ही मिल पाए थे। हालांकि, बदलते दौर में तिथि, लग्न व मुहूर्त को अधिकांश युवा तवज्जो नहीं देते, लेकिन देखा जाए तो परंपराएं यदि स्वस्थ हों तो वह संस्कृति को ही समृद्ध करती हैं। इसी बात को केंद्र में रखकर हम आपका परिचय ग्रह-नक्षत्र के आधार पर तय होने वाले लग्न-मुहूर्त से करा रहे हैं।
शुभ मुहूर्त न मिलने के कारण जो युवा बीते वर्ष अपनी ब्याह रचाने की हसरत पूरी नहीं कर पाए और जिनकी उमंगें परिणय में बंधने को हिलोरें मार रही हैं, उनके इंतजार की घडिय़ां खत्म हुईं। 2019 का साल उनके लिए सौगात लेकर आया है। इस वर्ष गृहस्थी बसाने के उनके पास 73 मौके हैं, जबकि वर्ष 2018 में सिर्फ 43 शुभ मुहूर्त ही शादी-ब्याह के थे। यानी इस साल जवां दिलों की पांचों उंगलियां घी में हैं। हालांकि, 15 मार्च फाल्गुन शुक्ल नवमी को सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करने के साथ ही मलमास (पुरुषोत्तम मास) प्रारंभ हो जाएगा, जो 14 अप्रैल चैत्र शुक्ल नवमी तक रहेगा।
सो, इस एक माह की अवधि में विवाह कार्य नहीं हो सकेंगे। इसी तरह 12 जुलाई आषाढ़ शुक्ल एकादशी के दिन देवशयनी एकादशी होने के कारण चातुर्मास प्रारंभ हो जाएगा, जो आठ नवंबर देव प्रबोधिनी एकादशी तक रहेगा। सो, इन चार महीनों में विवाह नहीं होंगे। इसके बाद 16 दिसंबर 2019 से 15 जनवरी 2020 तक धनुर्मास या मलमास रहने के कारण विवाह नहीं होंगे। इस बीच 15 दिसंबर 2019 से दस जनवरी 2020 तक गुरु भी अस्त रहेंगे।
ग्रह-नक्षत्रों की चाल से तय होता है शुभ मुहूर्त
शादी-विवाह को सनातनी परंपरा के महत्वपूर्ण संस्कारों में सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। इसके लिए विशेष मुहूर्त का आकलन किया जाता है और मुहूर्त वर-वधु की कुंडली व जन्मराशि के आधार पर निकाला जाता है। वर-वधु की कुंडली मिलान के बाद जो तिथि एवं मुहूर्त तय होता है, उसे ही शादी का शुभ मुहूर्त कहा जाता है। शादी में जितनी महत्वपूर्ण उससे जुड़ी हर परंपरा होती है, उतना ही महत्वपूर्ण शुभ मुहूर्त भी। सामान्यतौर पर शादी का शुभ मुहूर्त तय करने के लिए कोई निश्चित विधि नहीं है। वह केवल लड़की-लड़का की कुंडली से ग्रह-नक्षत्रों की चाल के मुताबिक तय होता है।
दस तरह के दोषों पर होता है विचार
लता दोष, पात दोष, युति दोष, वेध दोष, जामित्र दोष, पंच बाण दोष, तारा दोष, उपग्रह दोष, कांति साम्य एवं दग्धा तिथि, इन 10 तरह के दोषों का विचार करने के बाद ही विवाह का शुभ मुहूर्त निकाला जाता है। रेखाओं की गणना इन्हीं के आधार पर होती है। जितनी ज्यादा रेखाएं होंगी, मुहूर्त उतना ही शुद्ध होता है। पिछले साल 2018 में एक भी लग्न 10 रेखा का नहीं था, जबकि नए साल में पांच दिन 10 रेखा के विवाह लग्न रहेंगे।
छह, सात, आठ, नौ और 10 रेखा के शुभ लग्न
- छह रेखीय लग्न: 09 फरवरी, 10 फरवरी, 03 मार्च, 16, 17, 18 व 19 अप्रैल, 17 व 23 मई।
- सात रेखीय लग्न: 12 मार्च, 17 व 20 अप्रैल, 14, 18, 19, 29 मई, 08 जुलाई।
- आठ रेखीय लग्न: 15, 17, 18, 25 व 29 जनवरी, 21 फरवरी, 09 मार्च, 07, 12, 13, 28 व 29 मई, 12, 24 व 25 जून, 06 व 11 जुलाई।
- नौ रेखीय लग्न: 22 व 23 जनवरी, 08, 09 व 10 मार्च, 22 अप्रैल, 30 मई, 08, 09, 10, 11 व 16 जून, 10 जुलाई।
- 10 रेखीय लग्न: 08 फरवरी, 06 मई, 16 जून, 07 व 08 जुलाई।
अबूझ और स्वयंसिद्ध विवाह मुहूर्त
- 08 मार्च : फुलेरा दूज
- 06 से 14 अप्रैल : चैत्र प्रतिपदा से रामनवमी
- 14 अप्रैल: बैसाखी
- 07 मई : अक्षय तृतीया
- 13 मई : जानकी नवमी
- 18 मई : पीपल पूर्णिमा
- 12 जून : गंगा दशमी
- 10 जुलाई : भडल्या (भडली) नवमी
- 12 जुलाई : देवशयनी एकादशी
- 29 सितंबर से 8 अक्टूबर : शारदीय नवरात्र से दशहरा
- 8 नवंबर : देवउठनी एकादशी
2019 में विवाह के शुभ मुहूर्त
- फरवरी: 15, 21, 23, 24, 26 व 28
- मार्च: 02, 07, 08, 09 व 13
- अप्रैल. 16, 17, 18, 19, 20, 22, 23, 24, 25 व 26
- मई: 02, 06, 07, 08, 12, 14, 15, 17, 19, 21, 23, 28, 29 व 30
- जून: 08, 09, 10, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 19, 25 व 26
- जुलाई: 06 व 07
- नवंबर: 08, 09, 10, 14, 22, 23, 24 व 30
- दिसंबर: 05, 06, 11 व 12
साढ़े तीन मुहूर्त स्वयंसिद्ध
साढ़े तीन मुहूर्त यानी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, बैशाख शुक्ल तृतीया (अक्षय तृतीया), आश्विन शुक्ल दशमी (विजय दशमी) व दीपावली के प्रदोष काल का आधा भाग स्वयंसिद्ध माने जाते हैं। इनमें पंचांग की शुद्धि देखने की आवश्यकता नहीं है।
यह तिथियां भी स्वयंसिद्ध
लोकचार और देशाचार के अनुसार वसंत पंचमी (माघ शुक्ल पंचमी), फुलेरा दूज (फाल्गुन शुक्ल द्वितीया), भडली नवमी (आषाढ़ शुक्ल नवमी) व देवप्रबोधनी एकादशी (कार्तिक शुक्ल एकादशी) की तिथियों को भी स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है।
विवाह के शुभ नक्षत्र
हस्त, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, स्वाति, मघा, मूल, अनुराधा, मृगशिरा, रेवती, रोहिणी
विवाह के शुभ महीने
माघ, फाल्गुन (फागुन), बैशाख, ज्येष्ठ (जेठ), आषाढ़, मार्गशीर्ष (मंगसीर)
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