Move to Jagran APP

संस्कृति के मिलन से प्रेम और समरसता का उद्भव

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन स्वर्गाश्रम में विगत दो माह से लद्दाख से आई बौद्ध धर्म क

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Feb 2018 06:55 PM (IST)Updated: Sun, 18 Feb 2018 06:55 PM (IST)
संस्कृति के मिलन से प्रेम और समरसता का उद्भव
संस्कृति के मिलन से प्रेम और समरसता का उद्भव

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन स्वर्गाश्रम में विगत दो माह से लद्दाख से आई बौद्ध धर्म की युवा भिक्षुणियों एवं लामा ने रविवार को आश्रम से विदाई ली। विदाई से पूर्व आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज व साध्वी भगवती सरस्वती ने इस दल को वाटर ब्ले¨सग सेरेमनी में सहभाग भी कराया।

loksabha election banner

परमार्थ प्रवक्ता के अनुसार बीते दो वर्ष से आश्रम में लद्दाख से आई बौद्ध धर्म की अनुयायी युवा भिक्षुणियों ने गीता, भारतीय आध्यात्म व जीवन मूल्यों के विषय में मार्गदर्शन प्राप्त किया। साथ ही उन्होंने परमार्थ निकेतन द्वारा संचालित विश्व शौचालय कॉलेज में जल संरक्षण एवं प्रबंधन, कचरा प्रबंधन एवं स्वच्छता का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया। अब यह दल लद्दाख जाकर स्थानीय लोगों, लामा और अन्य बौद्ध भिक्षुणियों को भी प्रशिक्षित करेंगे। दो माह तक चला यह प्रशिक्षण कार्यक्रम रविवार को संपन्न हुआ। विदाई से पूर्व आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज के सानिध्य में दल ने मां गंगा की भव्य आरती भी की। दल को साधुवाद देते हुए स्वामी चिदानंद महाराज कहा कि कोई हिमालय की चोटी पर निवास करता हो या फिर विश्व के किसी भी कोने में, सच तो यहीं है कि प्रेम, सद्भावना और सद्भाव का प्रवाह सब के दिलों में बहता है। इसलिए हमारी संस्कृति 'वसुधैव कुटुम्बकम' की संस्कृति है। इससे पूर्व दल ने वाटर ब्ले¨सग सेरेमनी कर जल व पर्यावरण संरक्षण का संकल्प भी लिया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.