ईको सेंसिटिव जोन का सर्वे कर रही टीम का विरोध, बैरंग लौटाया
राजाजी टाइगर रिजर्व से सटे एक किलोमीटर के दायरे को ईको सेंसिटिव जोन में रखे जाने का लगातार विरोध हो रहा है। मंगलवार को खांडगांव में सर्वे करने पहुंची टीम का ग्रामीणों ने विरोध किया और बैरंग लौटा दिया।
संवाद सूत्र, रायवाला : राजाजी टाइगर रिजर्व से सटे एक किलोमीटर के दायरे को ईको सेंसिटिव जोन में रखे जाने का लगातार विरोध हो रहा है। मंगलवार को खांडगांव में सर्वे करने पहुंची टीम का ग्रामीणों ने विरोध किया और बैरंग लौटा दिया।
ग्राम प्रधान शंकर दयाल धनै ने ईको सेंसिटिव जोन के दायरे को लेकर सख्त आपत्ति जताई है। उनका कहना था कि पार्क प्रशासन को जो भी सर्वे करने हैं वह अपने वन क्षेत्र में करे। आबादी क्षेत्र में पार्क के सर्वे का क्या औचित्य है। सबसे ज्यादा आपत्तिजनक यह है कि सर्वे के नाम पर पार्क प्रशासन ग्रामीणों की निजी जानकारियां एकत्र कर रहा है। ग्रामीण बालेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि ग्रामीण पहले से ही पार्क कानूनों की दुश्वारियां झेल रहे हैं। अब जंगल के एक किलोमीटर के दायरे में ईको सेंसिटिव जोन होने से पूरे क्षेत्र की जनता की मुसीबतें और ज्यादा बढ़ जाएंगी। वहीं मौके पर पहुंचे ग्राम प्रधान संगठन के जिलाध्यक्ष सोबन सिंह कैंतुरा ने पार्क अधिकारियों को चेताया कि जबरन पार्क कानून थोपने का प्रयास किया गया तो जनता उग्र आंदोलन को बाध्य होगी। उन्होंने बताया कि इस बारे में बुधवार को रेंज अधिकारी के माध्यम से ज्ञापन दिया जाएगा। वहीं मोतीचूर के रेंज अधिकारी महेंद्र गिरी गोस्वामी ने बताया कि उच्च अधिकारियों के निर्देश पर सर्वे टीम गठित कर जंगल की सीमा के एक किलोमीटर के दायरे में बने भवनों की जीपीएस लोकेशन, भवनों की संख्या व माप तथा उनमें रहने वाले परिवार आदि की जानकारी जुटाई जा रही है। ग्रामीणों की आपत्ति से पार्क निदेशक को अवगत करा दिया गया है।
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जनता की मुसीबतें बढ़ना तय
जिस तरह राजाजी टाइगर रिजर्व से सटे एक किलोमीटर के दायरे को ईको सेंसिटिव जोन में शामिल किया गया है, उससे आने वाले दिनों में हरिपुरकलां, खांडगांव, रायवाला प्रतीतनगर, गौहरीमाफी, खदरी, साहबनगर चकजोगीवाला, जोगीवालामाफी, छिद्दरवाला, खैरीखुर्द, खैरीकलां, गंगा भोगपुर आदि गांव सबसे अधिक प्रभावित होंगे। ईको सेंसिटिव जोन के दायरे में आने वाले क्षेत्र में किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य नहीं हो सकेगा। निजी भूमि में आवासीय भवनों के निर्माण के लिए भी वन्य जीव बोर्ड से अनुमति की आवश्यकता होगी।