छात्रवृत्ति घोटाले का असली राजदार अब भी जांच से दूर
छात्रवृत्ति में करोड़ों के घोटाले में असली राजदार अभी एसआइटी जांच से दूर हैं। घोटाले में समाज कल्याण विभाग और राजस्व विभाग की भूमिका स्पष्ट है।
देहरादून, जेएनएन। दशमोत्तर छात्रवृत्ति में करोड़ों के घोटाले में असली राजदार अभी एसआइटी जांच से दूर हैं। खासकर बजट जारी करने, प्रमाणपत्र देने और सत्यापन कराने में समाज कल्याण विभाग और राजस्व अधिकारियों की भूमिका के पुख्ता प्रमाण मौजूद हैं। मगर, एसआइटी की जांच सिर्फ प्राइवेट कॉलेज संचालकों तक सीमित है।
समाज कल्याण विभाग में 2012 से 2017 के बीच दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाले में करोड़ों का घपला सामने आया था। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देश पर गृह विभाग ने एसआइटी गठन के आदेश दिए थे। एक साल से एसआइटी प्रकरण में जांच कर रही है। मगर, अभी तक सिर्फ कुछ कॉलेज संचालकों पर ही कार्रवाई हुई है। इसमें भी 50 करोड़ से ज्यादा का घपला सामने आ चुका है। एसआइटी की धीमी जांच पर हाईकोर्ट ने भी कड़ी टिप्पणी देते हुए प्रकरण की सीबीआइ जांच कराने की नसीहत दी है।
सूत्रों का कहना है कि करोड़ों के छात्रवृत्ति घोटाले में समाज कल्याण विभाग और राजस्व विभाग की भूमिका स्पष्ट है। समाज कल्याण विभाग ने राजस्व विभाग के आय प्रमाणपत्र के आधार पर छात्रवृत्ति स्वीकृत की। इसके अलावा राजस्व अधिकारियों से भी बांटी गई छात्रवृत्ति का सत्यापन शासन ने कराया। सत्यापन रिपोर्ट में भी राजस्व के एसडीएम से लेकर एडीएम रैंक के अधिकारियों ने कॉलेजों को क्लीन चिट दी थी।
इसमें हरिद्वार के जिन कॉलेजों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी हैं, उनको भी तत्कालीन एसडीएम और एडीएम ने अपने रिपोर्ट में छात्रवृत्ति का आवंटन सही पाया है। बावजूद इसके एसआइटी की जांच इन अफसरों तक नहीं गई है। इसी तरह छात्रवृत्ति स्वीकृति से लेकर बजट जारी करने में समाज कल्याण अधिकारी की भूमिका भी स्पष्ट है। बावजूद इसके एसआइटी की जांच छात्रवृत्ति घोटाले के इन असली राजदारों तक नहीं पहुंची है। इसका फायदा उठाकर घोटालेबाज अब अपने बचाव के रास्ते तलाश रहे हैं।
एडीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार ने बताया कि छात्रवृत्ति घोटाले में एसआइटी की जांच जारी है। जांच के दायरे में जो भी आएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाने का काम चल रहा है। जल्द बड़ी कार्रवाई होगी।
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