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तो इस साल नवंबर के बाद गंगा में नहीं मिलेंगे नाले

जिलाधिकारी देहरादून सी रविशंकर ने ऋषिकेश के क्षेत्र में नमामि गंगे योजना के तहत अब तक किए गए कार्यों की समीक्षा की। पेयजल निगम के अधिकारियों ने उन्हें अवगत कराया कि 126 करोड़ रुपए की योजना बीते वर्ष अक्टूबर में शुरू हुई थी जिस पर 65 प्रतिशत काम हो चुका है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Jul 2019 07:40 PM (IST)Updated: Fri, 19 Jul 2019 07:40 PM (IST)
तो इस साल नवंबर के बाद गंगा में नहीं मिलेंगे नाले
तो इस साल नवंबर के बाद गंगा में नहीं मिलेंगे नाले

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश : जिलाधिकारी देहरादून सी रविशंकर ने ऋषिकेश के क्षेत्र में नमामि गंगे योजना के तहत अब तक किए गए कार्यों की समीक्षा की। पेयजल निगम के अधिकारियों ने उन्हें अवगत कराया कि 126 करोड़ रुपए की योजना बीते वर्ष अक्टूबर में शुरू हुई थी, जिस पर 65 प्रतिशत काम हो चुका है। इस वर्ष 30 नवंबर तक कार्य पूर्ण हो जाएगा। इसके बाद गंगा में कोई भी नाला नहीं मिलेगा।

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शुक्रवार को नगर निगम कार्यालय में जिलाधिकारी सी रविशंकर ने पेयजल निगम, वन विभाग, नगर निगम, स्वास्थ्य, ऊर्जा निगम के अधिकारियों की बैठक बुलाकर नमामि गंगे योजना की समीक्षा की। पेयजल निगम के अधिशासी अभियंता व नमामि गंगे के परियोजना प्रबंधक संदीप कश्यप ने बताया कि 126 करोड़ की योजना में 26 एमएलडी क्षमता का लक्कड़ घाट खदरी में एसटीपी, तीन पंपिग स्टेशन और तीन किलोमीटर सीवर लाइन का काम चल रहा है। 30 नवंबर 2019 तक कार्य पूरा हो जाएगा। एसटीपी में 65 प्रतिशत सिविल कार्य और 35 प्रतिशत मेकेनिकल कार्य पूर्ण हो चुका है। सीवर लाइन डालने का काम 70 प्रतिशत पूर्ण हो गया है। इस योजना के तहत गंगा में मिल रहे नालों को रोका जाएगा। बैठक में यह बात सामने आई कि वर्तमान में छह नाले गंगा में मिल रहे हैं। जिलाधिकारी ने स्पष्ट कहा कि बैठक में दी गई जानकारी यदि मौका मुआयना करने पर सही नहीं पाई गई तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जानकारी मांगे जाने पर मुख्य नगर आयुक्त चतर सिंह चौहान ने बताया कि सरस्वती लाला, पीडब्ल्यूडी नाला और चंद्रेश्वर नाला में जाली में एकत्र ठोस अपशिष्ट को सप्ताह में दो बार नगर निगम की टीम साफ करती है। जिलाधिकारी ने कहा कि इसकी नियमित मॉनिटरिग होनी चाहिए। पेयजल निगम गंगा विग के सहायक अभियंता हरीश बंसल ने बताया कि नगर क्षेत्र में ड्रेनेज को सीवर से जोड़ा गया है, जिस कारण सीवर लाइन ओवरफ्लो हो जाती है। जिलाधिकारी ने मुख्य नगर आयुक्त को निर्देशित किया कि ड्रेनेज सिस्टम के लिए वह अलग से प्लान तैयार करें। कंसलटेंट की राय ली जाए, इसमें एडीबी की भी मदद ली जा सकती है। नमामि गंगे जिला क्रिया रमन समिति के सदस्य विनोद जुगलान ने जिलाधिकारी को अवगत कराया की लक्कड़ घाट स्थित पुराने एसटीपी में क्षमता से अधिक सीवरेज का शोधन नहीं हो पा रहा है। मरे हुए पशु वहां डाले जा रहे हैं जिसके लिए उपाय किए जाने जरूरी हैं। परियोजना प्रबंधक संदीप कश्यप ने बैठक में अवगत कराया कि ऋषिकेश क्षेत्र में 7207 घरेलू सीवरेज कनेक्शन और मुनिकीरेती में 1077 सीवरेज कनेक्शन हैं। नगर निगम क्षेत्र में 21600 घर हैं। मुनिकीरेती में 14000 घर हैं। जिलाधिकारी ने कहा कि 2050 की आबादी के हिसाब से जब सिस्टम तैयार हो रहा है तो ब्रांच लाइनों की स्थिति में भी सुधार करने की जरूरत है। जिलाधिकारी ने लक्कड़ घाट स्थित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के कार्यों का भी निरीक्षण किया। बैठक में उपजिलाधिकारी प्रेमलाल, वन क्षेत्राधिकारी आरपीएस नेगी, सहायक अभियंता ऊर्जा निगम राजीव कुमार, सहायक नगर आयुक्त उत्तम सिंह नेगी, राजकीय चिकित्सालय से सीएमएस के प्रतिनिधि डॉ. वी भारद्वाज, सफाई निरीक्षक सचिन रावत आदि मौजूद रहे।


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