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प्रेम, करुणा, धैर्य व क्षमा का गुण ही ध्यान: स्वामी चिदानंद

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन व आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित 29वें अंत

By JagranEdited By: Published: Sun, 04 Mar 2018 07:07 PM (IST)Updated: Sun, 04 Mar 2018 07:07 PM (IST)
प्रेम, करुणा, धैर्य व क्षमा का गुण ही ध्यान: स्वामी चिदानंद
प्रेम, करुणा, धैर्य व क्षमा का गुण ही ध्यान: स्वामी चिदानंद

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन व आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित 29वें अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के चौथे दिन स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने विशेष सत्र में योग साधकों को ध्यान व जप का अभ्यास कराया। उन्होंने कहा कि प्रेम, करुणा, उदारता, धैर्य और क्षमा आदि गुणों का विकसित होना ही ध्यान का प्रथम सोपान है। इसलिए ध्यान करने की नहीं जीने की विद्या है।

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परमार्थ निकेतन में रविवार को साधकों के लिए ध्यान व जप का विशेष सत्र आयोजित किया गया। महामंडलेश्वर स्वामी असंगानंद सरस्वती महाराज, अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक डॉ. साध्वी भगवती सरस्वती, योगाचार्य आभा सरस्वती, योगाचार्य गुरूमुख कौर खालसा के नेतृत्व में आयोजित विशेष योग सत्र में परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने योग साधकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि ध्यान, के लिए प्रयत्न नहीं बल्कि ध्यानमय होने की जरूरत है। जहां पर प्रयत्न होगा वहां ध्यान नहीं हो सकता। ध्यान करने की नहीं स्वत: होने की अवस्था है। जिस तरह मां गंगा अपने संगीत के साथ निरंतर प्रवाहित होती है उसी प्रकार ध्यान को भी शरीर में प्रवाहित होने दें। अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक डॉ. साध्वी भगवती सरस्वती ने मां गंगा के धरती पर अवतरण की कथा का सार और वर्तमान में हमारे जीवन में उसके महत्व विषय पर विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि मुक्ति केवल वही नहीं है जो हमें मरने के बाद प्राप्त होती है या मुक्ति, मृत्यु के बाद होने वाली कोई घटना नहीं है। हमारा शरीर हमें बंधन में नहीं रखता बल्कि यह हमारी जीवन पद्धति होती है जिसके माध्यम से हम शरीर और मन से परिचित होते है। उन्होने कहा कि मां गंगा को अपने अंदर प्रवाहित होने दो, तो शरीर के होते हुये भी विकारों से मुक्ति प्राप्त हो जाएगी। इस अवसर पर दक्षिण अफ्रीका की राजदूत व योग शिक्षिका किस्टारिका में दक्षिण अमेरिका की राजदूत मरिएला क्रूज को स्वामी चिदानंद सरस्वती ने सम्मानित किया। मरिएला एक योग शिक्षिका भी हैं और वह पूर्व में परमार्थ निकेतन में योग शिक्षिका के तौर पर भी प्रतिभाग कर चुकी हैं।

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ब्रह्ममुहूर्त में योग प्रशिक्षुओं ने किया कुंडलिनी योग का अभ्यास

परमार्थ निकेतन गंगा तट पर रविवार को तड़के चार बजे योग कक्षाओं का शुभारंभ योगाचार्य गुरूशब्द ¨सह की कुंडलिनी योग साधना की कक्षा से हुआ। योगीऋषि विश्वकेतु ने शिव-भक्ति पावर योग, जापान से आए योगाचार्य हिकारू हाशिमोटो ने जेन योग, अमेरिका से आई योगाचार्य योशी ओनो ने भक्ति योग, अमेरिका से आई केटी बी हैप्पी ने विन्यास योग का अभ्यास कराया। दूसरे सत्र में अमेरिका से आई प्रसिद्ध योगाचार्य शेरोन गैनोन ने जीवमुक्ति योग के अभ्यास के साथ जीवमुक्ति योग के परिचय पाठ्यक्रम से भी अवगत कराया। बाली से आए डॉ. आंद्रे पेगे ने एपिजेनेटिक्स, जीन फंक्शन में पैतृक अनुवांशिक परिवर्तन विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी दी। अमेरिका से आई डैफनी त्से ने 'योग ऑफ डांस एण्ड सोल' तथा केटी फिशर ने ही¨लग साउंड बाथ का विशेष अभ्यास कराया। दोपहर के योगाभ्यास सत्र में ऋषिकेश मूल के व वर्तमान में चीन से आए प्रसिद्ध योगाचार्य मोहन भंडारी ने कंधों के लिए विशेष योग का अभ्यास कराया। अमेरिका से आए टॉमी रोजेन ने कुंडलिनी योग, आनंद मेहरोत्रा ने सत्व योग, इटली के रॉबर्टो मिललेटी ने ओदाका योग, अमेरिका के शाऊल दाऊद राय ने प्राण शक्ति योग का अभ्यास कराया।


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