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थराली विधानसभा क्षेत्र के नतीजे देशभर में देंगे संदेश

थराली विधानसभा उपचुनाव का नतीजे यह भी तय करेंगे कि प्रचंड जीत के भाजपा के आवेग को थामने में कांग्रेस को कितनी कामयाबी मिली।

By BhanuEdited By: Published: Fri, 04 May 2018 11:18 AM (IST)Updated: Sat, 05 May 2018 05:06 PM (IST)
थराली विधानसभा क्षेत्र के नतीजे देशभर में देंगे संदेश
थराली विधानसभा क्षेत्र के नतीजे देशभर में देंगे संदेश

देहरादून, [रविंद्र बड़थ्वाल]: प्रमुख तीर्थ स्थलों बदरीनाथ और केदारनाथ से सटे चमोली जिले के थराली विधानसभा क्षेत्र का उपचुनाव उत्तराखंड और देशभर में कांग्रेस की डूबती नैया के लिए तिनका बनेगा या नहीं, यह आगामी 28 मई को तय हो जाएगा। उपचुनाव का नतीजे यह भी तय करेगा कि प्रचंड जीत के भाजपा के आवेग को थामने में कांग्रेस को कितनी कामयाबी मिली। लिहाजा कांग्रेस अपनी डूबती नैया पार लगाने के लिए एकजुट होकर पूरी ताकत के साथ सरकार और सत्तारूढ़ दल भाजपा को टक्कर देने पर आमादा है।  

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कांग्रेस उत्तराखंड में पहले लोकसभा चुनाव और फिर विधानसभा चुनाव में करारी हार झेल चुकी है। विधानसभा चुनाव में तीन चौथाई से ज्यादा बहुमत से भाजपा को मिली जीत ने कांग्रेस की मजबूत जड़ों को बुरी तरह हिला दिया है। 

मोदी लहर के बूते भाजपा को मिली इस कामयाबी को सालभर से ज्यादा गुजरने के बाद कांग्रेस अपनी खोई हुई साख को वापस पाने के लिए छटपटा रही है। नगर निकाय चुनाव से पहले ही अब कांग्रेस के हाथ ये मौका लग गया है। 

भाजपा विधायक मगनलाल शाह के निधन से रिक्त हुई थराली सीट पर हो रहे उपचुनाव के जरिये कांग्रेस उत्तराखंड के साथ देशभर में भी संदेश देना चाहती है। 

यह उपचुनाव जाने या अनजाने दोनों तरह से ही कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सबब बन चुका है। कांग्रेस के सामने खोई प्रतिष्ठा वापस पाने की ओर कदम बढ़ाने की चुनौती तो है ही, विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश संगठन में हुए बदलाव के बाद नए मुखिया के रूप में कमान संभाल रहे प्रीतम सिंह को भी इस चुनाव के जरिये पहली अग्नि परीक्षा से गुजरना होगा।

बदरीनाथ और केदारनाथ धाम से सटी थराली विधानसभा क्षेत्र की जंग को कांग्रेस कई मोर्चों पर भुनाना चाहती है। पार्टी की रणनीतिकार मान रहे हैं कि चुनाव जीतने की स्थिति में पार्टी को इसका फायदा नगर निकाय चुनाव में बढ़े मनोबल के रूप में मिलेगा। 

कांग्रेस अगले वर्ष होने वाले आम चुनाव में भी भाजपा के विजय रथ को थामने के तौर पर एक मजबूत संदेश देने की रणनीति पर काम कर रही है। वैसे भी गढ़वाल संसदीय सीट पर होने वाले चुनाव में भी इस सीट का गणित विजयी दल के लिए मनोवैज्ञानिक बढ़त का कारण तो बनेगा ही।

यही वजह है कि थराली सीट की जंग सिर्फ एक सीट तक सीमित नहीं, बल्कि इसके बड़े सियासी मायनों को देखते हुए प्रदेश कांग्रेस के सभी दिग्गज नेता पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में जोर-आजमाइश में उतरने जा रहे हैं। दस मई को नामांकन के दिन से ही यह सिलसिला साफ दिखाई पड़ेगा। राहुल गांधी के कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी हर सीट पर होने वाले चुनावों को बेहद गंभीरता से ले रही है।

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