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राज्यसभा सीट के बहाने कांग्रेस सरकार पर निशाना

राज्यसभा सीट को लेकर पीडीएफ के आक्रामक तेवर सरकार पर भारी पड़ सकते हैं। कांग्रेस और पीडीएफ के बीच यदि कोई दरार पड़ी तो इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।

By sunil negiEdited By: Published: Mon, 30 May 2016 03:41 PM (IST)Updated: Mon, 30 May 2016 03:53 PM (IST)
राज्यसभा सीट के बहाने कांग्रेस सरकार पर निशाना

विकास गुसाईं, [देहरादून]: राज्यसभा सीट को लेकर पीडीएफ के आक्रामक तेवर सरकार पर भारी पड़ सकते हैं। कांग्रेस और पीडीएफ के बीच यदि कोई दरार पड़ी तो इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। यहां तक कि सरकार पर भी संकट के बादल छा सकते हैं। पीडीएफ के कदम पर भाजपा ही नहीं बल्कि कांग्रेसी नेता भी रखे हुए हैं। माना जा रहा है कि सत्ता में वापसी के बाद कांग्रेस व पीडीएफ के लिए मंत्रिमंडल में रिक्त पदों को लेकर मुख्यमंत्री हरीश रावत पर दबाव बनाने का यह एक उपयुक्त अवसर हो सकता है।
प्रदेश में हरीश रावत सरकार के सामने मुश्किलों का दौर कम होता नजर नहीं आ रहा है। बजट सत्र के दौरान कांग्रेस के नौ विधायकों के बगावती तेवर के कारण सरकार अल्पमत में आ गई थी। ऐन वक्त पर इनकी सदस्यता रद होने और पीडीएफ के मजबूत स्तंभ की तरह हरीश रावत का साथ देने के कारण वे फिर से सत्तासीन हुए।

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कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर पर इसे लोकतंत्र की जीत और भाजपा की हार बताते हुए पीडीएफ की शान में कसीदे भी पढ़े। कांग्रेस राज्यसभा का चुनाव भी पीडीएफ के बूते ही जीतना चाहती है। हालांकि पीडीएफ ने इस सीट पर अपनी दावेदारी पहले ही प्रस्तुत कर दी थी। बावजूद इसके कांग्रेस नेतृत्व ने पीडीएफ की मांग को तवज्जो नहीं दी। पीडीएफ के प्रत्याशी खड़ा करने की बात को कांग्रेस बहुत ही हल्के में ले रही थी।

ऐसे में पीडीएफ के आक्रामक रुख ने सरकार को बैकफुट पर ला खड़ा किया है। कांग्रेस भी इस बात को अच्छी तरह समझती है कि पीडीएफ की नाराजगी मोल लेकर सरकार को आगे नहीं चलाया जा सकता। इसी कारण अब मान मनौवल का दौर शुरू हो गया है। वहीं, पीडीएफ के इस कदम ने अभी तक चुप बैठे अंसतुष्ट कांग्रेसियों को फिर से जागृत कर दिया है।

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राज्यसभा टिकट बटवारे से नाराज यशपाल आर्य हाई कमान के सामने अपनी बात रख चुके हैं। सूत्रों की मानें तो इसके लिए कैबिनेट में रिक्त पदों पर नजरें गढ़ाए कांग्रेसी भी अब पूरे घटनाक्रम में नजदीकी नजर रखे हुए हैं। वे इसे सरकार पर दबाव बनाने का सबसे उपयुक्त अवसर मान रहे हैं। उन्हें पता है कि फिलहाल सरकार किसी की नाराजगी मोल लेने की स्थिति में नहीं है।

यही एक कारण भी है कि बीते कुछ दिनों से कांग्रेसी विधायकों की बागी विधायकों के संपर्क में होने की चर्चाओं को हवा भी दी जा रही है। अब स्थिति यह है कि सरकार इस समय दोतरफा चुनौतियों से घिरी पड़ी है और बाहर निकलने के लिए मध्य मार्ग की तलाश कर रही है।

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