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. ताकि स्वास्थ्य के लिए भी शुभ रहे दीपावली

दीपावली रोशनी और उल्लास का पर्व है, शोर और धुएं का नहीं। त्योहार मनाइए, लेकिन अपनी सेहत, सुरक्षा और दूसरों को अनदेखा करके नहीं। यह दीयों को जगमग करने का त्योहार है। सभी कड़वाहट मिटाकर अपनों के गले मिलने, बड़ों से आशीष लेने का दिन है। इसे पटाखों के शोर में गुम न होने दें।

By JagranEdited By: Published: Wed, 07 Nov 2018 03:00 AM (IST)Updated: Wed, 07 Nov 2018 03:00 AM (IST)
. ताकि स्वास्थ्य के लिए भी शुभ रहे दीपावली
. ताकि स्वास्थ्य के लिए भी शुभ रहे दीपावली

जागरण संवाददाता, देहरादून: दीपावली रोशनी और उल्लास का पर्व है, शोर और धुएं का नहीं। त्योहार मनाइए, लेकिन अपनी सेहत, सुरक्षा और दूसरों को अनदेखा करके नहीं। यह दीयों को जगमग करने का त्योहार है। सभी कड़वाहट मिटाकर अपनों के गले मिलने, बड़ों से आशीष लेने का दिन है। इसे पटाखों के शोर में गुम न होने दें।

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पटाखों से प्रदूषण

वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. प्रवीण पंवार के अनुसार, ज्यादातर पटाखों से 80 डेसिबल से अधिक स्तर की आवाज निकलती है। जिसके कारण बहरापन, उच्च रक्तचाप और अनिंद्रा जैसी स्थिति आ जाती है। बच्चे, गर्भवती महिलाएं और सास की समस्याओं से पीड़ित लोगों की अत्यधिक ध्वनि व प्रदूषण के कारण दिक्कतें बढ़ जाती हैं। हवा में धूल के कणों के साथ घुले बारूद के कण और धुएं के संपर्क में ज्यादा देर रहने वालों को खासी, आखों में जलन, त्वचा पर चकत्ते पड़ने के साथ उल्टी की समस्या भी हो सकती है। स्वास्थ्य पर खतरा

वरिष्ठ चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिल आर्य बताते हैं कि स्वास्थ्य पर खतरा बढ़ाने के अलावा पटाखों से परोक्ष रूप से गंभीर दुष्परिणाम भी देखे गए हैं। पटाखे सावधानी से नहीं चलाने पर त्वचा झुलस सकती है और इस पर लंबे समय तक जले का निशान बना रहता है। गलत तरीके से आतिशबाजी करने के कारण बहुत लोग बुरी तरह जलकर जख्मी हो चुके हैं और कई लोगों की जान तक पर बन आई है। अन्य नुकसान

वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. केपी जोशी के अनुसार पटाखों के जलने से त्वचा, बाल और आखों की पुतलियों को भी गंभीर नुकसान पहुंचता है। पटाखों में मौजूद नुकसानदेह रसायन त्वचा में शुष्कता और एलर्जी पैदा करते हैं। वातावरण में नुकसानदेह रसायनों के फैलने से बालों की जड़ कमजोर पड़ जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप बाल टूटने लगते हैं। पटाखों के कारण आखों में जरा सी चोट भी एलर्जी और नेत्रहीनता की स्थिति पैदा करती है। आंखों को रखें सलामत

वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ. सुशील ओझा ने बताया कि आतिशबाजी के कारण प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है, जो आंखों के लिए हानिकारक है। पटाखे हमेशा खुली जगह पर चलाएं और दूरी का विशेष ध्यान रखें। दुर्घटना से बचने के लिए चश्मा आदि पहनें। रंगोली बनाने के बाद हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोएं ताकि रासायनिक पदार्थ आंख में न जाएं।


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