देहरादून: नगर निगम के लिए चुनौती बना 12900 हेक्टेयर भूमि का सर्वे, जानिए वजह
गांवों से टूटकर देहरादून नगर निगम का हिस्सा बने 12 हजार 900 हेक्टेयर क्षेत्रफल में सर्वे कराना नगर निगम के लिए चुनौती बना है। इसकी वजह संबंधित विकासखंड सिर्फ भूमि का रिकॉर्ड उपलब्ध करा रहे हैं और सरकारी भूमि की मौजूदा स्थिति की रिपोर्ट देने से अधिकारी कतरा रहे।
देहरादून, अंकुर अग्रवाल। गांवों से टूटकर देहरादून नगर निगम का हिस्सा बने 12 हजार 900 हेक्टेयर (129 वर्ग किमी) क्षेत्रफल में सर्वे कराना नगर निगम के लिए चुनौती बना हुआ है। इसकी वजह यह कि संबंधित विकासखंड सिर्फ भूमि का रिकॉर्ड उपलब्ध करा रहे हैं और सरकारी भूमि की मौजूदा स्थिति की रिपोर्ट देने से अधिकारी कतरा रहे हैं। ऐसे में नगर निगम बिना स्पष्ट स्थिति के क्षेत्र के हस्तांतरण को तैयार नहीं है और इससे पहले जमीनों का सर्वे कराने का निर्णय लिया है। यह काम नगर निगम स्वयं करेगा और इसके लिए नगर आयुक्त ने मंडलायुक्त से 10 पटवारी एक साल के लिए उपलब्ध कराने की मांग की है।
सीमा विस्तार से पहले नगर निगम का क्षेत्रफल करीब 6700 हेक्टेयर (67 वर्ग किलोमीटर) था। जबकि इसमें ग्रामीण क्षेत्रों (रायपुर और डोईवाला विकास खंड) का करीब 12 हजार 900 (129 वर्ग किमी) हिस्सा और जुड़ गया है। इसके साथ ही नगर निगम का क्षेत्रफल अब 19 हजार 600 हेक्टेयर हो गया है। अतिरिक्त जुड़े हिस्से में बड़ी संख्या में पंचायत/सरकारी भूमि भी है। विकास खंडों के रिकॉर्ड में ऐसी भूमि को खाली दर्शाया गया है। मगर, सच यह भी है कि ऐसी तमाम जमीनों पर कब्जे किए जा चुके हैं। लिहाजा, यदि नगर निगम ज्यों के त्यों क्षेत्रफल प्राप्त कर लेता है तो बाद यह कहा जा सकता है कि ये कब्जे नगर निगम के सीमा विस्तार के बाद किए गए हैं। नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने बताया कि इसी तस्वीर को साफ करने के लिए सर्वे कराया जाएगा। साथ ही जिस पंचायत क्षेत्र में कब्जे पाए गए, वहां के प्रधान के खिलाफ कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी।
निगम के पास महज दो कार्मिक
इस समय नगर निगम के पास भू-सर्वे से संबंधित एक नायब तहसीलदार और महज एक पटवारी हैं। इसी कारण सर्वे के काम में देरी हो रही और अतिरिक्त पटवारियों की मांग की गई है।
सेटेलाइट तस्वीर भी मंगाई गई
नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने बताया कि उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) से निगम का हिस्सा बने ग्रामीण क्षेत्रों की सेटेलाइट तस्वीरें मंगाई गई हैं। इससे स्पष्ट हो जाएगा कि अतिक्रमण किस-किस अवधि में हुआ है।
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