Uttarakhand News: पूर्व सर कार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा - हमारी सभ्यता-संस्कृति में पंचभूत का विशेष महत्व
Uttarakhand News उत्तरांचल विश्वविद्यालय में आकाश तत्व राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। इस दौरान आरएसएस के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य एवं पूर्व सर कार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा कि हमारी सभ्यता-संस्कृति में पंचभूत का विशेष महत्व है।
By Ashok KumarEdited By: Sunil NegiUpdated: Sat, 05 Nov 2022 11:54 PM (IST)
जागरण संवाददाता, देहरादून : उत्तरांचल विश्वविद्यालय में आयोजित आकाश तत्व राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य एवं पूर्व सर कार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा कि भारतीय चिंतन और अवधारणा वैश्विक है। हमारी सभ्यता-संस्कृति में पंचभूत का विशेष महत्व है। संपूर्ण भारत देवभूमि है और उत्तराखंड इसका नेतृत्व कर रहा है। उन्होंने कहा कि मानव जाति का विकास व समूह विकास तभी संभव है, जब हम सृष्टि को समझें। इसके लिए संतुलन आवश्यक है।
भारत का इतिहास हमेशा विश्व से अनूठा रहा
पूर्व सर कार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने विज्ञान भारती उत्तराखंड, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जीवन के लिए 'आकाश तत्व पर पंचभूत' विषय पर आयोजित संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास हमेशा विश्व से अनूठा रहा है। हमें सही मार्ग पर चलकर विश्व को नेतृत्व देना है। उन्होंने कहा कि भारतीय मनीषा में लेना नहीं, केवल देने के मार्ग पर ही चलना होता है।
भारतीय परंपरा, सभ्यता, संस्कृति अन्य राष्ट्रों से अलग
अमेरिका से ज्यादा भारत के लोग सुखी हैं, क्योंकि भारतीय परंपरा, सभ्यता, संस्कृति अन्य राष्ट्रों से अलग है। उन्होंने भारतीय व्यवस्था की चर्चा करते हुए कहा कि भारत में रबी, खरीफ और जायद तीन-तीन फसलें ली जाती हैं। यह अन्य देशों की तुलना में अलग है, जबकि विश्व के अन्य देश इस मान्यता, परंपरा और मानकों के समतुल्य नहीं हैं।मनुष्य जीवन बौद्धिक संपदा पर आधारित
उन्होंने संतों की चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने हमें बताया है कि जीवन कैसा होगा। इस संदर्भ में हमें चिंतन करना होगा। संतुलन के आधार पर ही गुणों से युक्त व्यक्ति की भारत में पूजा होती है। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन बौद्धिक संपदा पर आधारित है। विश्व की 85 फीसदी संपदा पर 10 प्रतिशत व्यक्तियों का अधिकार है। यह परंपरा बहुत श्रेष्ठ नहीं मानी जा सकती।
उन्होंने कहा कि भारत भी विश्व में 17 प्रतिशत से अधिक योगदान करने वाला देश बन सकता है, लेकिन इसके लिए हमें गलत दिशा छोड़कर अच्छे मार्ग पर चलना होगा। भैयाजी ने आकाश तत्व की चर्चा करते हुए कहा कि पंचभूत में आकाश तत्व का विशेष महत्व है। आकाश तत्व सर्व व्याप्त है। संपर्क का सबसे आसान मार्ग भी है।
हमारी सभ्यता और संस्कृति पंच महाभूत पर आधारित
उन्होंने कहा कि आकाश तत्व रिक्त स्थान है, आंतरिक और बाहर के आकाश को हमें समझना होगा। उन्होंने कहा कि हमारी सभ्यता और संस्कृति पंच महाभूत पर आधारित है। लोग भले ही विज्ञानिक और सामाजिक रूप से इसको अलग-अलग मानते हों, लेकिन हमारे ऋषियों-मुनियों ने इस सत्य को समझा, जाना और कार्यसंस्कृति में अपनाया है। हमें इस पंच महाभूत को समझना होगा। यथार्थ सत्य यही है कि हम जहां से आए, वहीं जाना है।
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