विधानसभा सत्र: अनुपूरक बजट समेत तीन विधेयक हुए पारित
विधानसभा सत्र के तीसरे दिन गुरुवार को 2452.41 करोड़ का अनुपूरक बजट समस्त अनुदान मांगों के साथ बहुमत से पारित हो गया।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। विधानसभा सत्र के तीसरे दिन गुरुवार को 2452.41 करोड़ का अनुपूरक बजट समस्त अनुदान मांगों के साथ बहुमत से पारित हो गया। वहीं अन्य दो विधेयकों में उत्तराखंड (उत्तरप्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (अनुकूलन एवं उपांतरण आदेश, 2001) (संशोधन) विधेयक और उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2018 बहुमत से पारित हो गए। वहीं उत्तराखंड (उत्तरप्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (अनुकूलन एवं उपांतरण आदेश, 2001) (संशोधन) विधेयक के जरिये पर्वतीय क्षेत्रों में जमीनों की खरीद-फरोख्त खोलने के विरोध में कांग्रेस ने सदन से बहिर्गमन किया।
सदन को शुक्रवार सुबह 11 बजे तक स्थगित किया गया है। सरकार ने विधानसभा सत्र के पहले दिन 2452.41 करोड़ का अनुपूरक बजट सदन के पटल पर रखा था। गुरुवार को भोजनावकाश के बाद वर्ष 2018-19 की 29 अनुपूरक अनुदान मांगों को सदन में पारित किया गया। इसके बाद उत्तराखंड विनियोग (2018-19 का प्रथम अनुपूरक) विधेयक पर सदन ने बहुमत से मुहर लगा दी।
इससे पहले सरकार को उत्तराखंड (उत्तरप्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (अनुकूलन एवं उपांतरण आदेश, 2001) (संशोधन) विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के विरोध का सामना करना पड़ा। विधायक मनोज रावत ने सरकार पर उक्त विधेयक के जरिये पर्वतीय क्षेत्र में जमीन की खरीद-फरोख्त को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
पार्टी ने विरोधस्वरूप सदन से बहिर्गमन किया। खरीदी जा सकेगी ज्यादा भूमि वहीं, विधायी एवं संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने कांग्रेस के आरोपों को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा कि इस विधेयक से पर्वतीय क्षेत्रों में उद्योगों को स्थापित करने की राह खुलेगी। इसके लिए मूल विधेयक में धारा 143-क और धारा 154 की उपधारा-2 को शामिल किया गया है। इससे भूमि को औद्योगिक प्रयोजन के लिए लेते ही उसका भू उपयोग औद्योगिक उपयोग के लिए बदल जाएगा।
वहीं उद्योगों के लिए अब ज्यादा भूमि की खरीद भी की जा सकेगी। अलबत्ता, औद्योगिक उपयोग के लिए भूमि लेने के बाद उसका अन्य तरह से उपयोग किए जाने पर उक्त भूमि सरकार में निहित हो जाएगी। उन्होंने बताया कि 12.5 एकड़ से कम भूमि की खरीद की अनुमति जिलाधिकारी के स्तर से मिलेगी, जबकि इससे अधिक भूमि के लिए राज्य सरकार की अनुमति आवश्यक होगी।
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