मौसम की मार से बेहाल किसानों को मुआवजे का सहारा
संवाद सूत्र, त्यूणी: मौसम की मार झेल रहे जौनसार बावर में खेतीबाड़ी का दायरा दिन प्रतिदिन सिमट
संवाद सूत्र, त्यूणी: मौसम की मार झेल रहे जौनसार बावर में खेतीबाड़ी का दायरा दिन प्रतिदिन सिमट रहा है। कृषि-बागवानी पर निर्भर कई ग्रामीण परिवार अब खेतीबाड़ी छोड़ दूसरे काम की तलाश में लगे हुए है। लगातार दो साल से मौसम की मार झेल रहे किसानों को अब सरकार से मुआवजे की आस है। किसानों ने सरकार से खेती को हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए मुआवजे की मांग की है।
किसान को देश का अन्नदाता कहा जाता है। ऐसे में यदि किसान ही आर्थिक रुप से संपन्न नही होगा तो देश भी तरक्की नही कर पायेगा। बीते दिनों आए तेज आंधी तूफान और ओलावृष्टि ने कई किसानों की की मेहनत पर पानी फेर दिया। ऐसा पहलीबार नही हुआ है। यह सिलसिला पिछले वर्ष भी जारी रहा जब किसानों कीे मौसम की मार झेलनी पड़ी थी। पूरी तरह मानसून और मौसम पर निर्भर रहने वाले किसान को अब सरकार का ही सहारा बचा है।
पर्वतीय क्षेत्र जौनसार-बावर में अस्सी फीसद ग्रामीण परिवारों की आजीविका कृषि-बागवानी से चलती है। बागवानी के क्षेत्र में जनपद देहरादून के सबसे अधिक सेब उत्पादन वाले त्यूणी व चकराता तहसील क्षेत्र में करीब पांच हजार छोटे-बड़े सेब बगीचे हैं। इसके अलावा यहां पर्वतीय फलों में अनार, आडू, नाशपाती, खुमानी, पुलम आदि मौसमी फसलें भी होती है। कृषि के क्षेत्र में गेंहु, धान, मक्का, चौलाई, मंडुवा, राजमा, आलू, टमाटर, गागली, मिर्च, अदरक व अन्य साग-सब्जी की खेती भी बड़े पैमाने पर होती है। क्षेत्र के सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में खेतीबाड़ी की ¨सचाई को संसाधनों की कमी के कारण लोग आसमान के बरसने का इंतजार करते हैं। अटाल पंचायत के प्रगतिशील किसान प्रेमचंद शर्मा, बागवान कगलराम चौहान, पितांबर दत्त बिजल्वाण, पूर्व बीडीसी मेंबर राजाराम शर्मा, बलवीर ¨सह, सैंज-तराणू के प्रधान चंडी प्रसाद शर्मा, लाखामंडल के पूर्व बीडीसी मेंबर सुशील गौड़, बुल्हाड़ के पूर्व जिला पंचायत सदस्य विजयपाल रावत व कथियान क्षेत्र के महिमानंद राणा आदि ने बताया कि बीते दो साल से मौसम के साथ नहीं देने से लोग कृषि-बागवानी का पेशा छोड़ दूसरे काम की तलाश में लगे है। मौसम की मार से कृषि-बागवानी को लगातार हो रहे नुकसान से परेशान ग्रामीण किसानों के सामने भुखमरी की नौबत आ गई है। पिछले बार ओलावृष्टि से सेब व नकदी फसलों को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ। जिससे किसान अबतक नहीं उभर पाए है। इस बार भी मौसम के समय पर नहीं बरसने व कम बर्फबारी होने से किसानों के चेहरे लटक गए। बेमौसम बारिश व भारी ओलावृष्टि के चलते किसानों की बची-खुची फसलें चौपट हो गई। जिससे किसानों के सामने बैंक का कर्ज चुकाने व परिवार के भरण-पोषण की समस्या खड़ी हो गई। खेतीबाड़ी पर निर्भर ग्रामीण किसानों ने संकट से उबारने को सरकार से मुआवजे की मांग की है।