बिना कोरोना निगेटिव रिपोर्ट के छात्र-छात्राओं को स्कूलों में नहीं मिलेगा प्रवेश
स्कूल संचालकों और प्रधानाचार्यों का कहना था कि वे स्कूल खोलने को तैयार हैं मगर उनकी कुछ शर्ते हैं। स्कूल खुलने पर छात्र-छात्राओं को निगेटिव रिपोर्ट साथ लानी होगी एक बार स्कूल में दाखिल होने के बाद बिना किसी इमरजेंसी के स्कूल कैंपस से बाहर नहीं जाने दिया जाएगा।
देहरादून, जेएनएन। प्रदेश भर के दिवसीय स्कूलों के बाद गुरुवार को बोर्डिंग स्कूलों ने 15 अक्टूबर से स्कूल खोले जाएं या नहीं, इस पर अपना मत शिक्षा सचिव के समक्ष रखा। स्कूल संचालकों और प्रधानाचार्यों का कहना था कि वे स्कूल खोलने को तैयार हैं, मगर उनकी कुछ शर्ते हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह कि स्कूल खुलने पर छात्र-छात्राओं को निगेटिव रिपोर्ट साथ लानी होगी और एक बार स्कूल में दाखिल हो जाने के बाद बिना किसी इमरजेंसी के छात्र-छात्राओं को स्कूल कैंपस से बाहर नहीं जाने दिया जाएगा।
गुरुवार को शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम के साथ द दून स्कूल, वेल्हम गर्ल्स, वेल्हम व्वायज, पेसल वीड, बिरला विद्या मंदिर नैनीताल, एशियन स्कूल समेत प्रदेश के अन्य बोर्डिंग स्कूलों की ऑनलाइन बैठक हुई। प्रिंसपल्स प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कश्यप ने स्कूलों की ओर से अपनी शर्तें शिक्षा विभाग के समक्ष रखीं। उन्होंने कहा कि सरकार की गाइडलाइन को लागू करते हुए बोर्डिंग स्कूल खोलने को तैयार हैं, लेकिन अभिभावकों और शिक्षा विभाग को स्कूलों की शर्तें ध्यान में रखनी होंगी। कहा कि स्कूल खुलने पर छात्र-छात्रा कोरोना निगेटिव रिपोर्ट साथ आएंगे। हर बच्चे को शुरुआत के 10 से 15 दिन स्कूल अपनी-अपनी व्यवस्थाओं के साथ आइसोलेशन में रखेंगे। उन्होंने कहा कि कौन सी कक्षा के छात्र छात्राओं को सबसे पहले स्कूल बुलाना है, यह निर्णय भी स्कूल का ही रहेगा। अपनी सहूलियत के अनुसार कोई स्कूल पहले केवल बोर्ड कक्षाओं को बुला सकता है या फिर नौवीं से 12वीं तक की सभी कक्षाओं को।
ये रखी शर्ते
- एक बार स्कूल में छात्र छात्रा की एंट्री हो जाने के बाद उसे बीच में ना तो घर जाने दिया जाएगा ना ही कोई इमरजेंसी होने तक अभिभावकों को बच्चों से मिलने दिया जाएगा।
- समर्थ अभिभावकों को समय पर स्कूल की फीस अदा करनी होगी।
- संक्रमण से रोकथाम के लिए स्कूलों द्वारा बनाए गए हर नियम को छात्र-छात्रा मानेंगे।
- जिले के अस्पतालों को छात्र-छात्राओं की बीमारी से मामले प्राथमिकता के साथ लेने होंगे।
स्कूलों में होगी इलाज की व्यवस्था
प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन ने बोर्डिंग स्कूलों में छात्र छात्राओं के बीमार हो जाने पर स्कूल में प्राथमिक इलाज उपलब्ध करवाने का आश्वासन भी दिया। उन्होंने कहा कि स्कूल अपने हिसाब से परिसर में स्कूल के डॉक्टर की निगरानी में प्राथमिक उपचार देंगे। लेकिन बड़ी संख्या में अगर छात्र बीमार पड़ते हैं तो इसके लिए जिला प्रशासन को अस्पतालों में अलग वार्ड तैयार करना होगा।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड : एक नवंबर से बोर्ड कक्षाएं चलाने पर हो सकता है फैसला
आर मीनाक्षी सुंदरम (शिक्षा सचिव) का कहना है कि नौवीं से ऊपर की कक्षाओं के लिए स्कूल खोले जाने पर सहमति बनती दिख रही है। स्कूलों से मिले फीडबैक के अनुसार अभिभावकों की राय अभी एक समान नहीं है। अब जिला प्रशासन और मुख्य शिक्षा अधिकारियों के साथ एक अंतिम बैठक होगी। जिसके बाद तीनों रिपोर्ट कैबिनेट के समक्ष पेश की जाएंगी, वहीं स्कूलों को खोलने पर अंतिम फैसला होगा।