हड़ताल को लेकर ऊर्जा निगम व कर्मचारी संगठन में ठनी
नियमितीकरण, एसीपी व सयमबद्ध वेतनमान सहित विभिन्न मांगों को लेकर बिजली कर्मचारी आंदोलन की राह पर हैं और 22 तारीख से हड़ताल की घोषणा कर चुके हैं, जबकि निगम प्रबंधन ने सख्त रवैया अपनाते हुए संगठन को नोटिस दिया है।
जागरण संवाददात, देहरादून: नियमितीकरण, एसीपी व समयबद्ध वेतनमान सहित विभिन्न मांगों को लेकर बिजली कर्मचारियों की प्रस्तावित हड़ताल को लेकर ऊर्जा निगम प्रबंधन और कर्मचारी संगठन आमने-सामने आ गए हैं। ऊर्जा निगम के महाप्रबंधक मानव संसाधन ने हड़ताल में शामिल होने वाले सभी कर्मचारी संगठनों को नोटिस भेजकर हड़ताल को असंवैधानिक बताया है। पत्र में निगम की ओर से हाईकोर्ट के आदेश की प्रति लगाई है। जबकि विद्युत अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने नोटिस का जवाब देते हुए निगम को खुद भी हाईकोर्ट के आदेशों का पालन करने की नसीहत दी है।
उत्तराखंड विद्युत अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले बिजली कर्मचारी संगठनों ने विभिन्न मांगों को लेकर चरणबद्ध आंदोलन और इसके बाद पांच मार्च की मध्य रात्रि से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की है। कर्मचारी 22 दिसंबर 2017 को हुए त्रिपक्षीय समझौते के अनुरूप बिजली कर्मचारियों को नौ, 14 व 19 साल की सेवा में एसीपी का लाभ और समयबद्ध वेतनमान दिए जाने सहित निगमों में उपनल के माध्यम से कार्यरत कर्मचारियों को नियमित करने और सभी संवर्गो को शिथिलीकरण का लाभ दिए जाने जाने की मांग कर रहे हैं। कर्मचारी संगठनों की इन मांगों को लेकर प्रस्तावित हड़ताल पर ऊर्जा निगम प्रबंधन सख्त हो गया है। निगम ने हड़ताल में शामिल होने वाले सभी संगठनों को नोटिस जारी किया है। महाप्रबंधक मानव संसाधन की ओर से जारी नोटिस में अगस्त माह में हाईकोर्ट के आदेश की प्रति लगाते हुए हड़ताल को अंसवैधानिक ठहराया गया है। संघर्ष मोर्चा के संयोजक इंसारुल हक ने कहा कि कोर्ट के जिस आदेश की प्रति लगाकर निगम हड़ताल को असंवैधानिक बता रहा है, उसी में हाईकोर्ट ने आदेश दिए हैं कि कार्मिकों की समस्याओं के निस्तारण के लिए एक कमेटी का गठन किया जाए। लेकिन, आज तक इस आदेश का पालन निगम प्रबंधन ने नहीं किया। उन्होंने कहा कि जब तक कर्मचारियों की मांगों पर कार्रवाई नहीं होती, आदोलन जारी रहेगा और मोर्चा हड़ताल से पीछे नहीं हटेगा।