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Conference of Presiding Officers: सदन में व्यवधान रोकने के लिए बनेंगे कठोर नियम

देश के विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि सभी विधायी निकाय व्यवधान रोकने के लिए कठोर नियम बनाएंगे।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 20 Dec 2019 08:44 AM (IST)Updated: Fri, 20 Dec 2019 08:44 AM (IST)
Conference of Presiding Officers: सदन में व्यवधान रोकने के लिए बनेंगे कठोर नियम

देहरादून, राज्य ब्यूरो। लोकसभा, राज्यसभा और राज्य विधानमंडलों में सदन की कार्यवाही में होने वाले व्यवधान से पीठासीन अधिकारी क्षुब्ध हैं। देश के विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में इस पर चिंता जताई गई। कहा गया कि कार्यवाही के दौरान शोर-शराबा, वेल में आना, नारेबाजी करना व तख्तियां लेकर आना, ये सदन संचालन की दृष्टि से उचित नहीं है। सम्मेलन में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि सभी विधायी निकाय व्यवधान रोकने के लिए कठोर नियम बनाएंगे।

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पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के समापन के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इसके निष्कर्ष मीडिया से साझा करते हुए उक्त जानकारी दी। उन्होंने कहा कि व्यवधान रोकने को सभी विधायी अपने-अपने राज्यों के हिसाब से नियम बनाएंगे। साथ ही इसकी पालना सुनिश्चित होगी, ताकि सदन सुचारू रूप से चले।

उन्होंने कहा कि सभी विधायी निकायों में अविलंबनीय लोकमहत्व के विषयों को सार्थक बनाया जाएगा। जिन राज्यों में शून्यकाल की परंपरा नहीं है, वहां यह शुरू करने का निश्चय हुआ। उन्होंने कहा कि कानून बनाने का कार्य विधायी निकायों का है। ऐसे में जनप्रतिनिधियों का क्षमता निर्माण जरूरी है, ताकि सदन में सार्थक चर्चा हो। विधायी कार्य महत्वपूर्ण हैं और इसीलिए प्रशिक्षण का निर्णय हुआ है।

जनप्रतिनिधियों के लिए प्रशिक्षण

जनप्रतिनिधियों में क्षमता विकास के मद्देनजर उन्हें प्रशिक्षण देने के प्रबोधन कार्यक्रमों पर सहमति बनी। लोस अध्यक्ष के अनुसार लोकसभा सचिवालय तीन साल तक राज्य संघों में प्रशिक्षण में सहयोग देगा। उन्होंने कहा कि संसद में दक्ष, अनुभवी व विशेषज्ञ लोग हैं, उनके अनुभव का लाभ राज्यों को भी मिलेगा।

सदन की बैठकों की संख्या बढ़े

लोस अध्यक्ष ने कहा कि हम चाहते हैं कि सदन अधिकतम समय चले। लगातार प्रयास हैं कि विधायी निकायों की बैठकों की संख्या बढ़े। उन्होंने कहा कि विधायी कार्य तय करने का कार्य सरकारों का है। लिहाजा, सरकारों से आग्रह किया जाएगा कि सदन ज्यादा से ज्यादा चलें।

धूमधाम से मनेगा शताब्दी वर्ष

लोस अध्यक्ष ने कहा कि पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन को 2021 में सौ साल पूरे होंगे। 2020 से 2021 को शताब्दी वर्ष के रूप में मनाएंगे। लखनऊ में सीपीए की बैठक में इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। सौवीं जयंती 2021 में ससंद में धूमधाम से मनाई जाएगी।

राज्यों को लेना है फैसला

लोस अध्यक्ष ने कहा कि विधानमंडलों की कार्यवाही का सीधा प्रसारण कुछ राज्यों ने शुरू किया है। अन्य राज्यों में भी ऐसा हो, ये निर्णय वहां के विधानमंडलों को ही लेना है।

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ये भी हुए निर्णय

  • पेपरलेस व्यवस्था की ओर कदम बढ़ाते हुए विधानमंडलों का डिजिटलीकरण
  • संसद की भांति राज्य विधानमंडलों में उत्कृष्ट विधायक पुरस्कार
  • संसद की डिजिटल लाइब्रेरी का राज्यों को भी मिलेगा लाभ

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