Conference of Presiding Officers: सदन को बाधित करने वाले सदस्यों पर लगाम लगाने की तैयारी
संसद के साथ ही विधानसभाओं में हंगामा कर कामकाज बाधित करने वाले सदस्यों पर लगाम लगाने की तैयारी है। इन्हें नियम कायदों में बांधने पर गंभीरता से विचार हो रहा है।
देहरादून, नेमिष हेमंत। संसद के साथ ही विधानसभाओं में हंगामा कर कामकाज बाधित करने वाले सदस्यों पर लगाम लगाने की तैयारी है। इन्हें नियम कायदों में बांधने पर गंभीरता से विचार हो रहा है, ताकि संसद से लेकर विधानमंडल में सार्थक चर्चाएं हो सकें और ये और अधिक उत्पादक बन सकें।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अगुआई में देहरादून में आयोजित दो दिवसीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में इस पर विचार चल रहा है कि क्यों न ऐसी आचार संहिता बनाई जाए, जिसमें संसद या विधानसभा में हंगामा करने वाला या वेल तक आने वाला सदस्य स्वत: ही निलंबित हो जाए।
ऐसी व्यवस्था होने से सदस्यों में भय रहेगा और सदन के संचालन में व्यवधान कम होंगे। इस तरह की व्यवस्था छत्तीसगढ़ विधानसभा में पहले से है, जिसका जिक्र भी चर्चा में हुआ। सम्मेलन में सदस्यों को विशेष प्रशिक्षण देने समेत अन्य विकल्पों पर भी मंथन चल रहा है।
यह सम्मेलन बृहस्पतिवार तक चलेगा। दूसरे दिन दल बदल कानून को फिर से परिभाषित करने के लिए 'संविधान की दसवीं अनुसूची और अध्यक्ष की भूमिका' विषय पर विचार-विमर्श होगा। 'शून्यकाल सहित सभा के अन्य साधनों के माध्यम से संसदीय लोकतंत्र का सुदढ़ीकरण तथा क्षमता निर्माण' विषयक परिचर्चा में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश समेत 11 वक्ताओं ने अपने विचार रखे और सुझाव दिए।
इससे पहले ओम बिरला ने सदन में व्यवधान पर चिंता जताते हुए कहा कि सभा में वाद-विवाद, असहमति और चर्चा होनी चाहिए। सभा को बाधित नहीं करना चाहिए। हरिवंश ने सदन में बहस की गुणवत्ता बढ़ाने और व्यवधानों पर लगाम लगाने के लिए 'संसद व्यवधान सूचकांक' बनाने का सुझाव दिया।
वहीं दिल्ली के विधानसभा अध्यक्ष ने वेल में आकर विरोध जताने पर आपत्ति जताते हुए सुझाव दिया कि एक दिन ऐसा करने वाले को उस दिन तथा उसके बाद भी वेल में आने वाले को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर देना चाहिए।
चर्चा में राजस्थान विधानसभा के सभापति सीपी जोशी, गुजरात के राजेंद्र द्विवेदी, बिहार के विजय कुमार चौधरी, पश्चिम बंगाल के बिमान बनर्जी और पंजाब के उपसभापति अजायब सिंह समेत अन्य ने भी सुझाव दिए।
पर्यटन के नक्शे पर आया गैरसैंण
राजधानी के मसले पर भले ही गैरसैंण के संबंध में अभी तक कोई फैसला न हुआ हो, लेकिन यह पर्यटन के नक्शे पर तो आ ही गया है। पर्यटन विभाग ने गैरसैण को लेकर ब्रोशर जारी किया है। इसमें गैरसैंण व इसके नजदीकी चांदपुरगढ़ी, आदि बदरी मंदिर समूह, बेनीताल, रामनाली, झंकारेश्वर गुफा, गुप्तेश्वर महादेव मंदिर समेत अन्य स्थलों के साथ ही भराड़ीसैंण का भी जिक्र है, जहां विधानभवन बना है। ब्रोशर में भराड़ीसैंण को उत्तराखंड की प्रस्तावित राजधानी के रूप में उद्धृत किया गया है।
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दरअसल, पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन स्थल पर प्रदर्शनी भी लगाई गई है, जिसमें पर्यटन विभाग का स्टाल भी शामिल है। इसी स्टाल में राज्य के प्रमुख पर्यटक स्थलों के ब्रोशर प्रस्तुत किए गए हैं। इनमें गैरसैंण का ब्रोशर भी है, जिसने तमाम लोगों का ध्यान खींचा। इसमें गैरसैंण से 12 किमी दूर भराड़ीसैंण का भी उल्लेख है। इसका परिचय देते हुए लिखा गया है-उत्तराखंड की यह प्रस्तावित राजधानी गढ़वाल और कुमाऊं के केंद्र में गैरसैण से लगभग 12 किमी की दूरी पर स्थिति है।
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